राजस्थान के प्रसिद्द देवी मंदिर, जहाँ होती है कुलदेवियों की पूजा

राजस्थान को मंदिरों और उसकी संस्कृति के लिए जाना जाता हैं। देशभर में राजस्थान के मंदिरों की विशेषता पहचानी जाती हैं। राजस्थान में देवी माता के भी कई मंदिर स्थित हैं। नवरात्रि के इस ख़ास मौके पर हम आपके लिए राजस्थान के प्रसिद्द कुलदेवियों के मंदिर लेकर आए हैं। जो अपनी शक्ति और तेज से भक्तों के दुःख हरती हैं। तो आइये जानते हैं राजस्थान के कुछ प्रसिद्द देवीमाता के मंदिरों के बारे में।

* करणी माता मंदिर

राजस्थान के बीकानेर जिले में देशनोक नामक स्थान पर स्थित करणी माता के मन्दिर की देश- विदेश में ख्याति है। यह मन्दिर हजारों चूहों की विशाल संख्या के लिए प्रसिद्ध है। इसलिए इसे के नाम से भी जाना जाता है। यह देवी का चमत्कार ही है कि सैकड़ों सालों से इतने चूहों के बाद भी यहाँ कभी कोई बीमारी नहीं फैली, अपितु जब आस-पास के क्षेत्रों को महामारी ने चपेट में ले रखा था तब भी यह स्थान पूरी तरह सुरक्षित था।


* जीण माता मन्दिर

राजस्थान शेखावाटी अंचल के सीकर जिले में स्थित जीण माता के दर्शन करने देश भर से माता भक्त यहाँ आते रहते हैं। नवरात्र के समय यहाँ विशाल मेला भरता है, जिसमे असंख्य श्रद्धालु यहाँ माता की झलक पाने हेतु आते हैं। जीण माता धाम से मात्र 28 किमी की दूरी पर विश्व-प्रसिद्ध खाटू श्यामजी का मन्दिर है। लोक विश्वास तथा ज्ञात इतिहास के अनुसार वर्तमान चुरू जिले के घांघू गाँव की चौहान राजकन्या जीण ने अपनी भावज के व्यंग्य बाणों और प्रताड़ना से व्यथित होकर सांसारिक जीवन छोड़कर आजीवन अविवाहित रहकर इस स्थान पर कठोर तपस्या की तथा लोकदेवी के रूप में प्रख्यात हुई।

* तनोट माता मन्दिर

भारत- पाकिस्तान युद्ध के समय माताजी ने जो चमत्कार दिखाए उनसे यह मन्दिर विश्वप्रसिद्ध हो गया। राजस्थान के जैसलमेर जिले में भारत – पाकिस्तान की बॉर्डर के नजदीक स्थित तनोट नामक गांव में विराजमान माताजी के अभूतपूर्व चमत्कारों का लोहा पाकिस्तान भी मान चुका है। भारत- पाकिस्तान युद्ध के समय देवी स्वांगियां ने अपनी शक्ति से इस धरा की रक्षा कर अद्भुत चमत्कार दिखाए। 16 नवम्बर 1965 ई। को पाकिस्तान के सैनिकों ने आगे बढ़कर शाहगढ़ तक 150 कि।मी। कब्जा कर लियऔर तन्नोट के चारों ओर घेरा डालकर करीब 3000 बम बरसाए लेकिन मंदिर को एक खरोंच तक नहीं आई।

* शिला देवी मन्दिर

राजस्थान के जयपुर जिले में आम्बेर के महल में स्थित शिला देवी की आकर्षक प्रतिमा अपने भक्तों का मन मोह लेती है। यह आम्बेर जयपुर के राजवंश की कुलदेवी है। मंदिर में संगमरमर का सुंदर अलंकरण, चाँदी की परत से सुसज्जित किवाड़, पूजा के लिए चाँदी का घण्टा शाही शान की झलक प्रस्तुत करते हैं। इस मूर्ति के विषय में दो मत प्रचलित हैं एक तो यह कि यह मूर्ति राजा के पूजान्तर्गत थी तथा राजा को यह वरदान था कि जब तक इस प्रतिमा की अनवरत पूजा होती रहेगी वह अपराजेय रहेगा। महाराजा मानसिंह को इस रहस्य की जानकारी होने पर उसने पुजारी के माध्यम से पूजा के क्रम में विघ्न उत्पन्न करवाया, जिससे केदार राजा पराजित हुआ।