काठगोदाम भारत के उत्तराखंड प्रांत में स्थित एक शहर है। काठगोदाम कुमाऊँ का द्वार है। यह छोटा सा नगर पहाड़ के पास प्रदेश में बसा है। गौला नदी इसके दायें से होकर हल्द्वानी की ओर बढ़ती है। पूर्वोतर रेलवे का यह अन्तिम स्टेशन है। यहाँ से बरेली, लखनऊ तथा आगरा के लिए छोटी लाइन की रेल चलती है। काठगोदाम से नैनीताल, अल्मोड़ा, रानीखेत और पिथौरागढ़ के लिए के. एम. ओ. यू. की बसें जाती है। कुमाऊँ के सभी अंचलों के लिए यहाँ से बसें जाती हैं। उत्तराखंड के नैनीताल जिले का यह क्षेत्र समुद्र तल से 554 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। काठगोदाम का शाब्दिक अर्थ होता है 'लकड़ियों का गोदाम'। यह अर्थ काफी सही भी मालूम पड़ता है, क्योंकि यह शहर जिले में व्यापार और व्यवसाय का प्रमुख केंद्र है। इस खूबसूरत से शहर के पास कई खूबसूरत मनमोहक जगहें स्थित है, जहां वीकेंड के दौरान घूमा जा सकता है, जैसे 'कालीचौद' नामक खूबसूरत मंदिर, नैनीताल जैसा खूबसूरत हिल स्टेशन, गौला नदी पर बना बांध आदि। काठगोदाम में पास में ऐसी कई स्थान है जहा आप अपनी छुटियों का मज़ा ले सकतीं है
# कालीचौड़ मंदिर माँ कालीचौड़ मंदिर मां काली को समर्पित है और हल्द्वानी से लगभग 10 किमी की दूरी पर गोलापार में है । आपको मंदिर तक पहुंचने के लिए मुख्य सडक से 2 किलोमीटर की यात्रा तय करनी होती हैद्य माँ कालीचैड़ मंन्दिर में पर्यटक काफी दूर.दूर से माँ काली के दर्शन के लिए आते है। मंन्दिर परिसर में स्थानीय लोगो का भी काफी संख्या में आते हैं। माँ कालीचैड़ मंन्दिर माँ काली के प्राचीन मंन्दिरो में से एक है। मंन्दिर परिसर में माँ काली की भव्य मूर्ति स्थापित है और मंन्दिर परिसर में भगवान शिव माँ पार्वति और श्री गणेश जी के साथ विराजित है। मंन्दिर परिसर मे भगवान शिव का भव्य शिवलिंग भी स्थापित है जिस कारण शिवरात्रि के समय भक्त मंन्दिर में काफी संख्या में आते हैं।
# गौला नदी गौला नदी भारत के उत्तराखण्ड राज्य में बहने वाली एक नदी है। यह लगभग 500 किमी (310 मील) लंबी है। इसे किच्छा नाम से भी जाना जाता है। यह नदी उत्तराखंड राज्य में सात ताल से निकल कर उत्तर प्रदेश में बरेली से 15 किमी (9.3 मील) उत्तर-पश्चिम में रामगंगा नदी में मिल जाती है। इस नदी का उद्गम भीडापानी, मोरनौला-शहर फाटक की ऊंची पर्वतमाला के जलस्रोतों से होता है। उसके बाद भीमताल, सात ताल की झीलों से आने वाली छोटी नदियों के मिलने से यह हैड़ाखान तक काफ़ी बड़ी नदी बन जाती है। काठगोदाम, हल्द्वानी, किच्छा, शाही इत्यादि नगर इसके तट पर बसे हैं। इस नदी पर बना गौला बांध पर्यटकों को पिकनिक मनाने के लिए खूब आकर्षित करता है।
# हनुमान गढ़ी हनुमान गढ़ी नैनीताल से 3 किमी और काठगोदाम से 21 किमी की दूरी पर स्थित हनुमान गढ़ी राम भक्त हनुमान को समर्पित है। यह मंदिर ‘नीम करोली बाबा' के द्वारा के द्वारा 1950 में बनाया गया था। इसके अलावा ‘शीतला माता मंदिर' और ‘लीला शाह बापू का आश्रम', पहाड़ी के दूसरी ओर स्थित है। इस मंदिर से आप डूबते हुए सूरज के अलौकिक रंगों को निहार सकते हैं।
काठगोदाम से दूरी- 21 किमी
# नैनीताल नैनीताल भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पर्यटन नगर है। यह नैनीताल जिले का मुख्यालय भी है। कुमाऊँ क्षेत्र में नैनीताल जिले का विशेष महत्व है। देश के प्रमुख क्षेत्रों में नैनीताल की गणना होती है। यह 'छखाता' परगने में आता है। 'छखाता' नाम 'षष्टिखात' से बना है। 'षष्टिखात' का तात्पर्य साठ तालों से है। इस अंचल में पहले साठ मनोरम ताल थे। इसीलिए इस क्षेत्र को 'षष्टिखात' कहा जाता था। आज इस अंचल को 'छखाता' नाम से अधिक जाना जाता है। आज भी नैनीताल जिले में सबसे अधिक ताल हैं। इसे भारत का लेक डिस्ट्रिक्ट कहा जाता है, क्योंकि यह पूरी जगह झीलों से घिरी हुई है। 'नैनी' शब्द का अर्थ है आँखें और 'ताल' का अर्थ है झील। झीलों का शहर नैनीताल उत्तराखंड का प्रसिद्ध पर्यटन स्थल है। बर्फ़ से ढ़के पहाड़ों के बीच बसा यह स्थान झीलों से घिरा हुआ है। इनमें से सबसे प्रमुख झील नैनी झील है जिसके नाम पर इस जगह का नाम नैनीताल पड़ा है। इसलिए इसे झीलों का शहर भी कहा जाता है। नैनीताल को जिधर से देखा जाए, यह बेहद ख़ूबसूरत है।
काठगोदाम से दूरी- 33किमी
# रानीखेत रानीखेत भारत के उत्तराखण्ड राज्य का एक प्रमुख पहाड़ी पर्यटन स्थल है। यह राज्य के अल्मोड़ा जनपद के अंतर्गत स्थित एक फौजी छावनी है। देवदार और बलूत के वृक्षों से घिरा रानीखेत बहुत ही रमणीक हिल स्टेशन है। इस स्थान से हिमाच्छादित मध्य हिमालयी श्रेणियाँ स्पष्ट देखी जा सकती हैं। रानीखेत से सुविधापूर्वक भ्रमण के लिए पिण्डारी ग्लेशियर, कौसानी, चौबटिया और कालिका पहुँचा जा सकता है। चौबटिया में प्रदेश सरकार के फलों के उद्यान हैं। इस पर्वतीय नगरी का मुख्य आकर्षण यहाँ विराजती नैसर्गिक शान्ति है। रानीखेत में फ़ौजी छावनी भी है और गोल्फ़ प्रेमियों के लिए एक सुन्दर पार्क भी है।
काठगोदाम से दूरी-75किमी
# अल्मोड़ा उत्तराखंड में स्थित अल्मोड़ा दूर दूर तक फैले बर्फ के पहाड़, उनपर बिखरी रुई की जैसी सफ़ेद बर्फ, फूलों से भरे हुए खुशबूदार पेड़, नर्म मुलायम घास, कल कल करते चांदी की भांति गिरते झरने और मन को मोह लेने वाले मनोरम दृश्य को देख कर ऐसा महसूस होता है जैसे 'अल्मोड़ा' खूबसूरत विशाल पहाड़ों की गोद में आराम कर रहा हो। पर्यटक यहां जीरो प्वाइंट, नंदा देवी मंदिर, मरतोला, डीयर पार्क, गोविंद बनलभ पैंट म्यूज़ियम आदि घूम सकते हैं।
काठगोदाम से दूरी-82किमी
# बिनसरबिनसर एक ऐसा स्थान है जो अनछुए प्राकृतिक वैभव और शांत परिवेश के लिए जाना जाता है।यह जगह प्राकृतिक प्रेमियों के लिए किसी स्वर्ग से कम नहीं है। घने देवदार के जंगलों से निकलते हुए शिखर की ओर रास्ता जाता है, जहां से हिमालय पर्वत श्रृंखला का अकाट्य दृश्य और चारों ओर की घाटी देखी जा सकती है। बिनसर से हिमालय की केदारनाथ, चौखंबा, त्रिशूल, नंदा देवी, नंदाकोट और पंचोली चोटियों की 300 किलोमीटर लंबी शृंखला दिखाई देती है, जो अपने आप मे अद्भुत है और ये बिनसर का सबसे बडा आकर्षण भी हैं।
काठगोदाम से दूरी- 261किमी
# जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क कॉर्बेट नेशनल पार्क उन वन्य जीव प्रेमियों के लिए स्वर्ग है, जो प्रकृति की शांत गोद में आराम करना चाहते हैं।यह राष्ट्रीय उद्यान हिमालय की तलहटी में स्थित है और अपने हरे-भरे वातावरण के लिए जाना जाता है। यह राष्ट्रीय उद्यान विशाल हिमालय की तलहटी में स्थित है और अपने हरे भरे वातावरण के लिए जाना जाता है। भारत जंगली बाघों की सबसे अधिक आबादी के लिए पूरे विश्व में प्रसिद्द है और जिम कॉर्बेट पार्क लगभग 160 बाघों का आवास है। यह रामगंगा नदी के किनारे स्थित है और यहाँ के आकर्षक पर्यटन स्थलों का भ्रमण करने तथा साहसिक सफ़ारी के लिए पर्यटक यहाँ आते हैं।
काठगोदाम से दूरी- 144 किमी
# पिथौरागढ़ उत्तराखंड का छोटा कश्मीर के नाम से प्रसिद्ध पिथौरागढ़ में आपको हर वह चीज मिलेगी जो कश्मीर में मिल सकती है। पिथौरागढ़ के आस पास बहुत सी झीलें, हरी-भरी पहाड़ियाँ और ऊँचे-नीचे घुमावदार रास्ते मन को एक नजर में ही भा जाते हैं।