डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्मदिवस 5 सितम्बर को शिक्षक दिवस के रूप में मनाया जाता हैं। जी हाँ, 5 सितम्बर 1888 को राधाकृष्णन का जन्म हुआ था और उनके 40 वर्षों के अध्यापन और शिक्षा के प्रति समर्पण को देखते हुए उनका जन्मदिवस शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हैं। राधाकृष्णन जी में कई तरह के गुण थे, जिनमें से उनका एक गुण है हाजिर जवाबी। यहाँ तक कि राधाकृष्णन की हाजिर जवाबी के गांधी जी भी कायल थे। आज हम आपको एक ऐसा ही किस्सा बताने जा रहे हैं जो राधाकृष्णन जी की हाजिर जवाबी को दिखाती हैं।
डॉ. राधाकृष्णन तर्कपूर्ण हाजिर-जवाबी की दुनिया कायल थी। एक बार वे भारतीय दर्शन पर व्याख्यान देने के लिए इंग्लैंड गए। वहां बड़ी संख्या में लोग उनका भाषण सुनने आए थे, तभी एक अंग्रेज ने उनसे पूछा कि क्या हिंदू नाम का कोई समाज है? कोई संस्कृति है? तुम कितने बिखरे हुए हो? तुम्हारा एक सा रंग नहीं- कोई गोरा तो कोई काला, कोई धोती पहनता है तो कोई लुंगी, कोई कुर्ता तो कोई कमीज। देखो हम सभी अंग्रेज एक जैसे हैं- एक ही रंग और एक जैसा पहनावा।
राधाकृष्णन ने उस अंग्रेज को जवाब दिया था- घोड़े अलग-अलग रूप-रंग के होते हैं, पर गधे एक जैसे होते हैं। अलग- अलग रंग और विविधता विकास के लक्षण हैं।
सन 1938 में डॉ राधाकृष्णन सेवाग्राम में गांधी जी से मिलने पहुंचे। गांधी जी उस समय देशवासियों से मूंगफली खाने पर जोर दे रहे थे। वे लोगों को दूध पीने से मना किया करते थे। उनका मानना था कि दूध गाय के मांस का ही अतिरिक्त उत्पादन है।
डॉ. राधाकृष्णन जब गांधी जी से मिलने पहुंचे तो गांधी जी ने डॉक्टर साहब से ये बातें कहीं। डॉ. राधाकृष्णन का जवाब था - तब तो हमें मां का दूध भी नहीं पीना चाहिए।