बच्चों को बुरी तरह प्रभावित करती हैं पेरेंट्स की अनबन, देखने को मिलते हैं ये बदलाव

रिलेशनशिप में पति-पत्नी के बीच नोंकझोंक या बहस होना आम बात हैं। लेकिन जब यह मुद्दा अनबन में तब्दील हो जाए या बात तलाक तक पहुंच जाए तो चिंता की बात बन जाती हैं। आजकल हमारे देश में तलाक के मामलों में काफी इजाफा हुआ है। इसका असर दोनों पार्टनर पर तो पड़ता ही हैं लेकिन इसी के साथ ही बच्चों के लिए भी यह समय बेहद विकट साबित होता हैं। बच्चे इस दौरान नकारात्मक माहौल का शिकार हो जाते हैं और उनका जीवन अव्यवस्थित हो जाता हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उन बदलाव के बारे में बताने जा रहे हैं जो पेरेंट्स की अनबन या तलाक के कारण बच्चों में देखने को मिलते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

डर की भावना पैदा होना

बच्चे बहुत ही संवेदनशील होते हैं। उनके सामने जब पेरेंट्स मारपीट, बहस और अपशब्द बोलते हैं तो इन हरकतों से वे सारी उम्र डरे और सहमे रहते हैं। उन्हें किसी भी रिश्ते को निभाने में डर लगता है। बच्चे अपने परिवार से ही भरोसा करना सीखते हैं। जब पेरेंट्स के बीच झगड़ा रहता है तो इससे बच्चों के मन में भी टेंशन पैदा होती है। उसे डर लगता है कि उसकी मां या पापा घर कब लौटेंगे। पेरेंट्स के बीच अनबन रहने पर बच्चे को उनका प्यार, देखभाल और अटेंशन नहीं मिल पाती है।

रिश्तों से भरोसा उठाना

टॉडलर और प्रीस्कूल एज बच्चे के विकास के लिए बहुत अहम होती है। इसी उम्र में बच्चा सीखता है कि रिश्ते कैसे निभाए और बनाए जाते हैं। जब पेरेंट्स बच्चे के लिए एक अप्रिय वातावरण बना देते हैं, तो बच्चे को यही लगने लगता है कि हर जगह रिश्ते ऐसे ही होते हैं। इसका असर आगे चलकर बच्चे के बाकी के रिश्तों पर भी पड़ता है। इसका बुरा असर पेरेंट्स के साथ बच्चे के रिलेशनशिप पर भी पड़ सकता है।

मानसिक रूप से परेशान

पेरेंट्स का बस झगड़ते रहना और अपने बच्चे पर कोई ध्यान न देना, बच्चे के डिप्रेशन या किसी बिहेवरियल विकार की ओर धकेल सकता है। जब पेरेंट्स का प्यार और सपोर्ट बच्चे को नहीं मिल पाता है, तो इसका नेगेटिव असर पड़ता है। वो बचपन की मस्तियों को भूलकर नकारात्मक होने लगते हैं। उनका स्वभाव भी चिड़चिड़ा और गुस्सैल हो जाता हैं। साथ ही उनमें बड़े होने पर स्वास्थ्य समस्याएं देखे जाने की ज्यादा संभावना होती है। कई बार बच्चा खुद को अकेला और असहाय समझने लगता है क्योंकि उसके पास अपनी बात को शेयर करने के लिए कोई नहीं होता है।

इग्नोर करना शुरू कर देता है

माता-पिता के अलग हो जाने पर बच्चा माता और पिता दोनों को ही सीरियस लेना छोड़ देता है। उसे अपनी लाइफ यूजलेस लगने लगती है और पेरेंट्स कुछ भी कहें तो वह उसे नजरअंदाज करने लग जाता है। वहीं अगर उसो कई बात जोर देकर भी कही जाए तो वह सुनकर भी कोई प्रतिक्रिया नहीं देता है। अपने माता-पिता को देख-देख कर उसे लगने लग जाता है कि कोई भी अच्छा नहीं है और इसलिए उसे किसी के भी साथ बातें करना अच्छा नहीं लगता है, यही कारण है कि ऐसी स्थितियों में बच्चे पूरा-पूरा दिन अपने कमरे में ही निकाल देते हैं।

सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी

तनावपूर्ण पारिवारिक माहौल में रहने वाले बच्चों के सेल्फ कॉन्फिडेंस में कमी हो जाती है। वे टेंशन में रहने लगते हैं। कई बार मन ही मन में खुद को इस झगड़े की वजह मानने लग जाते हैं। डिप्रेशन का शिकार भी हो जाते हैं। ऐसे बच्चों को पढ़ाई-लिखाई पर ध्यान लगाने में मुश्किल होती है इसलिए न तो ढंग से दूसरों से बात कर पाते हैं और न ही पढ़ाई। पेरेंट्स की अनबन के कारण बच्चा वे आदतें भी छोड़ देता है, जो उसे बहुत प्यारी होती हैं। वहीं कुछ बच्चे अपने आप को हर चीज से अलग करने के लिए मोबाइल, टीवी या कंप्यूटर का सहारा लेते हैं और पूरा दिन स्क्रीन पर ही निकाल देते हैं।

खुद को नुकसान पहुंचाना

कई बार बच्चे पेरेंट्स को फिर से एक करने के लिए खुद को नुकसान पहुंचाने की कोशिश करता है, जैसे खुद को चोट मारना या जानबूझकर नशा करना। कई बार दिखावे की चक्कर में बच्चे को नशा करने जैसे शराब पीना आदि की आदत पड़ जाती है। अमरीका में हुए एक शोध के मुताबिक शरीर के इम्यून सिस्टम पर लड़ाई-झगड़ों का गहरा असर होता है। इससे बीमारियों से लड़ने की क्षमता कमजोर पड़ जाती है। वे जल्दी-जल्दी बीमार पड़ते हैं।