ना करें बच्चों की इन गलत आदतों को नजरअंदाज, गर्त में जा सकता हैं उनका भविष्य

माता-पिता के लिए उनके बच्चे उनकी आंखों का तारा होते हैं। इसके चलते पेरेंट्स अपने बच्चों को हर सुख देने की कोशिश करते हैं। बच्चों को प्यार करना एक बात है और उन्हें जरूरत से ज्यादा बिगाड़ना अलग बात है। पेरेंट्स को यह समझने की जरूरत हैं कि बच्चों को अच्छी परवरिश के साथ अच्छी सीख देने और नेक इंसान बनाने की जिम्मेदारी भी उन्हीं की हैं। बच्चे जब छोटे होते हैं तो उनमें सीखने की ललक होती हैं। यहीं वो समय है जब आपको उसे सही और गलत बातों में फर्क बताना भी जरूरी है। ऐसे में बचपन में ही बच्चों को अच्छी आदतें सिखानी चाहिए। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे है बच्चों की उन गलत आदतों के बारे में जिन्हें आपको नजरअंदाज नहीं करना चाहिए और उनमें सुधार लाने की जरूरत हैं।

मारपीट करना

बच्चों में लड़ाई- झगड़ा होता रहता है लेकिन एज़ ए रिस्पांसिबल पैरेंट आप यह बात भली भांति जानते हैं और समझते हैं कि लाइन क्रॉस कहां पर हो रही है। जब बच्चा और बच्चों या अपने ही भाई बहन को हिट करें, पुश करें, उनके साथ मार पीट करे या एग्रेसिवली बिहेव करे तो निसंदेह यह आपको इग्नोर नहीं करना चाहिए। बच्चा अगर दूसरों बच्चों के साथ खेल-कूद करते समय धक्का दे या मारपीट करे। तो भले ही इसे आप बच्चे के तेजतर्रार नेचर में गिन रहे हों। लेकिन असल में बच्चे के अंदर एग्रेसिव भावना होती है जो वो दूसरे बच्चे को मार कर संतुष्टि खोजता है। बच्चा अगर दूसरे बच्चों के साथ खेलकूद में मारपीट करता है तो फौरन उसे रोककर समझाएं।

अपनी मांगों पर अड़े रहना

हर बार जब आपका बच्चा कुछ चाहता है, तो वह तब तक अपनी मांग पर अड़ा रहता है जब तक आप उसे नहीं मान लेते। आपके बच्चे की दबाव की रणनीति के आगे झुकने से उसे यह समझ आ गया है कि वह जो चाहता है, आप अंततः उससे सहमत होंगे। यह एक बिगड़ैल बच्चे का पक्का लक्षण है। ऐसे में जब आप अपने बच्चे को दिखाते हैं कि आप उससे प्यार करते हैं और उसकी देखभाल करते हैं, तो सीमाएँ भी स्थापित करें। अपने बच्चे को समझाएं कि चूँकि आप उसके सर्वोत्तम हितों को ध्यान में रखते हैं, इसलिए आप कभी-कभी उसके अनुरोधों और मांगों को अस्वीकार कर देंगे।

आपको उल्टा जवाब देना

माता-पिता की बातें सुनने की आदत बच्चों को होनी चाहिए। बच्चा अगर आपकी बातें नहीं सुन रहा है और सिर्फ अपनी मर्जी चला रहा है तो अच्छा नहीं है। छोटी से छोटी चीज में इसे देखा जा सकता है। उदाहरण के तौर पर अगर आपने बच्चे को आइसक्रीम खाने से मना किया है फिर भी वो चोरी छिपे जाकर वो खा ले तो ये गलत है। आप बच्चे को कुछ हद तक बातों को मानना सिखाएं। अगर आपको अपनी बात मनवाने के लिए बच्चे को लालच देना पड़ रहा है या फिर जबरदस्ती करनी पड़ रही है तो ये तरीका सही नहीं है।

सेलेक्टिव हियरिंग


जब बच्चे छोटे होते हैं तो कितने ध्यान से पेरेंट्स की बात सुनते हैं लेकिन बड़े होते होते , बाहरी समाज और टीवी के संपर्क में रह कई बातें सीख लेते हैं। उन्हीं में से एक है सेलेक्टिव हीयरिंग। यानी जो बात खुद को पसंद है वह सुन लेना और बाकी बातों को एक कान से सुन दूसरे से निकाल देना। अगर आप बच्चे में इस तरह का बिहेवियर नोटिस करें तो उसे यूं ही ना जाने दें। बैठ कर समझाएं आए कि यह ठीक नहीं है और इस तरह का बर्ताव कैसे आने वाले कल में दिक्कत बन सकता है।

दूसरों को ब्लेम करना

यूं तो बच्चे मन के बड़े ही सच्चे होते हैं लेकिन धीर धीरे समाज के तौर तरीके समझते और अपनाते उन्हें भी देर नहीं लगती। बढ़ चढ़ कर बात बनाना हो या फिर अपनी गलती के लिए फट से दूसरे को जिम्मेदार ठहराना, दोनों ही स्थिति में सच भाप लेने के बाद आपको उनके इस बर्ताव को बढ़ावा नहीं देना है। जहां गलती है ,उनको उस गलती का अहसास कराएं और बताएं कि गलती मान लेना और उसको सुधार लेना कैसे चीजों को बेहतर बना देती है।

बड़ों से बातचीत करने का मैनर

कुछ बच्चे बड़ों से बातचीत के वक्त जरा भी मैनर से बात नहीं करते और बड़े ही बेरूखी और बदतमीजी से जवाब देते हैं। बच्चा अगर ऐसी हरकत करता है तो फौरन उसे रोककर समझाएं। नहीं तो बड़ा होकर भी बच्चा ऐसी ही बदतमीजी से पैरेंट्स से भी बात करने लगेगा।

दूसरों की फीलिंग्स की कद्र ना करना

बच्चे काफी इंप्रेशनेबल होते हैं और आपकी छोटी-छोटी चीजों को समझ जाते हैं। पर अगर आप उन्हें दूसरों की फीलिंग्स की कद्र करना नहीं सिखाएंगे तो ये सही नहीं होगा। आपके बच्चे को इस बात से फर्क नहीं पड़ता कि उसकी वजह से किसी और को तकलीफ हो रही है या नहीं तो ये गलत है। बच्चे को ये समझना चाहिए कि चाहे कोई दोस्त हो, चाहे कोई बड़ा, चाहे कोई जानवर ही क्यों ना हो उसकी वजह से दूसरों को तकलीफ नहीं होनी चाहिए।

वह चीजों को शेयर नहीं करते

अगर आपके बच्चे अपने भाई बहन या किसी अन्य दोस्त के साथ अपनी चीज शेयर करके खुश नहीं हैं तो उनमें यह आदत बड़े हो कर भी रह सकती है इसलिए उन्हें शेयरिंग इस कैरिंग जैसी चीजों के बारे में बताएं ताकि वह दूसरों को अपने आस पास अच्छा महसूस करवा सकें।

बात बात पर गुस्सा करना

गलत बात पर रिएक्ट करना तो ठीक है लेकिन अगर बच्चा बात बात पर यो अक्सर गुस्से में रह रहा है तो कहीं तो दिक्कत है। या तो अपने दोस्तों के साथ एडजस्ट होने में वह किसी परेशानी का सामना कर रहा है या फिर घर के खराब माहौल को असर उस पर पड़ रहा है। कारण कोई भी हो, दोनों ही स्थितियों में उसके साथ बैठकर इश्यू को समझने और उससे निपटने के कारगर तरीके पर विचार करें।