प्राकृतिक सुंदरता का भव्य नजारा देता हैं मनाली, जरूर करें यहां इन 9 जगहों की सैर

जब भी कभी घूमने जाने की बात आती हैं तो हिल स्टेशन का सबसे ज्यादा चुनाव किया जाता हैं। इन्हीं हिल स्टेशन में एक हैं हिमाचल प्रदेश का मनाली जिसे अपनी प्राकृतिक सुदरता के लिए जाना जाता हैं। लोग मनाली पहुंचकर नेचर का लुत्फ़ उठाते हुए शांति और सुकून की अनुभूति करते हैं। यह समुद्र तल से तकरीबन 6400 फीट की ऊंचाई पर स्थित हैं। अगर आप भी मनाली घूमने जाने का प्लान कर रहे हैं तो आज हम आपको यहां की कुछ प्रसिद्द जगहों के बारे में जानकरी देने जा रहे हैं जहां की सैर जरूर करनी चाहिए। ये जगहें आपको मनाली घूमने का पूरा मजा देगी। तो आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

वशिष्ट टेंपल, मनाली (Vashisht Temple, Manali)

मनाली से 6 किलोमीटर की दूरी पर स्थित कहावी नदी के तट पर बना हुआ यह वशिष्ट टेंपल वशिष्ठ गांव में मौजूद है। यहां पर एक गर्म पानी के कुंड हैं जहां से सल्फर वाटर निकलता है। साथ ही इस गर्म पानी के कुंड के लिए माना जाता है कि पानी में नहाने से हर तरह के त्वचा रोग दूर हो जाते है। इसके पास में ही भगवान श्रीराम को समर्पित एक रामा मंदिर भी है।

नगर कैसल, मनाली (Nagar Caisal, Manali)

मनाली से लगभग 21 किलोमीटर की दूरी पर स्थित नगर कैसल का निर्माण 1460 में कुल्लू के राजा सिद्ध सिंह ने करवाया था। इस कैसल को बनाने में पूरी तरह से लकड़ी और पत्थरों का इस्तेमाल हुआ है। व्यास नदी के तट पर ही कैसल मौजूद है। फिल्म जब वी मेट का एक गाना यहीं पर फिल्माया गया था।

मणिकरण गुरुद्वारा, मनाली (Manipur Gurudwara, Manali)

मनाली से 80 किलोमीटर की दूरी पर मणिकरण गुरुद्वारा स्थित है, गुरुद्वारे के बाहर ही पार्वती नदी बहती है। इसके साथ ही गुरुद्वारे के बाहर ही शिव मंदिर मौजूद है जिसे द्वापर युग का माना जाता है। कहा जाता है कि इसी मंदिर में भगवान शिव और माता पार्वती ने 11000 वर्षों तक तपस्या की थी। इस गुरुद्वारे में चौबीसों घंटे लंगर होता है। इस मंदिर के पास ही एक गर्म पानी का कुंड भी मौजूद है। इसके साथ ही इस गुरुद्वारा में चौबीसों घंटे लंगर चलता है।

हिडिंबा देवी टेंपल, मनाली (Hidimba Devi Temple, Manali)

सन 1553 में कुल्लू के राजा बहादुर सिंह ने इस मंदिर की रचना करवाई थी। मॉल रोड से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित यह मंदिर एक ही पत्थर में गुफानुमा आकार में बना हुआ है। कहा जाता है कि राजा ने सभी कारीगरों के इस मंदिर के पूर्ण निर्माण के बाद हाथ कटवा दिए थे। 14 मई को हर साल इस मंदिर में देवी का जन्मदिन मनाया जाता है जिसमे शामिल होने दूर दूर से लोग यहां आते है।

सोलांग वैली,मनाली (Solaang Velly, Manali)

सोलांग वैली मनाली के प्रसिद्ध वैली में से एक है, जिसकी ऊंचाई 11 मीटर है। यहां पर हर साल विंटर की फेस्टिवल का भी आयोजन होता है। जिसके लिए लोग दुनिया भर से यहां शामिल होने के लिए आते है। इसके साथ ही यहां पर भगवान शिव को समर्पित एक मंदिर भी है। इसके अलावा आप सोलांग वैली पर आकर घुड़सवारी और पैराग्लाइडिंग भी कर सकते हैं।

पिन वैली नेशनल पार्क, मनाली (Pin Velly Park, Manali)

इस नेशनल पार्क की स्थापना सन 1987 में की गई थी, को कि स्पिटी घाटी में स्थित हैं। यह हिमाचल प्रदेश का इकलौता ऐसा नेशनल पार्क है जो कि ठंडे रेगिस्तान में फैला हुआ है। जहां पर आप हिम तेंदुए के देख सकते है। इसके साथ ही बहुत सारे विलुप्त हो रहे जंगली जानवर भी आपको यहां देखने को मिल सकते हैं। इस नेशनल पार्क में जाने के लिए आपको परमिशन की ज़रूर होती हैं।

मनु टेंपल, मनाली (Manu Temple, Manali)

मॉल रोड से 1 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मनु टेंपल (Manu Temple) व्यास नदी के तट पर पुरानी मनाली में स्थित हैं। मनु के धरती पर पड़े पहले कदम की छाप इस मंदिर पर मौजूद है। ब्रह्मा जी द्वारा बनाए गए मनु सबसे पहले मनुष्य थे, और इसी जगह पर मनु के सात बार जन्म और उनकी सात बार मृत्यु हुई थी।

जोगिनी वॉटर फॉल्स, मनाली (Jogini water falls, Manali)

कुल्लू घाटी से होकर बीस रिवर को जाता हुआ यह एक नेचुरल वाटर फॉल है, जो कि काबकी देवी जोगिनी को समर्पित पवित्र स्थल है। जिसे यहां पर महिला शक्ति का स्थल भी माना जाता है इसीलिए इस स्थान शक्तिपीठ के रूप में जाना जाता है। यहां आकर आप वॉटर फॉल्स के नीचे रहकर वादियों और पहाड़ों के नजारों का मजा ले सकते हैं।

रोहतांग पास, मनाली (Rohtaang Pass, Manali)

दुनिया की सबसे ऊंचे स्थानों पर चलने वाली सड़क जो मनाली से 50 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है, जिसकी ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 4111 किलोमीटर की हुई। हर साल जहां दुनिया भर से लाखों पर्यटक घूमने के लिए यहां आते हैं। यहां पर ग्लेशियर और पहाड़ों का खूबसूरत नजारा देखने को मिलता हैं। साथ ही यहां आप माउंटेन बाइकिंग, पैराग्लाइडिंग और ट्रैकिंग जैसी एक्टिविटी का भी आनंद ले सकते हैं। यह जगह चारों तरफ बर्फ से ढंकी हुई हैं। इस जगह को मई में खोला जाता है और सितंबर में बर्फबारी होने के कारण बंद कर दिया जाता हैं।