इंट्रोवर्ट यानि एक ऐसा व्यक्ति जो ज्यादातर अपने में खोया हुआ रहता है लेकिन क्या शर्मिला होना और इंट्रोवर्ट होना एक ही चीज़ है। लोग अक्सर इन दोनों को एक ही समझते हैं जबकि दोनों अलग अलग व्यक्तित्व के लोग हैं।
इंट्रोवर्ट होने के भी कई अपने पहलु है जरुरी नहीं हर वो व्यक्ति जो अपने में खोया रहता है इंट्रोवर्ट ही हो कई बार सामाजिक रूप से सक्रिय रहते है फिरभी व्यक्ति इंट्रोवर्ट हो सकता है। इंट्रोवर्ट होना गलत नही है क्योंकि ये मानवीय स्वभाव जैसा है बशर्ते ये आप पर नकारात्मक प्रभाव न डाले।
शर्मिला व्यक्ति किसी चीज़ के प्रति आकर्षित तो रहता है पर संकोच के कारण कह नहीं पाता जबकि इंट्रोवर्ट व्यक्ति का ऐसा नहीं है उसको अगर जरूरत होगी तो वो संकोच नही करेगा , या तो उसे उस चीज का आकर्षण ही नहीं होगा।
दूसरा भरम ये भी गलत है कि इंट्रोवर्ट लोग खुश नहीं रहते या मस्ती नहीं करते। जबकी समाज में उतना ही घुल मिलके रहते हैं जितना कि अन्य लोग।