भारत के इन 10 मंदिरों में महिलाओं के प्रवेश पर हैं विवाद, जानें इनके बारे में

भारत दुनिया का एकमात्र ऐसा देश है जहां अलग-अलग जाति और धर्म के लोग एकसाथ मिलझुलकर रहते हैं। देश के हर राज्य और जिले में एक ही स्थान पर मंदिर, मस्जिद, चर्च, गुरुद्वारा आसानी से मिल जाते हैं। इसी के चलते यहां के धार्मिक स्थल आस्था के साथ ही पर्यटन के लिए भी जाने जाते हैं। सभी इन धार्मिक स्थलों के दर्शन करने पहुंचते हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि देश के कुछ धार्मिक स्थल ऐसे भी हैं जहां महिलाओं का प्रवेश वर्जित रखा गया हैं। आपको जानकर अजीब जरूर लगेगा, लेकिन यह सच हैं। देश में कई ऐसे धार्मिक स्थल हैं जहां महिलाओं के प्रवेश पर विवाद बना हुआ हैं। हांलाकि कई मामलों में अदालत में सुनवाई भी जारी हैं। आज हम आपकों ऐसे धार्मिक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आज भी स्त्रियों के प्रवेश पर पाबंदी है।

शनि शिंगनापुर मंदिर

शनि शिंगनापुर मंदिर महाराष्ट्र के अहमदनगर जिले में स्थित एक प्रसिद्ध मंदिर है। यह मंदिर भगवान शनि के लिए प्रसिद्ध है, जिनके बारे में माना जाता है कि वे आज भी यहां एक काले पत्थर में निवास करते हैं। यह मंदिर हर साल बड़ी मात्रा में भक्तों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। लेकिन आपकी जानकरी के लिए बता दे कि महिलाओं को 400 से अधिक वर्षों के लिए शनि मंदिर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। इस मंदिर में सिर्फ पुरुष श्रद्धालु ही शनि महाराज के दर्शन कर सकते थे। जिसका महिलायों द्वारा कड़ा विरोध भी किया गया। और 8 अप्रैल 2016 में इस परंपरा के खिलाफ विरोध किये जाने के बाद इस मंदिर में महिलाओं के प्रवेश को अनुमति मिली है।

सबरीमाला मंदिर

केरल के पथानामथिट्टा जिले में मौजूद सबरीमाला मंदिर दक्षिण भारत के सबसे प्रसिद्ध और पवित्र मंदिरों में से एक है। सह्याद्रि पर्वतमाला पर मौजूद ये मंदिर हिंदू ब्रह्मचर्य देवता अयप्पन को समर्पित है। कहा जाता है कि इस मंदिर में आने के लिए भक्तों को 41 दिनों का व्रत रखना पड़ता है। ऐसे में पीरियड के कारण महिलाएं ये व्रत पूरा नहीं कर पाती हैं, इसलिए इस मंदिर के परिसर में महिलाओं को नहीं जाने दिया जाता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हाल के कुछ वर्षों में महिलाओं को मंदिर में जाने को लेकर कई बार विरोध भी देखा गया। हालांकि, सुप्रीम कोर्ट ने महिलाओं को अंदर जाने की अनुमति दे दी है लेकिन, स्थानीय लोग आज भी इसका विरोध करते हैं।

पद्मनाभस्वामी मंदिर

पद्मनाभस्वामी भारत के केरल के तिरुअनंतपुरम में भगवान विष्णु का प्रसिद्ध मंदिर है। प्रमुख वैष्णव मंदिरों में शामिल यह ऐतिहासिक मंदिर तिरुअनंतपुरम के अनेक पर्यटन स्थलों में से एक है। पद्मनाभ स्वामी मंदिर विष्णु-भक्तों की महत्वपूर्ण जगह है। मान्यता है कि सबसे पहले इस जगह से विष्णु भगवान की प्रतिमा प्राप्त हुई थी। जिसके बाद उसी जगह पर इस मंदिर का निर्माण किया गया है। इस मंदिर में महिलाओं काप्रवेश करने की अनुमति नहीं है।

पीर हाजी अली दरगाह

भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई में मौजूद पीर हाजी अली दरगाह मुस्लिम समुदाय के लोगों के लिए एक बेहद ही पवित्र धार्मिक स्थल है। इस दरगाह में हर महीने लाखों भक्त हाजी अली की कब्र पर चादर चढ़ाने के लिए आते हैं। लेकिन, आपकी जानकारी के लिए बता दें कि हर महीने लाखों भक्त आते तो हैं, लेकिन इस दरगाह में आज भी महिलाओं के प्रवेश की मनुमति नहीं है। साल 2011-12 के आसपास कुछ समय के लिए इस पाबंदी को हटा दिया गया थी लेकिन, बाद में फिर से इसपर पाबंदी लगा दी गई।

कार्तिकेय मंदिर

राजस्थान के पुष्कर शहर में मौजूद ब्रम्हा मंदिर भगवान ब्रम्हा जी को समर्पित है। इस मंदिर के परिसर में मौजूद है कार्तिकेय मंदिर, जिसमें महिलाओं को जाने की अनुमति नहीं है। कहा जाता है कि कार्तिकेय ब्रह्मचारी ईश्वर है, इसलिए कोई महिला इस मंदिर में प्रवेश नहीं करती है, अगर महिलाएं जाती भी है तो लोग क्रोधित हो जाते हैं। इस मंदिर के आसपास महिलाओं को प्रार्थना करने की भी अनुमति नहीं है।

हजरत निज़ामुद्दीन औलिया की दरगाह

दक्षिणी दिल्ली की हजरत निज़ामुद्दीन औलिया का मकबरा सूफी काल की एक पवित्र दरगाह है। इस दरगाह में औरतों का प्रवेश करना मना है। हजरत निज़ामुद्दीन, चिश्ती घराने के चौथे संत थे। इस सूफी संत ने वैराग्य और सहनशीलता की मिसाल पेश की। कहा जाता है कि 1303 में इनके कहने पर मुगल सेना ने हमला रोक दिया था, इस प्रकार ये सभी धर्मों के लोगों में लोकप्रिय बन गए।

मुक्तागिरी जैन मंदिर

मध्य प्रदेश के गुना में एक जैन मंदिर है। इस मंदिर के मुख्य देवता भगवान शांतिनाथ हैं। इस मंदिर का निर्माण सन 1236 में किया गया था। इस जैन मंदिर में कोई भी महिला या लड़की विदेशी परिधान और मेकअप के साथ प्रवेश नहीं कर सकती है।

कामाख्या मंदिर

माँ कामाख्या या कामेश्वरी को इच्छा की देवी कहा जाता है। कामाख्या देवी का प्रसिद्ध मंदिर उत्तर पूर्व भारत में असम राज्य की राजधानी गुवाहाटी के पश्चिमी भाग में स्थित नीलाचल पहाड़ी के मध्य में स्थित है। मां कामाख्या देवालय को पृथ्वी पर 51 शक्तिपीठों में सबसे पवित्र और सबसे पुराना माना जाता है। मंदिर की दिलचस्प बात यह है की मंदिर माता की पूजा के लिए कोई मूर्ति स्थापित नही है बल्कि मंदिर परिसर में योनि के आकार की एक समतल चट्टान है जिसकी पूजा की जाती है। और इसी बजह से महिलायों को मासिक धर्म के दौरान मंदिर में जाने की अनुमति नहीं है।

मावली मंदिर

हिमाचल के धमतरी से 5 किलोमीटर की दूरी पर मावली माता का एक मंदिर है। इस मंदिर में महिलाएं प्रवेश नहीं करती हैं। मंदिर के द्वार से ही पूजा करती है। इसके पीछे मान्यता है कि माता ने सपने में बताया था कि वह कुंवारी है इसलिए उनके मंदिर में महिलाएं न प्रवेश करें।

मंगल चंडी मंदिर

मंगल चंडी मंदिर भारत के उन चुनिन्दा मंदिरों में से एक है जहाँ महिलायों का प्रवेश प्रतिबंधित हैं। मंगल चंडी मंदिर एक महिला देवी का घर है, फिर भी महिलाओं को परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं है। झारखंड का यह 200 साल पुराना मंदिर केवल मंदिर में आने वाले पुरुषों के प्रसाद को ग्रहण करता है। ऐसा कहा जाता है कि अगर महिलाएं इस मंदिर में देवी की पूजा करती हैं तो इससे देवी नाराज हो सकती हैं और दुर्भाग्य ला सकती हैं।