ये हैं भगवान श्रीकृष्ण के प्रसिद्द और प्राचीन मंदिर, एक झलक पाने के लिए तरसते हैं भक्त

हिन्दू धर्म के प्रमुख भगवानो में से एक हैं भगवान श्रीकृष्ण जो कि विष्णु के 8वें अवतार माने गए हैं। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा केवल हिंदू धर्म और भारत तक सीमित नहीं है, बल्कि विदेशों में भी कृष्ण को माना और पूजा जाता है। पूरे देश में भगवान श्रीकृष्ण के अनगिनत मंदिर हैं, जहां हमेशा श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। कृष्ण मंदिरों में माहौल तब देखने को बनता हैं जब जन्माष्टमी का मौका हो। कई कृष्ण भक्त अपने आने वाले नए साल की शुरुआत कृष्ण के दर्शन कर करना चाहते हैं। ऐसे में आज हम आपको लिए देश के कुछ प्रसिद्द और प्राचीन भगवान श्रीकृष्ण मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां कृष्ण की एक झलक पाने के लिए भक्त तरसते हैं और घंटों लाइन में लगते हैं। आइये जानते हैं इन कृष्ण मंदिरों के बारे में...

द्वारकाधीश मंदिर, गुजरात

यह गुजरात का सबसे फेमस कृष्ण मंदिर है इसे जगत मंदिर भी कहा जाता है। यह मंदिर चार धाम यात्रा का भी मुख्य हिस्सा है। चारों धामों में से यह पश्चिमी धाम है। यह मंदिर गोमती क्रीक पर स्थित है और 43 मीटर की ऊंचाई पर मुख्य मंदिर बना है। इस मंदिर की यात्रा के बिना आपकी गुजरात में धार्मिक यात्रा पूरी नहीं मानी जाएगी। जन्माष्टमी के दौरान यहां बेहद उमंग भरा माहौल देखने को मिलता है। पूरा मंदिर अंदर और बाहर से खूबसूरत तरीके से सजाया जाता है।

जगन्नाथ मंदिर, उड़ीसा

पुराणों में जगन्नाथ पुरी को धरती का बैकुंठ कहा गया है। जगन्नाथ मंदिर की महीमा देश में ही नहीं विश्व में भी प्रसिद्ध हैं। पुरी में बना जगन्नाथ मंदिर भारत में हिंदुओं के चार धामों में से एक है। यह धाम तकरबीन 800 सालों से भी ज्यादा पुराना माना जाता है। जगन्नाथ मंदिर के शिखर पर स्थित झंडा हमेशा हवा की विपरीत दिशा में लहराता है। इसी तरह मंदिर के शिखर पर एक सुदर्शन चक्र भी है। इस चक्र को किसी भी दिशा से खड़े होकर देखने पर ऐसा लगता है कि चक्र का मुंह आपकी तरफ है।

द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा

श्रीकृष्ण का जन्म उत्तर प्रदेश के शहर मथुरा में एक कारागार में हुआ था। द्वारकाधीश मंदिर मथुरा के प्रमुख मंदिरों में से एक है। यहां पर भगवान कृष्ण की काले रंग की प्रतिमा की पूजा की जाती है। हालांकि, राधा की मूर्ति यहां सफेद रंग की है। इसकी वास्तुकला भारत की प्रचीन वास्तुकला से प्रेरित है। यहां आकर आपको अलग ही सुकून का अहसास होगा। जन्माष्टमी का त्योहार यहां धूमधाम से मनाया जाता है। जन्माष्टमी के दौरान यहां का माहौल काफी शानदार होता है।

द्वारका गुरुवायूर मंदिर, केरल

दक्षिण भारत के केरल राज्य में श्रीकृष्ण के कई प्रसिद्ध मंदिर हैं। इनमें से एक गुरुवायूर मंदिर है, जिसे दक्षिण का द्वारका कहा जाता है। इस मंदिर को भूलोका बैकुंठ के रूप में भी जाना जाता है, जो कि पृथ्वी पर भगवान विष्णु का पवित्र निवास स्थान है। यहां भगवान कृष्ण का बाल रूप है, जिसे गुरुवायुरप्पन कहते हैं। इस मंदिर को लेकर एक मान्यता है कि जब गुजरात के द्वारका में बाढ़ आई, जो कृष्ण की मूर्ति बाढ़ में बह गई, जिसे बृहस्पति ने देखकर बचा लिया। उन्होंने इस मूर्ति की दोबारा स्थापना का विचार मन में लाते हुए जगह की तलाश की। केरल में उन्हें भगवान शिव और माता पार्वती के दर्शन हुए, जिन्हें बृहस्पति देव को कृष्ण की मूर्ति केरल में स्थापित करने को कहा। बृहस्पति देव ने वायु देव की मदद से मूर्ति को केरल में स्थापित कर दिया। इसलिए केरल के कृष्ण मंदिर का नाम बृहस्पति (गुरु) और वायु देव के नाम पर गुरुवायूर मंदिर हो गया।

श्री बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन

भगवान श्री कृष्ण ने अपने बचपन का समय वृंदवन में ही बिताया था। यह सबसे फेमस और प्राचीन मंदिर भी है। भगवान कृष्ण को बांके बिहारी भी कहा जाता है इसलिए उनके नाम पर ही इस मंदिर का नाम भी श्री बांके बिहारी रखा गया है। जन्माष्टमी के दिन मंगला आरती होने के बाद यहा श्रद्धालुओं के लिए रात 2 बजे ही मंदिर के दरवाजे खुल जाते हैं। मंगला आरती साल में केवल एक बार होती है। भगवान कृष्ण के जन्म के बाद यहां श्रद्धालुओं के बीच खिलौने, कपड़े और दूसरी चीजें बेची जाती हैं।

उडुपी श्री कृष्ण मंदिर, कर्नाटक

उडुपी श्री कृष्ण मंदिर, भगवान बांके बिहारी लाल के प्रसिद्ध मंदिरों में से एक हुआ करता है। इस मंदिर की स्थापना 13 वीं सदी में वैष्णव संत श्री माधवाचार्य द्वारा की गई थी। मंदिर में भक्त खिड़की से भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करते हैं। इस चमत्कारिक खिड़की को लेकर कहा जाता है कि भगवान श्री कृष्ण के एक अनन्य भक्त थे कनक दास, लेकिन छोटी जाति से आने के कारण उन्हें मंदिर के अंदर नहीं आने दिया जाता था। उन्होंने कन्हैया से दर्शन की प्रार्थनी की, तो कृष्ण ने उन्हें अपने दर्शन कराने का एक अनोखा रास्ता खोज निकाला। उन्होंने पहले से स्थापित उस मंदिर के पीछे एक खिड़की बना दी। कहा जाता है कि कनकदास ने मंदिर की उसी खिड़की से भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन किए। इसके बाद से यह परंपरा बन गई और आज भी भक्त उसी खिड़की से भगवान श्रीकृष्ण के दर्शन करते हैं।

श्रीकृष्ण निर्वाण स्थल, गुजरात

गुजरात के सौराष्ट्र में भालका तीर्थ भगवान श्रीकृष्ण के आखिरी लम्हों की गवाही देता है। यही वो पावन स्थान है, जहां भगवान कृष्ण ने अपना शरीर त्यागा था। भालका तीर्थ गुजरात के सौराष्ट्र में मौजूद द्वादश लिंगों में से एक सोमनाथ मंदिर से महज 5 किलोमीटर दूरी पर है। इस मंदिर में बनी भगवान श्री कृष्ण की प्रतिमा उनके आखिरी वक्त को दर्शाती है। धार्मिक मान्यताओं के मुताबिक, इसी जगह पर भगवान श्रीकृष्ण को एक बहेलिये के तीर मार दिया था। बाण लगने से घायल भगवान कृष्ण भालका से थोड़ी दूर पर स्थित हिरण नदी के किनारे पहुंचे और उसी जगह पर पंचतत्व में विलीन हो गए।

सांवलिया सेठ मंदिर, राजस्थान

यह गिरिधर गोपालजी का फेमस मंदिर है। यहां वे व्यापारी भगवान को अपना बिजनस पार्टनर बनाने आते हैं, जिन्हें अपने व्यापार में कठिनाई का सामना करना पड़ रहा होता है। राजस्थान के चित्तौड़गढ़ में भगवान श्रीकृष्ण का मंदिर है जिनका संबंध मीरा बाई से भी बताया जाता है। यहां मीरा के गिरिधर गोपाल को बिजनस पार्टनर होने के कारण श्रद्धालु सेठ जी नाम से भी पुकारते हैं और वह सांवलिया सेठ कहलाते हैं। पौराणिक कथाओं के अनुसार, सांवलिया सेठ ही मीरा बाई के वो गिरधर गोपाल हैं, जिनकी वह दिन रात पूजा किया करती थीं।