वर्तमान समय की जीवनशैली में देखा जाता हैं कि इंसान ने अपनी जरूरतों को पूरा करने के लिए खुद को इतना व्यस्त कर लिया हैं कि वह खुद की मानसिक उलझनों में हीउलझ कार रह जाता हैं। इसके परिणाम स्वरुप उसपर तनाव हावी होने लगता हैं जो कि स्वास्थ्य के साथ सामाजिक तौर पर भी सही नहीं हैं। इसका आपके वर्क परफॉरमेंस के साथ ही सामाजिक रिश्तों पर भी असर पड़ता हैं। ऐसे में अगर आप भी खुद को हर वक़्त व्यस्त महसूस करते हैं तो आपको हमारे द्वारा बताई जा रही इन बातों पर गौर करने की जरूरत हैं। ताकि स्थिति के खतरे को भांपते हुए खुद को संभाला जा सके। तो आइये जानते हैं इन जरूरी बातों के बारे में...
खुद को मशीन नहीं, इंसान समझें
अगर आप यह सोचते हैं कि ऑफिस में गुड इंप्रेशन बनाने और प्रमोशन पाने के लिए आप किसी भी हद तक काम कर सकते हैं तो आपको बता दें कि आपको यह जानना जरूरी है कि आप इंसान हैं, मशीन नहीं। आपके लिए रात की बेहतर नींद, गुड लाइफ स्टाइल, स्ट्रेस फ्री जीवन अधिक जरूरी है, ना कि खुद को मशीन समझकर जीना। बड़ा सोचना या जीवन में अपने पीक पर जाने के लिए आप अधिक से अधिक मेहनत करें लेकिन खुद को इंसान के दायरे में रख कर ऐसा करें। क्योंकि आप इंसान है और इंसान की जरूरतें मशीनों जैसी नहीं होतीं।
पूर्वाग्रह से बचें
कई बार हम पूर्वाग्रह से ग्रस्त होकर हर तरह के काम को जल्द से जल्द पूरा करने की होड़ में यहां से वहां दौड़ते भागते रहते हैं। ऐसा करने से बचें। दरअसल कई बार हम बिना किसी बेहतर प्लान के किसी काम को अंजाम देते हैं जिसकी वजह से हमें हड़बड़ी या लेट होने के अनुभव को झेलना पड़ता है। ऐसे में हम अगली बार यह प्रयास करते हैं कि दुबारा इस तरह का सिचुएशन ना बनें। यह एक अच्छी बात है। लेकिन आपको यह जानना भी जरूर है कि इस चक्कर में आप बिना मतलब हड़बड़ी या जल्दी में ना रहें।
स्लो डाउन जरूरी
भले ही आपको हर चीज समय से पहले निपटा लेना सुविधाजनक लगता हो, लेकिन आपको बता दें कि इसकी वजह से आप अधिक स्ट्रेस झेलते हैं। बेहतर होगा कि दो कामों के बीच कम से कम 10 मिनट को ब्रेक दें और इस ब्रेक में कुछ भी ना करें।
हार स्वीकारना कायरता नहीं
यह बात गांठ बांध लें कि दुनिया में कुछ चीजों को छोड़ देना एक स्वाभाविक टेंडेंसी है। क्योंकि आप हर चीज हासिल नहीं कर सकते। क्योंकि दुनिया में हासिल करने के लिए अनंत चीजें है जबकी समय सीमा सीमित है। ऐसे में कुछ चीजों को छोड़ देना आपका अपना व्यक्तिगत विकल्प है, आपकी कायरता नहीं है।
काम की गति नहीं, क्वालिटी को दें वैल्यू
कई बार हम रात दिन काम करते हैं, घंटों कंप्यूटर के सामने बैठे डेटा कैल्कुलेशन या प्रेजेंटेशन बनाते रहते हैं। ऐसे में नेचुरल है कि कुछ घंटे के कॉन्सन्ट्रेशन के बाद काम की क्वालिटी बेहतर नहीं दिखती है। ऐसे में आप परेशान होकर खुद को दोषी समझने लगते हैं। लेकिन आपको बता दें कि ये ही इंसानों का काम करने का तरीका यानी लय होता है। दो से तीन घंटे के बाद आपको दिमाग एक क्वालिटी रेस्ट चाहता है। ऐसे में अपने वर्किंग रिदम को सम्मान दें और क्वालिटी को वैल्यू दें।
अपना बफर तैयार रखें
कई बार आप दो मीटिंग का प्लान करते हैं और पहली मीटिंग समय से अधिक देर तक चलने की वजह से सिचुएशन आपके हाथ से बाहर हो जाता है। इस समस्या से बचने के लिए आप हड़बड़ी करने की बजाय हमेशा दो मीटिंग के बीच एक बफर टाइम रखें। यह हमेशा ध्यान रखें कि चीजें हमेशा आपके विचार से अधिक समय ले सकती हैं। ऐसा करने से आप हड़बड़ाहट से बचे रहेंगे।
अधिक काम एक बार में न निपटाएं
कई लोग अपने टू डू लिस्ट में काम को जोड़ते ही चले जाते हैं। लेकिन आपको बता दें कि यह आपके काम को पूरा करने का तरीका अच्छा नहीं है। बेहतर काम के लिए एक बार में 5 से अधिक काम निपटाने की कोशिश ना करें। ऐसा करने से आप दिल लगाकर काम निपटाएंगे जिससे आपका क्वालिटी वर्क सामने आएगा। याद रखें कि हड़बड़ाहट में कोई काम परफेक्ट नहीं होता।