लर्निंग स्किल डवलप होने के साथ-साथ खेलने से बच्चों को मिलती है जीवन की ये 7 बड़ी सीख

खेलना बच्चों के जीवन का महत्वपूर्ण हिस्सा हैं जो उनके शारीरिक और मानसिक विकास को गति देने का काम करता हैं। हांलाकि कोरोना के इस दौर में बच्चों ने शारीरिक खेलों से दूरी बना ली हैं लेकिन उन्हें फिर से इस ओर मोड़ना जरूरी हैं क्योंकि ये खेल बच्चों को जीवन की कई सीख भी दे जाते हैं। ऐसे में पेरेंट्स की जिम्मेदारी हैं कि अपने बच्चों को खेल के दौरान मिलने वाली इन सीख के बारे में बताया जाए। बच्चों की दिनचर्या में ऐसी प्लेयिंग एक्टिवीटीज को शामिल करें जो लर्निंग स्किल को डवलप करती हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बताने जा रहे हैं उन सीख के बारे में जो बच्चों को खेल के दौरान सीखने को मिलती हैं।


एक टीम में मजबूत रिश्ते

आप इस बात से इनकार नहीं कर सकते कि, खेल इंसान को ना सर्फ एक टीम में बंधने का मौका देता है, बल्कि अपने साथियों के साथ खून से भी सगा रिश्ता निभाने का मौका देता है। आपने अगर “रिमेम्बर द टाइटन्स” फिल्म देखी है, तो ये समझना आपके लिए थोड़ा आसान हो सकता है। ठीक उसी तरह अगर बच्चे किसी टीम में शामिल होते हैं, तो उनके अंदर टीम भावना और साथ लेकर चलने की भावना का संचार होता है।

लगन और मेहनत जरूरी

लाइफ में सबकुछ आसानी से हो जाए ऐसा जरूरी नहीं है। खले में बच्चों को अपना लक्ष्य हासिल करना है तो उन्हें इसके लिए कड़ी मेहनत करनी होगी। मिल्खा सिंह इसके सबसे अच्छे उदाहरण हैं। उनकी कही हुई एक बात, ‘जब तक मैं अपने पसीने की एक बाल्टी नहीं भर लेता, तब तक मैं रुकता नहीं’। खेल में बलिदान और मेहनत सबसे ज्यादा जरूरी है। इस तरह आप बच्चों को खेल के माध्यम से लगन और मेहनत का पाठ पढ़ा सकते हैं।

हारना है तो शान से हारो

खेल में हार जीत तो आम बात है। जितना जीत को लेकर हम खुशी मनाते हैं, उतना ही हमें हार के लिए भी अपने बच्चों को तैयार करना होगा। किसी भी खेल में हारना विनम्रता को सिखाता है। हार के बाद अपने प्रतिद्वंदी को बधाई देना और शान से सिर उठाकर खेल से बाहर निकलने की भी बात कुछ और ही है। खेल बच्चों को एक ऐसी सीख देता है, जिसमें वो ये सीखते हैं कि जीवन में हमेशा जीत हो ऐसा नहीं हो सकता। बल्कि कई मुकाम में हार और नुकसान का भी सामना करना पड़ता है। हमें हार को स्वीकार करते हुए आगे बढ़ना चाहिए और यही बात हमें अपने बच्चों को भी सिखानी चाहिए।

खेल की सच्ची भावना, सीखते रहना

खेल के मैदान के अंदर और बाहर दोनों जगह साहस, धैर्य, सम्मान और विन्रमता को बनाए रखना जरूरी है। जीत और हार की तरह भी जीवन का अच्छा और बुरा समय होता है। खेल में बच्चों को यही सीख आप सिखाइए ताकि वो अपने जीवन की हर मुश्किल घड़ी में खुद को तैयार कर सकें, और उससे निपटने का साहस रखना सीख सकें। क्योंकि सच्ची भावना से खेला जाने वाला खेल सम्मान करना सिखाता है। चाहे वो कोच हो, विरोधी टीम का हो या रेफरी हो। बच्चे में धैर्य और अपनी भावनाओं को कंट्रोल करना सिखाता है।

आत्म जागरूकता की सीख सबसे जरूरी

खेल में बच्चा ताकत के साथ कमजोरियों को जानना सीख जाता है तो समझिये आधी जंग ऐसे ही जीती जा सकती है। इससे वो अपने नियन्त्रण को सीखते हैं। क्रिकेटर सचिन तेंदुलकर ने इसका अच्छा उदाहरण सेट किया है। हमें मदद मांगने या किसी और तरह के समाधान ढूंढने से पहले खुद की एबिलिटी के बारे में जरुर जान लेना चाहिए। आत्म जागरूकता खेल में दी जाने वाली ऐसी सीख है, जो बच्चे के साथ ताउम्र रहती है।

जोखिम उठाना भी बेहतर सीख

हमारे कई निपुण खिलाडियों ने कई तरह के खेलों में इतिहास रचा है। खेल के मामले में इतिहास रचना इतना आसान भी नहीं है, जितना दर्शकों को देखने में लगता है। कुछ पाने के लिए जोखिम उठाना भी बेहद जरूरी है। आप अपनी लाइफ में कुछ पाना चाहते हैं तो आपको, जोखिम उठाना पड़ेगा। किसी ने सच ही कहा है कि जीवन में कुछ पाना है तो, सीमाओं को निर्धारित न करें, और सीमाएं निर्धारित भी हैं तो उन्हें पार करने की जरूरत है। खेल में ये सीख आपके बच्चे के लिए बेहद जरूरी है।

छोड़ना, कोई ऑप्शन नहीं

बच्चे को खेल में सबसे अहम और जरूरी सीख यही दीजिये कि वो कभी हार ना मानें। चुनौतियों का सामना करने के लिए हमेशा उन्हे प्रोत्साहित करें और उनका जमकर मनोबल बढाएं। उन्हें हार नहीं मानने दें। खिलाड़ियों को भी शुरू में यही सीख दी जाती है कि चाहे कुछ भी हो जाए हमेशा अडिग रहना चाहिए। लाइफ में हमेशा निष्पक्ष होना चाहिए। जीवन में हमेशा हर चीज आसानी से मिल जाएं, ये जरूरी नहीं है। ऐसे में आपको दृढ़ संकल्प और लचीला होने की जरूरत है। आप किस तरह इन चुनौतियों से निपटते हैं, उससे आप मजबूत बनते हैं। यही सीख आप अपने बच्चों को दें।