वीकेंड पर ले सकते हैं मथुरा-वृंदावन के इन महत्वपूर्ण मंदिरों के दर्शन करने का आनंद

जब भी कभी राधा-कृष्ण का नाम आता हैं तो मथुरा-वृंदावन की धरती को याद किया जाता हैं जो कि बहुत पवित्र मानी जाती हैं। मथुरा भगवान कृष्ण की जन्मभूमि हैं। राधा और कृष्ण के भक्तों के लिए मथुरा-वृंदावन किसी स्वर्ग से कम नही हैं। वैसे तो मथुरा-वृंदावन में 5 हजार से भी ज्यादा मंदिर हैं लेकिन कुछ प्रमुख मंदिर ऐसे हैं जहां आप वीकेंड पर दर्शन करने पहुंच सकते हैं। ये मंदिर केवल श्रद्धा की दृष्टि से ही नहीं बल्कि कला के नजरिए से भी बहुत महत्व रखते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको मथुरा-वृंदावन के उ प्रमुख मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां आप वीकेंड के दो दिनों में भक्ति के साथ घूमने का आनंद ले सकते हैं। तो आइये जानते हैं इनके बारे में...

श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर, मथुरा

श्री कृष्ण जन्मस्थान मंदिर उत्तर प्रदेश के पवित्र शहर मथुरा में स्थित है। यह जेल की कोठरी के चारों ओर बनाया गया है, जिसमें भगवान कृष्ण के माता-पिता, माता देवकी और वासुदेव कंस मां द्वारा कैद किये गए थे। हिंदुओं के लिए इस मंदिर का बहुत महत्व है क्योंकि इसे भगवान कृष्ण का जन्मस्थान माना जाता है। यहां आपको मंदिर में दर्शन के साथ ही आकर्षक गुफा में घूमने को मिलेगा, जिसके लिए अलग से टिकट लेना पड़ता है। 10 रुपये का टिकट लेकर आप गुफा के अंदर जा सकते हैं, जिसमें श्री कृष्ण की झांकियां साउंड इफेक्ट के साथ दिखाई जाती हैं।

द्वारकाधीश मंदिर, मथुरा

द्वारकाधीश मंदिर, जिसे मथुरा शहर के सबसे पवित्र मंदिरों में गिना जाना जाता है, अपनी विस्तृत वास्तुकला और चित्रों के लिए पूरे देश में प्रसिद्ध है। इसे वर्ष 1814 में निर्मित किया गया था, जिसकी चमक अभी भी बरकरार है। यह मंदिर विश्राम घाट के नज़दीक है जो शहर के किनारे बसा प्रमुख घाट है। भगवान कृष्ण को अक्सर ‘द्वारकाधीश’ या ‘द्वारका के राजा’ के नाम से पुकारा जाता था और उन्हीं के नाम पर इस मंदिर का नाम पड़ा है। आजकल इस मंदिर का बंदोबस्त वल्लभाचार्य सम्प्रदाय देखती है। मुख्य आश्रम में भगवान् कृष्ण और उनकी प्रिय राधा की मूर्तियाँ हैं। इस मंदिर में दूसरे देवी देवताओं की मूर्तियाँ भी हैं। मंदिर के अन्दर सुन्दर नक्काशी, कला और चित्रकारी का बेहतरीन नमूना देखा जा सकता है। यमुना नदी के घाटों के पास स्थित मंदिर और उसके आसपास कई दिलचस्प एक्टिविटीज भी मौजूद हैं।

बिड़ला मंदिर, मथुरा

मथुरा जंक्शन से लगभग 6.5 किमी दूर वृंदावन-मथुरा रोड पर मथुरा के बाहरी इलाके में प्रसिद्ध बिड़ला मंदिर है, जिसे गीता मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह एक प्रमुख हिंदू तीर्थ स्थल है जहां तीर्थयात्री और पर्यटक समान रूप से आते हैं। यह मंदिर भगवान लक्ष्मी नारायण को समर्पित है। मथुरा का बिड़ला मंदिर दिल्ली के विशाल भव्य 'लक्ष्मीनारायण मन्दिर' का ही छोटा रूप है। मन्दिर एक प्रशस्त लम्बे-चौड़े विशाल भूभाग में बना हुआ है, जो ऊँची पक्की चहारदीवारी से घिरा है। इसमें पांचजन्य शंख और सुदर्शन चक्र लिये हुए भगवान श्रीकृष्ण की भव्य श्वेत प्रतिमा प्रतिष्ठित है। साथ ही सीता-राम एवं भगवान लक्ष्मी नारायन के भी विग्रह प्रतिष्ठित हैं।

बांके बिहारी मंदिर, वृंदावन

यहां से वृंदावन जाएं जहां भगवान कृष्ण को समर्पित श्री बांके बिहारी मंदिर है। इस मंदिर की इमारत राजस्थानी शैली में बनी है। मंदिर में भगवान कृष्ण की छवि बच्चे के रूप में है। इस मंदिर में एक भी घंटी या शंख नहीं है, क्योंकि मान्यता है कि भगवान को यहां इन वाद्ययंत्रों की आवाज पसंद नहीं थी। श्रीधाम वृन्दावन, यह एक ऐसी पावन भूमि है, जिस भूमि पर आने मात्र से ही सभी पापों का नाश हो जाता है। ऐसा आख़िर कौन व्यक्ति होगा जो इस पवित्र भूमि पर आना नहीं चाहेगा तथा श्री बाँकेबिहारी जी के दर्शन कर अपने को कृतार्थ करना नहीं चाहेगा। यह मन्दिर श्री वृन्दावन धाम के एक सुन्दर इलाके में स्थित है।

रंगनाथ मंदिर, वृंदावन

वृंदावन-मथुरा मार्ग पर श्री रंगनाथ मंदिर स्थित है, इसे रंगजी मंदिर भी कहते हैं। यह मंदिर भगवान कृष्ण के अवतार रंगनाथ जी को समर्पित है, जो दक्षिण भारतीय शैली में बना है। यहां भगवान कृष्ण की प्रतिमा दूल्हे के रूप में रखी है। वहीँ दुल्हन गोदा हैं। यह उत्तर भारत के सबसे बड़े मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी को समर्पित है। भगवान रंगनाथ, जिन्हें रंगजी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु का विश्राम रूप है। यहां पर भगवान नरसिंह, वेणुगोपाला और रामानुजाचार्य के साथ-साथ राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर की द्रविड़ शैली की वास्तुकला एक प्रमुख आकर्षण है।

प्रेम मंदिर, वृंदावन

साल 2001 में जगद्गुरु श्री कृपालुजी महाराज ने प्रेम मंदिर बनवाया था। इस मंदिर की खूबसूरती भक्तों को आकर्षित करती है। मंदिर परिसर के चारों ओर बगीचे हैं, जहां बड़ी बड़ी झांकियां देखने को मिलती हैं। भक्ति और प्रेम का यह अनूठा मंदिर वृंदावन के पास 54 एकड़ जमीन में बनाया गया है। इस मंदिर को गुजरात के सोमनाथ मंदिर की तर्ज पर बनाया गया है। इस मंदिर में शाम के समय जाना ज्यादा बेहतर रहेगा। प्रेम मंदिर को 1000 श्रमिकों ने दिन-रात काम कर 11 साल में बनाया था। इसे बनाने के लिए देशभर के बेहतरीन कारीगरों को बुलाया गया था। इस पूरे मंदिर को बेहतरीन क्वालिटी के संगमरमर से बनाया गया है।

राधा रमण मंदिर, वृंदावन
राधा रमण मंदिर भी भगवान कृष्ण को समर्पित है। वृंदावन में अत्यधिक पूजनीय मंदिरों में से एक, यह भगवान कृष्ण का राधा के प्रति गहन प्रेम को दर्शाता है। हालांकि राधा को समर्पित होने के बावजूद, आपको मंदिर में उनकी कोई मूर्ति नहीं मिलेगी। भगवान कृष्ण के बगल में एक शानदार मुकुट है जो उनकी उपस्थिति का प्रतीक है। ठाकुर के सात मंदिरों में गिना जाता है, यह भी वृंदावन के सबसे महत्वपूर्ण मंदिरों में से एक है।