बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को चित्रित करते हैं ये प्रसिद्द बौद्ध मठ, यहां मिलेगा शांति का अनुभव

इस भागदौड़ भरी जिन्दगी में तनाव जीवन का एक हिस्सा बन जाता हैं। इससे बचने के लिए जरूरी हैं कि किसी ऐसी जगह जाया जाएं जहां आपको शांति का अनुभव मिल सकें। इसके लिए सबसे बेस्ट जगह हैं बौद्ध मठ जहां बौद्ध धर्म के गुरु अपने शिष्यों को शिक्षा, उपदेश इत्यादि प्रदान करते हैं। बौद्ध मठ बौद्ध धर्म के लोगों के लिए प्रमुख आस्था का केंद्र है। यहां बौद्ध संस्कृति और परंपराओं को सीखा जा सकता है। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ प्रसिद्द बौद्ध मठों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां हर साल दुनिया के कोने-कोने से लाखों लोग अनंत शांति की तलाश में पहुंचते हैं। इनमें से कुछ मठ बुद्ध के जीवन और शिक्षाओं को भी चित्रित करते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

फुगताल मठ, लद्दाख

लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों में बना फुकताल मठ अपनी संरचना के लिए जाना जाता है क्योंकि इसकी संरचना शहद के छत्ते जैसी दिखती है। गुफाओं में छिपे इस मठ का इतिहास पच्चीस सौ साल पुराना है। इस मठ में करीब 200 बौद्ध भिक्षु रहते हैं। स्मारक के अलावा यहां कमरे और लायब्रेरी भी मौजूद है। यहां पहुंचना काफी मुश्किल भरा काम है क्योंकि एक गहरी गुफा में बने इस मठ के ठीक सामने काफी गहरी खाई है। ऐसे में यहां पहुंचने के लिए लोगों को नदी पर बने सस्पेंशन पुल का इस्तेमाल करना पड़ता है। करीबी कस्बे पादुम से तीन दिन तक ट्रैक करके आप यहां पहुंच सकती हैं। जुलाई से सितंबर के महीने में यहां घूमने के लिए सबसे बेहतर समय है।

हेमिस मठ, लद्दाख

लेह के दक्षिण में 45 किमी की दूरी पर स्थित हेमिस मठ लद्दाख का एक प्रसिद्ध बौद्ध मठ है। हेमिस मठ का निर्माण लद्दाखी राजा सेंगगे नामग्याल द्वारा किया गया था, जिसे भारत के सात अजूबों में से एक माना जाता है और यह देश का एक विश्व धरोहर स्थल भी है। सिन्धु नदी के किनारे हरी-भरी पहाड़ियों और शानदार पहाड़ों के बीच स्थित हेमिस मठ इस क्षेत्र का सबसे बड़ा और सबसे लोकप्रिय मठ है जो इसे एक प्रमुख पर्यटक आकर्षण बनाता है। आपको बता दे हेमिस मठ भारत के सबसे धनी मठों में से एक है। इसमें सोने और चांदी से बने स्तूपों के साथ भगवान बुद्ध की एक शानदार तांबे की प्रतिमा स्थापित है।

तवांग मठ, अरुणाचल प्रदेश

तवांग मठ भारत के अरुणाचल प्रदेश (अरुणाचल प्रदेश घूमने जाएं तो इन्हें विजिट करें) राज्य में मौजूद देश का सबसे बड़ा और सबसे प्रसिद्ध बौद्ध मठ है। ल्हासा के पोताला महल के बाद यह विश्व का दूसरा सबसे बड़ा मठ है। यह मठ तवांग नदी की घाटी में तवांग कस्बे के निकट स्थित है। समुद्र तल से दस हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस मठ को 'गालडेन नमग्याल लहात्से' के नाम से भी जाना जाता है। यहां एक लाइब्रेरी है जिसकी संरचना झोपड़ी जैसी है और इसमें बुद्ध की छवि और पवित्र ग्रंथ मौजुद है।

द डिस्कट मठ, लेह

द डिस्कट मठ भारत के प्रसिद्ध बौद्ध मठ में से एक है जिसका उद्घाटन दलाई लामा द्वारा किया गया था। मठ से संबंधित महत्वपूर्ण तथ्य यह है कि यह क्षेत्र के तिब्बती बच्चों को अंग्रेजी में विज्ञान विषय पढ़ाने के लिए एक गैर-सरकारी संगठन की मदद से एक स्कूल चलाता है। कहा जाता है की यह प्रसिद्ध मठ बुरे साधु की मंगोल पौराणिक कथाओं से प्रेरित है, जो कई बार मारा गया था, लेकिन मठ पर हमला करता रहा। सूत्रों की माने तो उस साधू का सिर और हाथ आज भी मठ के अंदर मंदिर में रखा गया है।

रुमटेक मठ, सिक्किम

रुमटेक मठ सिक्किम की राजधानी गंगटोक के निकट स्थित है और इसे धर्म चक्र केंद्र के रूप में भी जाना जाता है। राजधानी गंगटोक के पास बना रूमटेक मठ सिक्किम का सबसे बड़ा मठ है, जहां भारी संख्या में बौद्ध भिक्षु रहते हैं। आपके लिए इसके खूबसूरत नजारों का अनुभव करना अद्भुत होगा।

मिन्ड्रोलिंग मठ, देहरादून

भारत के सबसे खूबसूरत मठों में से एक है मिन्ड्रोलिंग मठ। उत्तराखंड के देहरादून (जानें देहरादून की खासियत) में स्थित यह मठ पर्यटकों के आकर्षण का प्रमुख केंद्र है। इस मठ का निर्माण 1676 में रिग्जिन टेरडक लिंगपा ने कराया था। यहां 107 फीट की ऊंचाई पर भगवान बुद्ध की मूर्ति स्थित है, जो भारत का सबसे ऊंचा स्तूप है। यहां लगभग 300 बौद्ध भिक्षु रहते हैं और यही वजह है कि यहां बौद्ध धर्म को मानने वाले लोग अधिक संख्या में आते हैं। अगर देहरादून घूमने का मौका मिले तो यहां की सैर जरूर करें।

नामद्रोलिंग मठ, मैसूर

भारत के प्रमुख बौद्ध मठ में शुमार नामद्रोलिंग मठ कूर्ग जिले से 34 किमी की दूरी पर स्थित है। यह स्थान मैसूर के सबसे बड़े शिक्षण केंद्रों में से एक है जहाँ आप तिब्बती बौद्ध धर्म के हर पहलू को सीखते हैं। इसके अलावा यहाँ गरीबों की स्वास्थ्य आवश्यकताओं का ध्यान रखने के लिए एक अस्पताल भी है जहाँ गरीबो का फ्री इलाज किया जाता है। स्थानीय लोगों के बीच, यह मठ स्वर्ण मंदिर के रूप में प्रसिद्ध है जिसमे बुद्ध की कई मूर्तियों के साथ-साथ परिसर के चारों ओर कई प्रतिमाएँ स्थापित हैं। नामद्रोलिंग मठ की यात्रा पर आने वाले पर्यटक बुद्ध की मूर्तियों के साथ साथ यहाँ कुछ बेहतरीन गुणवत्ता वाले वास्तुशिल्प, कलाकृति, शैलियों और सुंदर भित्ति चित्र को देख सकते हैं।

थिकसे मठ, लद्दाख

लेह से लगभग 19 किलोमीटर दूर मध्य लद्दाख में स्थित थिकसे मठ में मैत्रेय की 49 फीट ऊंची मूर्ति बनी हुई है। इस मठ को तिब्बत के पोटाला पैलेस के आधार पर बनाया गया है, इसमें दस मंदिर और एक असेंबली हॉल है। पहाड़ी की चोटी पर बसा यह मठ करीब बारह मंजिल का है। यहां बौद्ध अवशेष जैसे टोपी, प्राचीन थंगका, बड़ी तलवारें, पुराने स्तूप और भी काफी कुछ मौजूद है। आपको बता दें यहां सौ से ज्यादा बौद्ध भिक्षु और नन रहते हैं।