भारत का लोकप्रिय स्थल है उत्तराखण्ड, इसकी गोद में बसे हैं हिन्दुओं के चार पवित्र तीर्थ स्थल, इनको देखे बिना अधूरी रहती है धर्म यात्रा

उत्तराखंड की मनोरम वादियों, हिमालय, झील-झरने और तालों को देखने के लिए दुनियाभर से पर्यटक आते हैं। नैनीताल हो या फिर मसूरी ये शहर पर्यटकों से भरे रहते हैं। उत्तराखंड की नैसर्गिक खूबसूरती के बारे में कहा जाता है कि इसके आगे यूरोप की खूबसूरती भी फेल है। उत्तराखंड भारत का एक खूबसूरत राज्य हैं और इसकी राजधानी देहरादून हैं। उत्तराखंड देवभूमि या देवों की भूमि के रूप में भी प्रसिद्ध हैं। उत्तराखंड को उत्तर प्रदेश राज्य से काट कर एक अलग राज्य बनाया गया हैं, जिसे पहले उत्तरांचल के रूप में भी जाना जाता था। उत्तराखंड एक ऐसा स्थान है जो न केवल हिमालय की खूबसूरती का दावा करता हैं बल्कि एक सांस्कृतिक सभ्यता और लोकाचार की भावना को भी प्रकट करता हैं। राज्य में ओक, बिर्च, चांदी के फेयर और रोडोडेंड्रोन के साथ-साथ यहां की खड़ी पहाड़ी, ढलानों पर चढ़ने का खूबसूरत अनुभव भी पर्यटक ले सकते हैं।

हिन्दुओं के लिए क्यों खास है उत्तराखण्ड


उत्तराखंड भारत का एक बहुत ही लोकप्रिय तीर्थ स्थल है और इसी राज्य से हिन्दू धर्म में सबसे पवित्र और पावन मानी जाने वाली नदियों में से दो नदियां गंगा और यमुना का उद्गम स्थल है। उत्तराखंड तीर्थो के चारो धाम हैं और हिन्दू धर्म के मुताबिक श्रद्धालुओं के सबसे पवित्र चार स्थल – केदारनाथ, गंगोत्री, यमुनोत्री और बद्रीनाथ उत्तराखंड राज्य की गोद में बसे हुए हैं।

उत्तराखण्ड में हिल स्टेशन


उत्तराखंड राज्य में कई हिल स्टेशनहैं। जैसे – अल्मोड़ा, कौसानी, भीमताल, मसूरी, नैनीताल, धनोल्टी, लैंसडाउन, सटल और रानीखेत हैं। जोकि पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। गर्मियों में ठंडा रहने की वजह और अन्य क्रियाकलापों के लिए भी इन हिल स्टेशन का महत्व बहुत अधिक बढ़ जाता हैं। पर्यटक गर्मी के मौसम और छुट्टियां बिताने के लिए यहां भारी संख्या में आते हैं।

केदारनाथ

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल केदारनाथ अपने प्राचीन शिव मंदिर, तीर्थ स्थल, हिमालय पर्वतमाला और मन्त्र मुग्ध कर देने वाले परीदृश्यों के लिए लोकप्रिय है। केदारनाथ मंदिर चोराबाड़ी ग्लेशियर और केदारनाथ की चोटियों से घिरा हुआ है। केदारनाथ में बर्फ से ढकी चोटियों के साथ-साथ अनगिनत पर्वतमालाए है।

बद्रीनाथ

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल बद्रीनाथ नर और नारायण पर्वत श्रृंखलाओं के बीचो बीच नीलकंठ पर्वत शिखर पर स्थित चारों धामों में से एक तीर्थ स्थल हैं। बद्रीनाथ धाम भगवान विष्णु को समर्पित एक तीर्थस्थल है जो प्रतिबर्ष लाखों तीर्थ यात्रियों की मेजबानी करता है। बद्रीनाथ धाम का उल्लेख विभिन्न वेदों में भी किया गया है। उत्तराखंड का पर्यटन स्थल बद्रीनाथ हिंदू पौराणिक कथाओं में उल्लेखित होने के कारण विशेष रूप से भगवान शिव से संबंधित है।

यमुनोत्री

उत्तराखंड का पर्यटन स्थल यमुनोत्री यमुना नदी की उत्पत्ति के रूप में श्रद्धालुओं के लिए एक विशेष पर्यटन स्थल बन चुका हैं और यह छोटे चार धाम में से एक हैं। 3293 मीटर की ऊंचाई पर स्थित योमुनोत्री धाम गढ़वाल हिमालय की गोद में बसा हुआ हैं। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार यम की बहन के रूप में यमुना को मौत के देवता के रूप में प्रतिष्ठित करती हैं। यह भी माना जाता है कि यमुना में स्नान करने से जीवन के अंतिम समय में मृत्यु दर्द रहित हो सकती है।

गंगोत्री

उत्तराखंड का दर्शनीय स्थल गंगोत्री उत्तरकाशी में स्थित एक तीर्थस्थल हैं। यहां आने वाले पर्यटकों की लम्बी कतार लगी रहती हैं। पौराणिक कहानियों से पता चलता हैं कि सदियों पहले राजा भागीरथ की तपस्या के बाद देवी गंगा ने उनके पूर्वजों के पापों को धोने के लिए खुद को एक नदी के रूप में प्रवाहित किया। लेकिन ऊंचाई से गिरते हुए जल के वेग को कम करने के लिए भगवान शिव ने आपनी जटाओं में उस जल को समा लिया। गंगा नदी के उद्गम स्थान को भागीरथी भी कहा जाता हैं।

हरिद्वार

भारत के सात सबसे पवित्र शहरों में शुमार हरिद्वार उत्तराखंड राज्य के गढ़वाल क्षेत्र में गंगा नदी के तट पर स्थित एक खूबसूरत प्राचीन शहर है। हरिद्वार शहर के आश्रमों, मंदिरों और संकरी गलियों से संपन्न शहर है। लाखों की संख्या में भक्त पवित्र गंगा नदी में डुबकी लगाने आते हैं। प्रत्येक बारह वर्षों में एक बारहरिद्वार में विश्व प्रसिद्ध कुंभ के मेले का आयोजन किया जाता हैं। कुम्भ के मेले में शामिल होने और उसका आनंद लेने के लिए पूरे भारत वर्ष से पर्यटक आते हैं। कुम्भ का मेला हरिद्वार के अलावा भारत के मात्र तीन शहर प्रयागराज, नासिक और उज्जैन में लगता हैं।

मसूरी

मसूरी पर्यटक स्थल दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी खूबियों और विशेषताओं के लिए अपनी ओर आकर्षित करने में कामयाब रहा हैं। गढ़वाल हिमालय पर्वत माला की तलहटी के बीचो बीच स्थित मसूरी पर्यटक स्थल जिसे “क्वीन ऑफ द हिल्स” के नाम से भी जाना जाता हैं। मसूरी की ऊंचाई समुद्र तल से लगभग 7000 फीट है। पूरे वर्ष एक शांत और सुखद जलवायु का अनुभव कराता है।

फूलों की घाटी


क्या आपने उत्तराखंड में स्थित फूलों की घाटी के बारे में सुना है। यहां हर साल लाखों की तादाद में पर्यटक आते हैं और इसकी सुंदरता का लुत्फ उठाते हैं। यह एक राष्ट्रीय उद्यान है जो कि गढ़वाल क्षेत्र के चमोली जिले में स्थित है। इसे विश्व की धरोहर घोषित किया गया है। फूलों की घाटी 87.50 किमी वर्ग क्षेत्र में फैली है। इसे यूनेस्को ने 1982 में राष्ट्रीय उद्यान घोषित किया था। हिमाच्छादित पर्वतों से घिरी हुई यह घाटी बेहद खूबसूरत है। यहां आपको फूलों की 500 से अधिक प्रजातियां देखने को मिल जाएंगी। यह क्षेत्र बागवानी विशेषज्ञों और फूल प्रेमियों के लिए बेहद फेमस है।

ऋषिकेश

ऋषिकेश उत्तराखंड के सबसे अच्छे पर्यटन स्थलों में से एक है। यह अपने शांत मंदिरों और रिवर राफ्टिंग, बंजी जंपिंग, जिप-लाइनिंग, ट्रेकिंग, विशाल झूले और रॉक क्लाइम्बिंग जैसे रोमांचकारी साहसिक खेलों के लिए लोकप्रिय है। सुंदर हिमालय के खिलाफ स्थित, ऋषिकेश में पवित्र गंगा है। पर्यटक यहां आध्यात्मिक तीर्थयात्रा और कल्याण के लिए आते हैं, क्योंकि यह योग और ध्यान की विश्व राजधानी के रूप में प्रसिद्ध है। जुड़वां पुल – राम और लक्ष्मण झूला – वास्तुशिल्प उपलब्धियां हैं क्योंकि ये पुल गंगा के ऊपर 750 फीट पर निलंबित हैं। ऋषिकेश में विभिन्न घाटों पर पवित्र गंगा की पूजा की जाती है। परमार्थ निकेतन में गंगा आरती और त्रिवेणी घाट संजोने का एक अनुभव है। क्षेत्र को रोशन करने के लिए पवित्र नदी के पार सैकड़ों जले हुए दीये तैरते हैं और घंटियों और मंत्रों की आवाज़ इसे एक आनंदमय आध्यात्मिक अनुभव बनाती है।

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क

जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क उत्तराखंड राज्य में हिमालय की तलहटी के बीच में स्थित एक आकर्षित नेशनल पार्क हैं। भारत के सबसे पुराना राष्ट्रीय उद्यानो में से एक जिम कॉर्बेट नेशनल पार्क की स्थापना सन 1936 में हैली नेशनल पार्क के रूप में गयी थी। जिम कार्बेट नेशनल पार्क में रॉयल बंगाल टाइगर की गंभीर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियों का निवास स्थान बनाया गया हैं। हिमालय की तलहटी में रामगंगा नदी के किनारे स्थित जिम कार्बेट नेशनल पार्क में लगभग 580 पक्षी प्रजातियों, 50 प्रजातियों के पेड़ और जानवरों की लगभग 50 प्रजातिया, 25 सरीसृप प्रजातिया के साथ साथ 500 से अधिक वर्ग मीटर के क्षेत्र में विस्तृत है।

तपोवन

तपोवन गंगोत्री हिमनद से 6 किलोमीटर की दूरी पर है। यहां के अद्भुत नजारे पर्यटकों का दिल जीत लेते हैं। तपोवन से दूर-दूर तक फैली हिमालय की चोटियां दिखती हैं। तपोवन को ही नंदनवन भी कहते हैं। यहां पर्वतारोहण के लिए कैंपिंग की जाती है। गोमुख ट्रैकिंग के पास ही तपोवन है जहां हर साल लाखों की तादाद में विदेशी पर्यटक ट्रैकिंग के लिए उमड़ते हैं। नंदनवन से शिवलिंग, भागीरथी, केदार डोम, थलय सागर और सुदर्शन जैसे चोटियों का शानदार दृश्य दिखता है। पर्यटक यहां सतोपंत, खर्चाकुंड, कालिंदी कल, मेरू और केदारडोम पर ट्रैकिंग और कैपिंग करते हैं। ट्रैकिंग के अलावा पर्यटक पर्वतों पर चढ़ाई और रॉक क्लाइम्बिंग भी करते हैं। यहां के हरियाली से भरे चीड़ और देवदार के वृक्ष पर्यटकों को काफी लुभाते हैं।

देहरादून

उत्तराखंड राज्य में दून घाटी के बीच स्थित देहरादून भारत के दर्शनीय स्थलों में से एक हैं। उतराखण्ड राज्य की राजधानी देहरादून पर्यटकों के मध्य बहुत ही लोकप्रिय हिल स्टेशन है। उतराखण्ड राज्य में गढ़वाल हिमालय की एक सुंदर चोटी पर स्थित देहरादून समुद्र तल से 1400 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। देहरादून के सनसेट पॉइंट का आकर्षित नजारा देखते ही बनता हैं। देहरादून गुफाओं, झरनों और प्राकृतिक संसाधनों से भरा हुआ स्थान हैं।

नैनीताल

नैनीताल का दर्शनीय हिल स्टेशन उत्तराखंड में घूमने के लिए सबसे अच्छी जगहों में से एक है। उपयुक्त रूप से भारत का झील जिला कहा जाता है, यह कई झीलों से घिरा हुआ है। हिल स्टेशन के चारों ओर बर्फ से ढकी विशाल चोटियाँ हैं जो समुद्र तल से 7,000 फीट ऊपर हैं। नैनी या नैनीताल नैनीताल के केंद्र में एक प्राकृतिक ताजा झील है। आंखों के आकार की यह झील कुमाऊं क्षेत्र की सबसे प्रसिद्ध झीलों में से एक है। यह नौका विहार, पिकनिक और शाम की सैर के लिए एक आदर्श स्थान है। नैनीताल झील सात चोटियों से घिरी एक मनमोहक जगह है। ऊंचे पहाड़ों को देखने के लिए नाव की सवारी करें, विशेष रूप से पहाड़ों पर सुंदर सूर्यास्त। हिमालय के ऊंचे पहाड़ों से घिरे नैना देवी मंदिर में पूजा-अर्चना करें। यह भारत में सबसे पवित्र और लोकप्रिय शक्ति पीठों में से एक है, जो देवी नैना को समर्पित है। नैनीताल गोविंद बल्लभ पंत हाई एल्टीट्यूड चिड़ियाघर उत्तराखंड का एकमात्र चिड़ियाघर है। समुद्र तल से 2,100 मीटर की ऊंचाई पर, इसमें विभिन्न जानवर हैं जो केवल उच्च ऊंचाई पर रहते हैं जैसे साइबेरियन टाइगर, सेराओ, बकरी मृग और हिम तेंदुआ। चिड़ियाघर शेर का डंडा पहाड़ी की चोटी पर नैनीताल बस स्टैंड से 1.8 किमी की दूरी पर स्थित है।

औली

औली को भारत का मिनी स्विट्जरलैंड कहा जाता है। भारत का यह मिनी स्विट्जरलैंड इतना खूबसूरत है कि विदेशी तक यहां के नजारे देखते नहीं थकते। यह मिनी स्विट्जरलैंड उत्तराखंड के चमोली में स्थित है। यहां कि वादियां और पहाड़ देखकर आपको यह महसूस होगा कि आप सच में स्विट्जरलैंड की सैर कर रहे हैं। हर साल कुदरत के इस नायाब उपहार को निहारने के लिए आने वाले लोगों की भीड़ में कभी कोई कमी नहीं रहती बल्कि यह बढ़ती ही रहती है। बर्फ पर स्कीइंग का आनंद लेने के लिए दुनिया भर से पर्यटक यहां खींचे चले आते हैं। औली को सर्दियों के मौसम में ही नहीं बल्कि इसकी सुंदरता को निहारने पर्यटकों की भीड़ बारह महीने यहां आती रहती है। बर्फ की सफेद चादर ओढ़े पहाड़ों पर सूर्योदय से लेकर सूर्यास्त का नजारा, यहां देखने लायक रहता है।

देवप्रयाग

देवप्रयाग समुद्र तल से 830 मीटर की ऊंचाई पर है। ऋषिकेश से देवप्रयाग की दूरी महज 70 किलोमीटर के करीब है। यह खूबसूरत जगह अलकनंदा-भागीरथी नदी के संगम पर बसी है। कहा जाता है कि देवभूमि उत्तराखंड के पंच प्रयागों में से एक देवप्रयाग है। मान्यता है कि जब राजा भागीरथ ने गंगा को पृथ्वी पर उतरने के लिए मनाया तो उनके साथ ही 33 करोड़ देवी- देवता भी गंगा के साथ स्वर्ग से देवप्रयाग में उतरे थे। ये ही वो जगह है जहां भागीरथी और अलकनंदा नदी का संगम होता है । देवप्रयाग में बड़ी तादाद में श्रद्धालु आते हैं। यह बेहद मनोरम स्थल है जहां की खूबसूरती और शांत वातावरण श्रद्धालु और पर्यटकों के दिल में सुकूं देता है।

मुक्तेश्वर

नैनीताल से करीब 46 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मुक्तेशवर धाम पर हर साल सर्दी में पर्यटक यहां की खूबसूरत वादियों को देखने आते हैं। हर वर्ष दिसंबर में यहाँ पर पहली बर्फबारी होती है, जिसके बाद वहां घूमने जाने वाले लोगों की खुशी दोगुनी हो जाती है। इस बर्फबारी के बाद वहां के व्यापारियों की उम्मीद पहले से ज्यादा बढ़ जाती है। दरअसल बर्फबारी का लुत्फ उठाने लोग वहां भारी संख्या में आते हैं, जिससे उनके होटल और खाने के व्यवसाय में फायदा होता है।