राम मंदिर के अलावा ये स्थल भी बढ़ाते हैं अयोध्या का धार्मिक महत्व, जरूर जाएं यहां घूमने

अयोध्या ही नहीं देश और दुनिया को उस खास दिन का इंतजार है जब मर्यादा पुरषोत्तम राम अपने भव्य घर में विराजेंगे। राम मंदिर को बनाने का काम जोरशोर से किया जा रहा है। राम मंदिर का अभिषेक समारोह 22 जनवरी, 2024 को होने की उम्मीद है। अयोध्या भारत का एक प्राचीन शहर है जिसे हिंदू महाकाव्य रामायण के अनुसार भगवान राम के जन्मस्थान के रूप में जाना जाता है। भक्तगण और पर्यटक यहां घूमने और यहां के ऐतिहासिक स्थलों की यात्रा करने के लिए आते हैं। अयोध्या मुख्य रूप से मंदिरों का शहर है, जिसकी स्थापना मनु ने की थी। यहां राम मंदिर के अलावा भी कई ऐसे स्थल हैं जो अयोध्या का धार्मिक महत्व बढ़ाने का काम करते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको इन्हीं स्थलों की जानकारी देने जा रहे हैं।

हनुमान गढ़ी

हनुमान गढ़ी अयोध्या के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक है। हनुमान गढ़ी में हनुमान को समर्पित एक मंदिर है, जिसका अपना एक अलग धार्मिक महत्व है। यह मंदिर वाली जगह पहले अवध के नवाब की थी, जिसने इसे मंदिर के निर्माण के लिए दान दिया था। यह मंदिर एक पहाड़ी की चोटी पर स्थित है जिसे 10 वीं शताब्दी में बनवाया था। मंदिर तक पहुंचने के लिए यात्रियों को 76 सीढ़ी से होकर जाना होता है। मंदिर में स्थित हनुमान जी की मूर्ति भक्तों का स्वागत करती है। पहाड़ी की चोटी आसपास के पहाड़ियों का बेहद शानदार दृश्य नजर आता है। हिंदू धर्म के लोग बड़ी संख्या में इस मंदिर की यात्रा करने के लिए आते हैं और हनुमान जी के दर्शन करने के साथ ही अपने पापों से मुक्ति के लिए भी प्रार्थना करते हैं।

कनक भवन

जैसा की आप नाम से समझ पा रहे होंगे कि यह कनक अर्थात् सोने से बना है, इसलिए इसे “सोने का घर” भी कहा जाता है। मंदिर में भगवान राम व सीता की बेहद खूबसूरत प्रतिमा है जिनके सिर पर सोने का ताज स्थापित है। मूर्ति देखकर ही आप इसकी महीन कलाकारी के मुरीद हो जाऐंगे। इस भवन के एक हिस्से में गीत-संगीत का अद्भुत प्रदर्शन किया जाता है जो यहाँ का मुख्य आकर्षण है और इसी कारण यहाँ यात्रियों की भारी भीड़ बनी रहती है।

तुलसी स्मारक भवन

माना जाता है कि 16वीं सदी के संत-कवि गोस्वामी तुलसीदास की स्मृति में स्थापित तुलसी स्मारक भवन वह स्थान है, जहां तुलसीदास ने रामचरित की रचना की थी। अयोध्या में राजगांग क्रॉसिंग पर राष्ट्रीय राजमार्ग के पूर्वी छोर पर स्थित, स्मारक 1969 में बनाया गया था, उस समय के उत्तर प्रदेश के राज्यपाल श्री विश्वनाथ दास थे। विशाल पुस्तकालय में आपको समृद्ध साहित्य का भंडार देखने को मिल जाएगा। स्मारक में 'अयोध्या अनुसंधान संस्थान' नामक एक शोध केंद्र भी है। इसका उपयोग अयोध्या के बारे में साहित्यिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक जानकारी के अध्ययन और महत्व को जोड़ने के लिए किया जाता है। केंद्र रामायण कला और शिल्प को भी प्रदर्शित करता है और इसमें रामकथा का रोजाना पाठ भी होता है।

दशरथ महल

दशरथ महल अयोध्या शहर के बीचो-बिच स्थित हनुमान गढ़ी से बस थोड़ी ही दूरी पर है। राजा दशरथ अयोध्या के राजा और प्रभु श्री राम के पिता थे। इस महल के अंदर एक मंदिर भी है जहाँ भगवान श्री राम, लक्ष्मण और माता सीता के साथ-साथ भरत और शत्रुघन कि मूर्तियाँ स्थापित है। आज यह महल एक पवित्र मंदिर के रूप मे तब्दील हो चूका है जहाँ हर समय रामायण के पाठ और गीत संगीत होते रहते है दशरथ महल को बड़ा स्थान या बड़ी जगह के नाम से भी जाना जाता है।

त्रेता के ठाकुर

त्रेता के ठाकुर अयोध्या में सरयू नदी के तट पर स्थित एक प्राचीन मंदिर है। ऐसा माना जाता है कि इस मंदिर में भगवान राम की मूर्तियों को रखा गया है जो प्राचीन समय में काले रेत के पत्थरों से उकेरी गई थीं। इस मंदिर के बारे में यह भी कहा जाता है कि यह वही जगह है जहां पर श्री राम ने अश्वमेध यज्ञ किया था। अगर आप अयोध्या की यात्रा करने के लिए जा रहे हैं तो आपको इस पवित्र मंदिर के दर्शन के लिए जरुर जाना चाहिए।

सीता की रसोई

राम जन्मस्थान के उत्तर-पश्चिमी तरफ यह स्थित है। यह एक मंदिर है जिसे रसोई में तब्दील किया गया है। सीता को अन्नपूर्णा व अन्न की देवी कहा जाता है इसी मानसिकता को ध्यान में रखते हुए इसका निर्माण किया गया है। मंदिर के एक हिस्से में भगवान राम व उनके भाईयों व उनकी पत्नियों की मूर्तियां है। राम-सीता, लक्ष्मण-उर्मिला, भरत-मांडवी, शत्रुघ्न-श्रुताकीर्ति सभी की अपने जोड़े के साथ प्रतिमाएँ आपको यहाँ देखने को मिलता है।

गुप्तार घाट

सरयू नदी के तट पर स्थित, जिसे घग्गर के नाम से भी जाना जाता है, गुप्तार घाट अयोध्या के पास फैजाबाद में एक प्रतिष्ठित स्थल है। पवित्र नदी की ओर जाने वाली सीढ़ियों के साथ, यह घाट कभी औपनिवेशिक कंपनी गार्डन का पड़ोसी था, जिसे अब गुप्त घाट वन के नाम से जाना जाता है। इस स्थान पर भगवान राम ने ध्यान किया था और नदी में 'जल समाधि' ली थी। जिसके बाद, उन्होंने 'बैकुंठ' प्राप्त किया और भगवान विष्णु के अवतार के रूप में स्वर्ग में उतरे।

रामकथा पार्क

यह पार्क बहुत बड़े क्षेत्र में फैला हुआ है जहाँ आपको आध्यात्मिकता, सांस्कृतिक, धार्मिक कार्यक्रम, नाच-गाना व कविता, कथाऐं ये सभी यहाँ का हिस्सा है। यात्री यहाँ आकर बहुत रोमांचित महसूस करते है। यहाँ राष्ट्रीय व अंतर्राष्ट्रीय दोनों तरह के कलाकारों को अपने सितारे चमकाने का मौका दिया जाता है। शाम के वक्त बच्चों के लिए मैदान व व्यस्कों।के लिए बगीचे भी यहाँ उपस्थित हैं।

राजा मंदिर

यह मंदिर सरयूँ नदी के तट पर स्थित है। मंदिर में बहुत से देवी-देवताओं की सुंदर प्रतिमाएँ स्थापित की गई है। आप एक ही जगह पर एक ही साथ अनेकों भगवान के साक्षी बन सकते हैं। हिंदू वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण आपको यहाँ आकर देखने को मिलेगा! आप भक्ति -भाव में लीन हो जाऐंगे। नदी के किनारे बसा होने के कारण आपको एक रमणीय नज़ारा देखने का अवसर भी प्राप्त होगा।