भारत के इन 7 मंदिरों में जाने से लगता हैं खौफ, होती हैं प्रेतवाधित गतिविधियां

भारत को अपने आध्यात्मिक महत्व के लिए जाना जाता हैं जहां आपको हर गली-नुक्कड़ पर छोटा-बड़ा मंदिर देखने को मिल जाएगा। लोगों की भगवान के प्रति आस्था उन्हें सकारात्मकता प्रदान करती हैं और नकारात्मक शक्तियों से बचाती हैं। लोग इसी सकारात्मकता के लिए संतुष्ट होकर मंदिर पहुंचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश में कुछ मंदिर ऐसे भी हैं जहां लोग जाने से डरते हैं और इसके पीछे का कारण हैं यहां होने वाली प्रेतवाधित गतिविधियां या आत्माओं या अलौकिक तत्व की शक्ति। आज हम आपको देश के ऐसे ही मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां जाकर खौफ के चलते भक्तों की चीख भी निकल जाती हैं। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...

देवजी महाराज मंदिर, मध्य प्रदेश

आप जानते हैं कि इस मंदिर में हर साल 'भूत मेला' आयोजित किया जाता है? जी हां, मध्य प्रदेश में देवजी महाराज मंदिर प्रसिद्ध अपने भूत मेला के लिए काफी प्रसिद्ध है। यह मेला पूर्णिमा की रात को लगाया जाता है और माना जाता है कि लोग इन आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए इस मंदिर में आते हैं। यहां के बाबा और साधू लोगों का भूत भगाने के लिए उन पर झाड़ू मारते हैं। कुछ लोगों का दावा है कि यहां मंदिर के चारों ओर आत्माएं भी दिखाई देती है, उन्हें यहां अजीब महसूस भी होता है। यहां लोग भूतों से छुटकारा पाने के लिए हथेलियों पर कपूर रखते हैं।

किराडू मंदिर, राजस्थान

यह हम सभी जानते हैं कि भारत का राजस्थान राज्य एक से एक खूबसूरत और अद्भुत फोर्ट्स, महल, पैलेस और भवन के लिए जाना जाता है, लेकिन इस राज्य में बाड़मेर में मौजूद किराडू मंदिर एक ऐसी जगह है जहां कोई भी अकेले जाने से पहले हज़ार बार सोचता है। जी हां, कहा जाता है कि इस प्राचीन और फेमस मंदिर पर साधु का श्राप है, जिसके चलते सूरज ढलते या अकेले जाने से डरता है। लोककथा है कि एक बार एक साधु अपने शिष्यों के यहां घूमने पहुंचा था और कुछ समय के लिए साधु किसी अन्य स्थान पर चला गया। जब वो वापस लौटा तो उसके कई शिष्यों की मौत हो चुकी थी। इस घटना के बाद साधु ने श्राप दिया कि यहां के बाद कोई भी घूमने आएगा वो जिंदा नहीं लौटेगा।

चंडी देवी मंदिर, हरिद्वार

चंडी देवी को देवी का हिंसक रूप माना जाता है और ये मंदिर उन्हीं को समर्पित है। माना जाता है कि नवरात्रि के दौरान इस मंदिर में आने वाले लोग देवी के इस रूप से प्रभावित हो जाते हैं, क्योंकि आत्मा इस दौरान सबसे शक्तिशाली रहती है। अन्य दिनों में, आत्मा से छुटकारा पाने के लिए लोग यहां आते हैं।

भूतों वाला मंदिर, उत्तरप्रदेश

इस मंदिर के नाम से ही आपको मालूम चल गया होगा कि यह स्थान किस कदर डरावनी होगा। जी हां, देश के सबसे बड़े राज्यों में से एक उत्तर प्रदेश के कानपुर शहर से लगभग 50 किमी की दूरी पर मौजूद एक गुप्तकालीन मंदिर है जिसे भूतों वाला मंदिर माना जाता है। कहा जाता है कि इस मंदिर में किसी भी देवता की मूर्ति नहीं है और एक दिन अचानक यहां से कुछ आवाज आने लगी। इस घटना के बाद दिन में यहां पूजा होने लगी, लेकिन शाम होते ही यहां कोई भी पूजा करने नहीं आता है। कई लोगों का मानना है कि यह मंदिर भूतों का निवास स्थल है।

हरसू भ्रम मंदिर, बिहार

बिहार में इस मंदिर के पीछे एक दिलचस्प कहानी है, माना जाता है कि इस मंदिर को ब्राह्मण व्यक्ति के लिए बनाया गया था, जो चाहता था कि लोग उसकी पूजा करें। उसकी आत्मा आज भी यहां घूमती रहती है और लोग यह आकर उनसे आत्मा से छुटकारा पाने की गुहार लगाते हैं। मंदिर काफी छुपी हुई जगह पर स्थित है, तो वहां जाने के लिए आप स्थानीय लोगों की मदद ले सकते हैं।

दत्तात्रेय मंदिर, मध्यप्रदेश

भारत का दिल बोले जाने वाले राज्य यानी मध्य प्रदेश में मौजूद दत्तात्रेय मंदिर भुतहा मंदिर में शामिल है। इस मंदिर के बारे में एक बेहद ही प्रचलित कथा है कि जब लोग इस मंदिर में प्रवेश करते हैं तो उन्हें महसूस होता है कि उनके शरीर पर किसी ने कब्जा कर लिया है। एक अन्य लोककथा है कि यहां अमावस्या के दिन कोई भी भक्त दर्शन के लिए नहीं पहुंचते हैं, क्योंकि इस दिन यहां भूत पहुंचते हैं। एक अन्य मान्यता है कि इस मंदिर में पहुंचे लोग गालियां देते हैं। सूरज ढलते ही यहां कोई जाने की हिम्मत नहीं करता है।

मेहंदीपुर बालाजी मंदिर, राजस्थान

यह शायद देश का एकमात्र ऐसा मंदिर है जहां लोग भूत भगाने के लिए आते हैं। राजस्थान में मेहंदीपुर बालाजी मंदिर के भायवह माहौल को देखकर ही लोगों के दिल में डर बैठ जाता है, ये जगह कमजोर दिल वालों के लिए तो बिल्कुल भी नहीं है। मंदिर हनुमान जी को समर्पित है, जिन्हें एक रक्षक के रूप में जाना जाता है। यहां लोग खुद को जंजीरों से बांध लेते हैं और बुरी आत्माओं से छुटकारा पाने के लिए खुद को पीटते हैं। यही नहीं, यहां लोग खुद पर उबलता पानी भी डालते हैं। मंदिर से निकलने के बाद लोगों को प्रसाद नहीं ले जाना होता।