सावन में भोलेनाथ को करें प्रसन्न, परिवार संग करे इन मदिरों की सैर

सावन महीने में घूमने का अपना ही मजा है। प्रकृति जहां हर ओर मुस्‍कुराती हुई दिखती है। यह महीना भगवान शिव को समर्पित होता है। इस महीने में भगवान शिव जी और माता पार्वती की पूजा उपासना की जाती है। मान्यता है कि सच्ची श्रद्धा से भगवान शिव की पूजा करने वाले व्यक्ति की मनोकामना शीघ्र पूरी हो जाती है। चारों तरफ उत्साह, उमंग और आनंद का वातावरण फैला रहता है। अगर आप भी सावन के महीने में घूमने की प्लानिंग कर रहे हैं तो शिव के मंदिर घूमने के लिए सबसे अच्छा स्थान हो सकते है। तो चलिए हम आपको भारत के कुछ प्रमुख शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे है जो न केवल धार्मिक प्रेमियों बल्कि इतिहास शोकिनो को भी अपनी ओर आकर्षित करते हैं।

हरिहर धाम मंदिर में स्‍थापित शिवलिंग की बड़ी महिमा है। यहां श्रावण पूर्णिमा पर भक्‍तों की खूब भीड़ इकट्ठा होती है। इसके अलावा हरिहर धाम में लोग शिव की शरण में आकर शादी के बंधन में भी बंधते हैं। हरिहर धाम में शादी की यह परंपरा सालों से चली आ रही है।

यह पग-पग पर हैं शिवलिंग

कर्नाटक के कोलारा जिले में स्‍थापित इस कोटिलिंगेश्‍वर मंदिर में महादेव का दुनिया का सबसे ऊंचा शिवलिंग स्‍थापित है। बता दें कि इस शिवलिंग की ऊंचाई 108 फीट है और यहीं महादेव के इस विशाल शिवलिंग के सामने ही नंदी बाबा के दर्शन होते हैं। उनका स्‍वरूप 4 फीट ऊंचे चबूतरे पर 35 फीट ऊंचा, 60 फीट लंबा और 40 फीट चौड़े स्‍वरूप में देखने को मिलता है। इसके अलावा मंदिर परिसर में आने वाले श्रद्धालु भी शिवलिंग के आस-पास शिवलिंग स्‍थापित करवाते हैं। आज के समय में यहां 8।6 मिलियन शिवलिंग हैं।

सोने का पानी चढ़ा हुआ शिखर

भोलेनाथ का यह मंदिर आंध्र प्रदेश के श्रीशैलम में कृष्णा नदी के तट पर स्थित है। इस मंदिर का नाम है मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर। शिव का यह मंदिर भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। मंदिर में सोने का पानी चढ़ा हुआ शिखर, चांदी के दरवाजे और सुन्दर रूप से सजे हुए स्तंभों के कारण यह तीर्थ यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बना हुआ है। मंदिर में भगवान शिव को मल्लिकार्जुन और देवी पार्वती को भद्रकाली के रूप में पूजा जाता है इस मंदिर का निर्माण लगभग 6 शताब्दी पहले बिजयनगर साम्राज्य के राजा हरिहर राया द्वारा करबाया गया था। मल्लिकार्जुन स्वामी मंदिर भारत में घूमने के लिए तीर्थ यात्रियों के साथ-साथ इतिहास प्रेमियों के लिए भी लोकप्रिय मंदिरों में से एक है।

एक ही पत्‍थर से निर्मित है यहां का शिवलिंग

भोलेनाथ का यह मंदिर मध्‍यप्रदेश के अनूपपुर में स्‍थापित है। यहां पर स्‍थापित शिवलिंग की रचना एक ही पत्‍थर से हुई है। महादेव के इस मंदिर की एक खास बात भी है कि यहां एक ही स्‍थान पर सभी 12 ज्‍योर्तिलिंगों के दर्शन हो जाते हैं। इसके अलावा नर्मदा नदी का उद्गम भी इसी स्‍थान से होता है। मंदिर के आसपास कलकल करता झरनों का संगीत और यहां की हरियाली इस जगह को और भी खूबसूरत बनाती है।

मुर्दे की भस्म से होता है महाकाल का शृंगार

मध्‍यप्रदेश के उज्जैन में स्थित महाकालेश्वर मंदिर में बिराजमान देवता स्वायंभु लिंगम हैं जिन्हें दक्षिणामूर्ति कहा जाता है। यहाँ होने वाली भस्म आरती खास मानी जाती है क्योंकि इसमें मुर्दे की भस्म से महाकाल का शृंगार किया जाता है। महाकालेश्वर मंदिर भारत में घूमने के लिए सबसे लोकप्रिय शिव मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

मोटे महादेव के नाम जाने जाते है

महाराष्ट्र के पुणे में भीमा नदी के उदगम पर स्थित भीमाशंकर मंदिर में स्थापित शिव लिंग बहुत मोटे है जिस कारण उन्हें मोटे महादेव के नाम से भी जाना जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, त्रिपुरासुर नाम के एक राक्षस ने भीमाशंकर के सबसे गहरे जंगल में तपस्या की और भगवान शिव को प्रसन्न कर अमरता का वरदान प्राप्त किया था। वह वरदान मनुष्यों की भलाई के लिए का उपयोग करना था लेकिन वह समय के साथ भूल गया और देवताओं के आदेश की अवज्ञा करने लगा। ऐसे में उसके बुरे कामों को रोकने के लिए, भगवान शिव और देवी पार्वती ने अर्धनारीश्वर नामक एक नया रूप धारण कर भीमाशंकर की हत्या कर दी। इस घटना के बाद भीमाशंकर एक श्रद्धेय धार्मिक स्थल के रूप में बदल गया। भीमाशंकर मंदिर भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है।

पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है इंसान

वाराणसी में स्थित काशी विश्वनाथ को लेकर यह कहा जाता है कि जो व्यक्ति इस स्थान पर देह त्याग देता है वह पुनर्जन्म के चक्र से मुक्त हो जाता है। काशी विश्वनाथ शैव धर्म में एक महत्वपूर्ण स्थान रखता है और शिवरात्रि उत्सव के दौरान है मंदिर अपने सबसे सुंदर रूप में देखने को मिलता है। भारत में घूमने के लिए वाराणसी शहर भारत के सबसे लोकप्रिय ,पुराने व ऐतिहासिक शहरो में से एक है।

पूरी तरह काले पत्थर से बना है मंदिर

नासिक शहर से लगभग 28 किमी की दूरी पर गोदावरी नदी के तट पर स्थित है त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर जो भारत में स्थापित 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर पेशवा बालाजी बाजी राव द्वारा बनवाया गया था। यह क्लासिक हेमाडपंथी शैली में निर्मित मंदिर पूरी तरह काले पत्थर से बना है जो भारत में सबसे लोकप्रिय शिव मंदिरों में गिना जाता है। त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर के शिव लिंग में भगवान विष्णु, भगवान ब्रह्मा और भगवान रुद्र के रूप में तीन मुखों को दर्शाया गया है। जो हीरे और महंगे रत्नों से जड़े तीन अलग-अलग स्वर्ण मुकुटों के साथ लिंग में सुशोभित हैं।

कामना लिंग के नाम से प्रसिद्ध

झारखंड देवघर में स्थापित बैधनाथ मंदिर को वैद्यनाथ धाम या बाबा धाम भी कहा जाता है, जो भारत के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। मंदिर के परिसर में 22 मंदिर और हैं, जो विभिन्न देवताओं को समर्पित हैं। इस मंदिर में दिखाई देने वाले प्राचीन तत्व, पंचशूल, चंद्रकांता मणि और लिंगम एक अद्वितीय पत्थर से बना है। और कहा जाता है कि यहाँ आने वाले तीर्थ यात्रियों की सारी मनोकामनाये भी पूर्ण होती है जिससे इन्हें कामना लिंग के नाम से भी जाना जाता है। पोराणिक कथाओं के अनुसार भगवान शिव को प्रसन्न करने के लिए रावण ने यहां अपने दसो सिरों का बलिदान कर दिये थे। जिसके बाद शिव जी ने प्रसन्न होकर रावण के सिरों को वापिस पहले जैसे कर दिये और वरदान मांगने को कहा था।

हनुमान जी कैलाश से लेकर आए थे मूर्ति

तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थापित रामानाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारत का सबसे लोकप्रिय शिव मंदिर है। रामानाथस्वामी मंदिर उस स्थान पर बनाया गया है जहां भगवान राम ने ब्राह्मण रावण को मारने वाले पाप से छुटकारा पाने के लिए शिव की पूजा की थी। भगवान शिव की मूर्ति (बड़ा वाला) भगवान राम के भक्त हनुमान द्वारा कैलाश से लायी गई थी। रामानाथस्वामी मंदिर में कला और वास्तुकला के प्रेमियों के बीच मंदिर का महत्वपूर्ण धार्मिक मूल्य और महत्व है। रामेश्वरम पूरे भारत में शिवभक्ति के लिए प्रसिद्ध माना जाता है।

बलुआ पत्थर और लेटराइट से बना विशाल मंदिर

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर शहर की सबसे पुरानी संरचनाओं में से एक है। इस मंदिर को बलुआ पत्थर और लेटराइट से बनाया गया था। कलिंग शैली की वास्तुकला का अद्भुत उदाहरण है, लिंगराज मंदिर ओडिशा के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। इस मंदिर में पीठासीन देवता भगवान हरिहर स्तापित है। जो भगवान शिव के रूपों में से एक है। माना जाता है कि लिंगराज मंदिर का निर्माण सोमवंशी राजवंश के राजाओं द्वारा किया गया था और फिर बाद में इसे गंगा साम्राज्य के शासकों द्वारा संशोधित किया गया था। भारत में घूमने के लिए लिंगराज मंदिर भारत के सबसे लोकप्रिय शिव मंदिरों में से एक माना जाता है।