भारत के 6 अनोखे मंदिर जहां देवी-देवता नहीं बल्कि की जाती हैं जानवरों की पूजा

भारत को मंदिरों का देश कहा जाता हैं जहां हर गली में किसी ना किसी देवी-देवता का पूजन किया जाता हैं। विधिवत पूजन और श्रद्धा के साथ भक्तगण अपने इष्ट की पूजा करते हैं। लेकिन आज इस कड़ी में हम आपको ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं जहां देवी-देवता नहीं बल्कि जानवरों की पूजा की जाती हैं। इन मंदिरों का अपना अनोखा इतिहास हैं जो इनकी पहचान बन चुकी हैं। तो आइये जानते हैं देश के इन मंदिरों के बारे में जहां जानवरों की पूजा की जाती हैं।

बंदर मंदिर, जयपुर

वैसे आपने आजतक मंदिरों में बंदरों का आंतक देखा होगा, जिनसे लोग अपना सामान बचाते हुए छुपकर निकलते हैं। लेकिन जयपुर में एक ऐसा मंदिर है, जहां बंदरों को बेहद पवित्र माना जाता है। शहर में गलताजी मंदिर को बंदर मंदिर के रूप में जाना जाता है जहां बंदरों की पूजा की जाती है। पर्यटकों के लिए यहां कोई एंट्री फीस नहीं है और अगर आप बंदरों को कुछ खिलाना पिलाना चाहते हैं तो यहां से आप ड्राई फ्रूट्स या केले जैसी चीजें खरीद सकते हैं। शाम के समय बंदरों को देखने के लिए यहां पर्यटकों की अच्छी खासी भीड़ देखने को मिल जाती है।

नाग मंदिर, केरल

सांप भले ही जहरीले होते हैं, लेकिन सांप भारत के पवित्र जानवरों में से एक हैं। केरल में मन्नारसला श्री नागराज मंदिर में सांपों की पूजा की जाती है। माना जाता है कि यह मंदिर देश के सबसे बड़े सांपों के मंदिरों में से एक है, जहां मंदिरों में सांपों की मूर्तियों की लगभग 30,000 छवियां मौजूद हैं। बच्चों की चाहत रखने वाली महिलाएं बड़ी संख्या में मंदिर में आती हैं और अपनी इच्छा पूरी होने पर एक सांप की मूर्ति स्थापित करती हैं।

भालू मंदिर, छत्तीसगढ़

चंडी माता मंदिर में हर दिन कुछ न कुछ अजीब होता है। छत्तीसगढ़ के महासमुंद में आरती के समय कुछ भालू इस मंदिर में आते हैं, पुजारी से प्रसाद खाते हैं और नौ बार परिक्रमा करके चले जाते हैं। दिलचस्प बात यह है कि उन्होंने मंदिर के लोगों को कभी चोट नहीं पहुंचाई। चंडी माता मंदिर मलकानगिरी वन प्रभाग के पास है जहाँ से ये भालू आते हैं।

चूहा मंदिर, राजस्थान

जब भी हमें घर में चूहा दिखता है, उसे भगाने के लिए हम दिन रात की प्लानिंग में लग जाते हैं, लेकिन भारत में एक ऐसा मंदिर है, जहां चूहों की सच्चे दिल के साथ पूजा की जाती है। राजस्थान का करणी माता मंदिर चूहों के निवास के लिए जाना जाता है। दिलचस्प बात तो ये है कि चूहे यहां पूजा करने आने वाले लोगों के साथ खाना खाते हैं। मंदिर में 20,000 चूहों का घर है और रोचक बात तो ये है कि, इस क्षेत्र में अभी तक प्लेग या अन्य बीमारियों का कोई मामला भी सामने नहीं आया है।स्थानीय लोगों का मानना है कि करणी माता का जन्म उनकी मृत्यु के बाद चूहे के रूप में हुआ था। उनका यह भी मानना है कि जब क्षेत्र में चूहे की मृत्यु हो जाती है, तो उनका मंदिर में पुनर्जन्म होता है।

डॉग टेंपल, चन्नापटना

कुत्ते दुनिया भर में सबसे प्यारे पालतू जानवर माने जाते हैं। कुत्तों को सबसे प्यारा जनवार भी कहा जाता है, और कहा भी क्यों न जाए, जिस तरह से वो अपने मालिक और घर की रखवाली करते हैं, शायद ही कोई आज के समय में एक दूसरे की इतनी देखभाल करता होगा। लेकिन कुत्तों के लिए मंदिर भी होगा, ये हमने और आपने किसी ने भी नहीं सोचा होगा। खिलौनों की नगरी चन्नापटना में लोगों ने कुत्तों के लिए मंदिर बनवाया हुआ है। स्थानीय लोगों का मानना है कि चूंकि कुत्ते निस्वार्थ, वफादार और भरोसेमंद होते हैं, इसलिए वे किसी भी गलत काम से उनके गांव की रक्षा करते हैं।

बैल मंदिर, बेंगलुरु

केवल गाय ही नहीं, देश के कुछ हिस्सों में लोगों द्वारा बैल को भी काफी पवित्र माना जाता है। बेंगलुरु में ऐसा ही एक मंदिर है, जहां श्रद्धालुओं द्वारा बैल की पूजा की जाती है। बुल मंदिर नाम से मशहूर ये मंदिर, बेंगलुरु में प्रसिद्ध पर्यटक आकर्षणों में से एक है। इस खूबसूरत मंदिर में नंदी (बैल) की एक विशाल ग्रेनाइट की मूर्ति रखी गई है। ऐसा माना जाता है कि विश्व भारती नदी का उद्गम इस प्रतिमा के चरणों से होता है। ऐसा कहा जाता है कि मंदिर का निर्माण एक बैल को नियंत्रित करने के लिए किया गया था, जिसने क्षेत्र की सभी फसलों को नष्ट कर दिया था।