पर्यटन की बात आती हैं तो भारत देश के पर्वतीय राज्य हिमाचल प्रदेश का जिक्र जरूर किया जाता हैं जहां आपको एक से बढ़कर एक जगहें घूमने के लिए मिल जाएगी। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं प्राकृतिक सुंदरता से घिरे हुए चंबा की। चंबा को भगवान शिव की भूमि के नाम से भी जाना जाता है। यहाँ पाए जाने वाले विभिन्न प्रकार के वनस्पतियों और जीवों की वजह से यह भारत का एक प्रमुख पर्यटन स्थल है। यहां आप प्राचीन मंदिरों से लेकर कई किले-महल भी देख सकते हैं। चंबा के आसपास भी बहुत से शानदार स्थल मौजूद हैं, जहां आप शहर भ्रमण के दौरान जा सकते हैं। हम आपको यहां चंबा के प्रमुख पर्यटन स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप घूमने का भरपूर आनंद ले सकते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...
चमेरा झील चमेरा झील डलहौजी के पास चंबा जिले में सबसे खूबसूरत और समृद्ध प्राकृतिक झील है, जो अपने आकर्षण से पर्यटकों को बेहद आकर्षित करता है। आपको बता दें कि चमेरा झील डलहौजी से 25 किमी की दूरी पर स्थित है जो वास्तव में चमेरा बांध द्वारा निर्मित एक जलाशय है और 1700 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। हिमाचल प्रदेश का यह लोकप्रिय पर्यटन स्थल यहाँ की यात्रा करने वाले सभी पर्यटकों को बेहद पसंद आता है। चमेरा झील यहाँ के ग्रामीणों के लिए आपूर्ति का एक प्रमुख स्रोत है और यह रावी नदी द्वारा भरा जाता है।
लक्ष्मी नारायण मंदिर लक्ष्मी नारायण मंदिर चंबा का एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मुख्य चंबा शहर में बना हुआ है। लक्ष्मी नारायण मंदिर का निर्माण राजा साहिल वर्मन ने करवाया था। इसका निर्माण दसवीं शताब्दी ईसा पश्चात् करवाया गया था। यह मंदिर शिखर शैली में बना हुआ है। मंदिर में शिखर, गर्भगृह और अंतराल बना है। पूरा मंदिर पत्थर से बना हुआ है। मंदिर की दीवारों पर सुंदर नक्काशी की गई है। यहां पर देवी देवताओं की नक्काशी देखी जा सकती है। मंदिर में एक मंडप जैसी संरचना बनी है। मंदिर के ऊपर शिखर में लकड़ी की छतरी देखी जा सकती है। मंदिर के ऊपर पहिया छत बनाई गई है, ताकि अगर बर्फ गिरे, तो मंदिर सुरक्षित रहें। लक्ष्मी नारायण मंदिर परिसर में अन्य मंदिर बने है। यहां पर शिव मंदिर, राधा कृष्ण मंदिर, गौरी शंकर मंदिर बनवाए गए हैं।
हरिराय मंदिरहरि राय मंदिर चंबा जिला का एक बेहद ही प्रमुख मंदिर है। इस मंदिर में भगवान विष्णु कि अपने तीनों अवतारों को स्थापित किया गया है जो मानव, शेर और सुअर के रूप में विराजमान हैं। भगवान विष्णु के इन तीनों अवतारों को इतना बेहतरीन तरीके से बना कर सजाया गया है, कि देखने पर काफी आकर्षक लगता है। इस मंदिर में भगवान विष्णु के और भी अलग रूपों के साथ-साथ भगवान सूर्य, शिव अरुण और भी इसी प्रकार के देवी-देवताओं की मूर्ति को स्थापित किया गया है।
मणिमहेश झीलचंबा से 52 किलोमीटर की दूरी पर स्थित मणिमहेश झील हिन्दू श्रद्धालुओं के लिए आस्था का बहुत बड़ा केंद्र माना जाता है। पौराणिक मान्यताओं के अनुसार मणिमहेश झील का निर्माण भगवान शिव ने पार्वती माता से विवाह के बाद करवाया था। इसी वजह से मणिमहेश झील का धार्मिक महत्व मानसरोवर झील के बराबर माना गया है। हिमालय की पीर पंजाल रेंज में स्थित मणिमहेश झील की समुद्रतल से ऊंचाई 4080 मीटर है। मणिमहेश झील में प्रतिवर्ष अगस्त और सितंबर महीने में आने वाली अमावस्या के आठवें दिन बहुत बड़े मेले का आयोजन किया जाता है। साल के इस समय की जाने वाली यात्रा को “मणिमहेश यात्रा” कह जाता है।
चामुंडा देवी मंदिर चामुंडा देवी मंदिर शाह मदार रेंज के शीर्ष पर स्थित है। इस मंदिर से पर्यटक चंबा शहर के शानदार दृश्य को देख सकते हैं। चामुंडा देवी मंदिर को राजा उम्मेद सिंह द्वारा वर्ष 1762 में बनाया गया था। पाटीदार और लाहला के जंगल के बीच यह मंदिर पूरी तरह से लकड़ी से बना है, जिसकी विशाल छतें हैं। बानेर नदी के तट पर स्थित यह मंदिर देवी काली को समर्पित है, जिन्हें युद्ध की देवी के रूप में भी जाना जाता है। पहले इस मंदिर तक जाने के लिए पत्थरों से काटी गई 400 सीढियां चढ़ कर जाना पड़ता था लेकिन अब चंबा से 3 किलोमीटर लंबी कंक्रीट सड़क के माध्यम से आसानी से मंदिर तक पहुँचा जा सकता है। सात सौ साल पुराने मंदिर में पीछे की ओर एक गुफा जैसी संरचना है जिसको भगवान शिव का प्रतीक माना जाता है।
थाला झरना थाला झरना भरमौर से लगभग 10 किलोमीटर की दूरी पर स्थित एक बेहद खूबसूरत झरना है ।इस झरना की खास बात यह है, कि यह झरना साल के पूरे महीने ही बहता रहता है। यह झरना कोई मानसून पर निर्भर रहने वाला झरना नहीं है। इस झरना के कुछ दूरी के अंतराल पर दो और झरना देखने को मिल जाते हैं। अगर इनके नाम की बात करें तो छन्दू और घरेड झरना बताया जाता है।
अखंड चंडी महल अखंड चंडी महल मध्यकालीन समय में बना हुआ चंबा का सबसे पुराना महल है। इस महल का निर्माण चंबा के तत्कालीन शासक राजा उम्मेद सिंह ने 1747-1765 के समय करवाया था। उसके कुछ समय बाद औपनिवेशिक काल में राजा शाम सिंह ने ब्रिटिश इंजीनियरों की सहायता से अखंड चंडी महल का पुनर्निर्माण कार्य करवाया था। भारत की स्वंतंत्रता के बाद 1958 में तत्कालीन अखंड चंडी महल के राजा ने इस महल को हिमाचल प्रदेश की सरकार को बेच दिया था। उसके कुछ समय बाद राज्य सरकार ने इस महल को जिला पुस्तकालय और सरकारी कॉलेज में बदल दिया था। अखंड चंडी महल से चामुंडा देवी मंदिर, रंग महल, बंसी गोपाल मंदिर, सुई माता मंदिर और लक्ष्मी नारायण मंदिर के दृश्य बहुत ही सुंदर दिखाई देते है। अखंड चंडी महल के निर्माण में मुगल और ब्रिटिश वास्तुकला का प्रभाव झलकता है।
सुई माता मंदिरसुई माता मंदिर चंबा में साहो जिले में स्थित एक प्रमुख मंदिर है जिसको राजा वर्मन ने अपनी पत्नी रानी सुई की याद में बनवाया था जिसने अपने लोगों के लिए अपना जीवन बलिदान कर दिया था। शाह दरबार पहाड़ी के ऊपर स्थित इस मंदिर से नीचे की छोटी बस्तियों का शानदार दृश्य नजर आता है। सुई माता मंदिर परिसर को तीन भागों में विभाजित किया गया है जिसमें मुख्य मंदिर, एक चैनल और रानी सुई माता को समर्पित एक स्मारक भी शामिल है, जिसको उनके बलिदान के प्रतीक के रूप में माना जाता है। यात्री सुई माता मंदिर तक नीचे से एक मार्ग के साथ पक्की सीढ़ियों की मदद से पहुँच सकते हैं।