राजस्थान राज्य का एक खुबसूरत और ऐतिहासिक नगर है जैसलमेर जो पर्यटन के लिहाज से एक बेहतरीन जगह मानी जाती हैं। पाकिस्तान के बॉर्डर से सटा हुआ यह शहर 'द गोल्डन सिटी' के नाम से मशहूर हैं। यहाँ की रेतीली पहाड़ियां, थार का रेगिस्तान, हवेलियां, बड़ी-बड़ी मूंछो और रंगबिरंगी पगड़ी पहने पुरुष, इमारतों की वास्तुकला और ऐतिहासिक कहानियां सभी पर्यटकों को अपनी ओर आकर्षित करती हैं। नए साल के आगमन पर तो यहां सैलानियों की भीड़ जमा हो जाती हैं। यदि आप बडी-बडी हवेलिया और महल देखने के इच्छुक है तो यहां घूमने जा सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको जैसलमेर के कुछ प्रसिद्द स्थलों की जानकारी देने जा रहे हैं जो यहां की शान बढ़ाने का काम करते हैं और घूमने का पूरा मजा दिलाते हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...
पटवों की हवेलीएक परिसर में पांच छोटी हवेलियों का एक शानदार समूह, पटवों की हवेली जैसलमेर में घूमने के स्थानों की सूची में सबसे ऊपर आती है। खिड़कियों और बालकनियों पर जटिल नक्काशी और उत्तम वॉल पेंटिंग और शीशे का काम हवेलियों की भव्यता को बढ़ाते हैं। इस विशाल हवेली में हवादार आंगन और 60 बालकनी हैं, जिनमें से प्रत्येक में विशिष्ट नक्काशी है जो इसके आकर्षण को बढ़ाती है। हवेली के संग्रहालय में आपको पटवा परिवार से संबंधित पत्थर के काम और कलाकृतियों का दुर्लभ संग्रह भी मिलेगा। पटवों की हवेली आने का सबसे अच्छा समय सितंबर से फरवरी के बीच है।
सोनार किलासोनार किला जैसलमेर के दर्शनीय स्थल में खास स्थान रखता है। यह किला लगभग 80 मीटर की ऊंचाई पर त्रिकूट पहाडी पर बना है। जिसे जैसलमेर का किला भी कहते है। इसका निर्माण राजा रावल जैसल ने सन् 1156 में करवाया था। भारत के इस सबसे बड़े जीवित किले में लगभग 5000 लोग रहते हैं और यह यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल भी है। इस किले में चार द्वार है अखे पोल, सूरज पोल, गणेश पोल और हवा पोल। तथा 99 बुर्ज है। सोनार किले के भीतर मोती महल, रंग महल, राज विलास आदि कई महत्वपूर्ण इमारते है जोकि विशेष रूप से दर्शनीय है। महल स्थापत्य कला और बेहतरीन कारीगरी का नमूना है। यहा 12वी से 15वी शताब्दी के बने कुछ जैन मंदिर भी है। जोकि देखने लायक है।
बड़ा बागशाही परिवारों के मकबरों की एक श्रृंखला के साथ एक उद्यान परिसर, बड़ा बाग राजस्थान के अतीत से संबंधित एक महत्वपूर्ण स्थान है। यह एक छोटी सी पहाड़ी पर स्थित है जिसमें पहाड़ी के तल पर मकबरे या कब्रगाह के प्रवेश द्वार हैं। बगीचे में कई भूरे रंग की छतरियां हैं जो कि गुंबद चौकोर, गोलाकार या पिरामिड के आकार बनी हुई है। आप यहां बगीचे में टहल सकते हैं और पक्षियों को देखकर इस जगह का लुत्फ उठा सकते हैं। बड़ा बाग देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से फरवरी के बीच है।
सलीम सिंह की हवेलीजैसलमेर में यदि एक अच्छे टूरिस्ट प्लेस की बात की जाये तो इसमें सलीम सिंह की हवेली का भी नाम आता है। यह हवेली अपने इतिहास, वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। जैसलमेर की सभी हवेलियों के बीच, सलीम सिंह की हवेली अपनी विशिष्ट और आंख पकड़ने वाली वास्तुकला के लिए जानी जाती है। इसका निर्माण तत्कालीन मंत्री सलीम सिंह ने कराया था, वह किले को बहुत अधिक ऊंचा बनाना चाहते थे, लेकिन राजा द्वारा इसके लिए अनुमति नहीं दी गयी थी। इसकी वास्तुकला की अपनी विशिष्ट शैली और मोर के आकार की छत के साथ 38 बाल्कनियाँ हैं जो पर्यटकों का दिल मोह लेती है।
गड़ीसर झीलशहर के बाहरी इलाके में स्थित, खूबसूरत गडीसर झील शांति चाहने वालों के लिए एकदम परफेक्ट लोकेशन है। इसका इतिहास 14वीं शताब्दी का है, जब यह पूरे शहर के लिए पानी का एक प्रमुख स्रोत था। अब, गडीसर झील एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है जहाँ आप बोटिंग का मजा ले सकते हैं और निकटवर्ती जैसलमेर किले और इसके किनारे पर मौजूद मंदिरों के सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। यदि आप सर्दियों में यहां घूमने आ रहे हैं, तो आपको यहां कई प्रवासी पक्षियों का भी जमावड़ा दिखाई दे सकता है। यहां आने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च के बीच है।
व्यास छत्रीबड़ा बाग के अंदर स्थित व्यास छत्री जैसलमेर के सबसे लोकप्रिय पर्यटन स्थलों में से एक है। सुरुचिपूर्ण राजस्थानी वास्तुकला और जटिल नक्काशी के साथ सुनहरे रंग के बलुआ पत्थर की छतरियों की एक सरणी के साथ, ये संरचनाएं देखने लायक हैं। छतरियों की वास्तुकला को निहारने के अलावा, आप एक तरफ जैसलमेर किले और दूसरी तरफ रेत के टीलों के सुंदर दृश्यों का आनंद ले सकते हैं। व्यास छतरी देखने का सबसे अच्छा समय अक्टूबर से मार्च तक है।
सैम सैंड ड्यून्स अगर आप जैसलमेर मे घूमने आये है और इसके चारो तरफ घिरे रेगिस्तान मे सफारी का आनंद नही लिए तो यह यात्रा अधूरी ही रह जाएगी इसलिए यहाँ रेगिस्तान कि सफारी का आनंद तो लेना ही चाहिए जैसलमेर से लगभग 42 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है ‘सैम सैंड डयुन्स’ जहाँ रेगिस्तान के जहाज ऊंट या फिर जीप से सफारी कि सुविधा दी जाती है। यहाँ सूर्यास्त के समय ऊँटों कि सवारी करना रेगिस्तान के सुंदर दृश्य का आनंद लेने के लिये सबसे आदर्श समय मन्ना जाता है इसके अलावा हर साल यहाँ फ़रवरी और मार्च के महीने मे डेजर्ट फेस्टिवल भी मनाया जाता है जिसे देखने के लिये पर्यटकों की भीड़ उमड़ी रहती है।
खाबा किलाखाबा किला, कुलधरा गांव के पास, जैसलमेर में एक और असामान्य और अद्भुत संरचना है। किले और गांव में पालीवाल ब्राह्मण रहते थे, जिन्होंने एक रात अज्ञात कारणों से इसे छोड़ दिया था। अब यह एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण बन चुका है, इस किले से आप गांव के सुंदर मनोरम दृश्य देख सकते है, साथ ही कई खूबसूरत फोटोज भी खीच सकते हैं। किले का आकर्षण और सदियों पुरानी कलाकृतियों वाला एक संग्रहालय कई इतिहास प्रेमियों को भी आकर्षित करता है।
तनोट माता मंदिरजैसलमेर से तक़रीबन 120 किलोमीटर की दुरी पर स्थित है थार की वैष्णो देवी यानि तनोट माता का मंदिर इसे भी आप अवश्य देखे इस मंदिर को चमत्कारी मंदिर कहा जाता है क्योंकि 1965 और 1971 के भारत-पाक युद्ध के दौरान यहाँ पर बहुत सारे बम गिराए गये थे। फिर भी मंदिर और भारतीय जवान सुरक्षित थे जिसके बाद इस मंदिर का रखरखाव BSF के जवान करते है जहाँ पर आज भी आप उस वक्त के बम को देख सकते है।
थार विरासत संग्रहालयथार हेरिटेज म्यूजियम शहर के मुख्य बाजार में स्थित है, इस संग्रहालय के संस्थापक लक्ष्मी नारायण खत्री थे। इस संग्रहालय का भ्रमण करने से आप इतिहास, संस्कृति, कला और वास्तुकला के बारे में बहुत कुछ नयी जानकारियाँ प्राप्त कर पायेंगे। इस संग्रहालय में एक अनोखे कमरे के रूप में कुछ विशेष वस्तुओं का संग्रहण किया गया है जिसमे रेगिस्तान और घोड़ों के जहाज के गहने, दस्तावेज, सिक्के, प्राचीन पांडुलिपियों और हथियारों का संग्रह समाहित है।