बचपन से ही बढाएं बच्चो में कॉन्फिडेंस, आजमाए ये 4 तरीके

बच्चे मन के सच्चे होते हैं जो कि कच्ची मिट्टी की तरह होते हैं। इन्हें कच्ची मिट्टी से सही ढाँचे में तब्दील करने का काम पेरेंट्स का होता हैं। जी हाँ, अक्सर देखा गया हैं कि पेरेंट्स बच्चों को जरा छोटी सी बात पर डांट लगा देते हैं जो कि बच्चों के मन को चोट पहुंचाने का काम करती हैं और इसका असर उनके कॉन्फिडेंस पर भी पड़ता हैं। आत्मविश्वास की इस कमी से बच्चों के स्वभाव में बहुत बदलाव आने लगता हैं। इसलिए जरूरी हैं कि बच्चों के आत्मविश्वास में इजाफा किया जाए। आज हम आपको कुछ ऐसे तरीके बताने जा रहे हैं जिनकी मदद से बच्चों के आत्मविश्वासको बढ़ाया जा सकता हैं।

कंट्रोल करने की बजाए समझाना ज्यादा जरुरी
अक्सर देखा गया है कि माएं बच्चों की हर गलती पर उन्हें लंबे-लंबे लेक्चर देना शुरु कर देती हैं। गलती पर डांटना सही है लेकिन हर बार छोटी-छोटी बातों पर टोकने से बच्चे का आत्मविश्वास कमजोर पड़ता है। खेलने-कूदने की उम्र में बच्चा डरा-डरा और सहमा महसूस करना शुरु कर देता है। बच्चे को टोकने की बजाए उसके उसके कामों में हाथ बटाना शुरु करें। इससे एक तो बच्चा गलतियां कम करेगा साथ ही आप बच्चे के साथ होते हुए उसे तरीके से गलतियों के बारे में समझाती रहेंगी।

अन्य बच्चों के साथ न करें कंपेरिजन
अगर आपका बच्चा किसी काम की शुरुआत कर रहा है तो उसमें कमियां निकालने की बजाय उसके काम करने का तरीका नोटिस करें। बच्चे को बार-बार टोकने से उसका आत्मविश्वास कमजोर होगा और वह सही तरीके से अपना काम नहीं कर पाएगा। कभी भी अपने बच्चे का कंपेरिजन अन्य किसी बच्चे के साथ न करें। ऐसा करने से या तो बच्चा डिप्रेशन में रहने लगेगा या फिर हीन भावना के चलते जीवन में अपने से आगे रहने वालों से नफरत करने लगेगा।

बच्चे को उसका काम खुद करना सिखाएं
बच्चे को उसके छोटे-छोटे काम खुद करने दें। इससे आपका बच्चा सेल्फ इंडीपेंडेंट बनेगा जो उसके आने वाले जीवन में बहुत काम आएगा। अगर बच्चा कहीं किसी मुश्किल में फंस जाए तो उसकी मदद करें लेकिन जितना हो सके शांत रहें। काम के दौरान हंसी-खुशी का माहौल बनाकर रखें ताकि बच्चा उस काम को करते वक्त बोरियत महसूस न करे।

आसानी से पूरा हो जाने वाला काम बच्चे को दें
बच्चे को छोटे-छोटे आसानी से पूरे होने वाले काम दें जैसे बिस्तर ठीक करना, खिलौने अरेंज करना, पौधों में पानी देने आदि। बच्चों को पहले खुद ये काम करके दिखाएं, फिर उनसे करवाएं। जब बच्चा इन सब कामों को सीख जाए तो धीरे-धीरे अन्य काम करने के तरीके बताएं।