प्रकृति प्रेमियों के लिए जन्नत से कम नहीं हैं टिहरी, जानें यहां के प्रसिद्द दर्शनीय स्थल

गर्मियों के इन दिनों में लोग किसी हिल स्टेशन पर घूमने जाने का विचार करते हैं। ऐसे में आप टिहरी का चुनाव कर सकते हैं जो प्रकृति प्रेमियों के लिए किसी जन्नत से कम नहीं हैं। टिहरी गढ़वाल उत्तराखंड के पवित्र पर्वतीय जिलों में से एक है, जो बाहरी हिमालय के दक्षिणी ढलानों पर स्थित है। टिहरी और गढ़वाल शब्दों को मिलाकर जिले को टिहरी गढ़वाल नाम दिया गया है। वर्तमान समय में एडवेंचर एक्टिविटी के तौर पर न्यू टिहरी को काफी ज्यादा प्रचारित किया जा रहा है। रिवर-राफ्टिंग, ट्रेकिंग, रॉक क्लाइबिंग आदि रोमांचक गतिविधियों के लिए भी यह पहाड़ी स्थल काफी ज्यादा प्रसिद्ध है। आज इस कड़ी में हम आपको टिहरी के प्रमुख दर्शनीय स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो यहां घूमने का आनंद बढ़ाते हैं। आइये जानते हैं इन जगहों के बारे में...

सुरकंडा देवी मंदिर

सुरकंडा देवी मंदिर पहाड़ों की चोटी पर स्थित एक हिंदू मंदिर है। सुरकंडा देवी मंदिर में मां दुर्गा की पूजा की जाती है। यह मंदिर उत्तराखंड के पहाड़ी पर जौनपुर सुक़राट पर्वत पर स्थित है, जो कि समुद्र तल से 3000 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह सुरकंडा देवी मंदिर एवं यहां से दिखने वाला दृश्य इतना आकर्षक हैं कि यहां पर्यटक उत्तराखंड के अलावा भारत के अलग-अलग कोनों से भी घूमने आते हैं।

ओणेश्वर महादेव मंदिर

ओणेश्वर महादेव भगवान शिव स्वरुप है। इस मन्दिर में श्रीफल के अतिरिक्त और किसी भी चीज की बली नहीं दी गई और आज भी मात्र एक श्रीफल और चावल अपने ईष्ट को पूजने का काम सभी श्रद्धालू करते आ रहे हैं। ओणेश्वर महादेव मंदिर श्रद्धा, विश्वास , प्रगति और उन्नति का प्रतीक है।

न्यू टिहरी

टिहरी गढ़वाल के 25 अक्टूबर 2005 में झील में बदल जाने के बाद टिहरी के लोगो द्वारा उसके आस पास के छेत्रो में नया शहर बसाया गया जो न्यू टिहरी के रूप में जाना जाता है। न्यू टिहरी अपने आकर्षक और मनोरम प्राकृतिक दृश्यों के साथ साथ अपने खूबसूरत धार्मिक स्थल लिए प्रसिद्ध है। वर्तमान समय में टिहरी अपनी एडवेंचर एक्टिविटी जिसमें रॉक क्लाइंबिंग, ट्रैकिंग तथा रिवर राफ्टिंग जैसे रोमांचक गतिविधियां शामिल है इसके लिए भी लोकप्रिय है। इस पहाड़ी स्थल की इन रोमांचक और साहसिक गतिविधियों के कारण यह बहुत ही लोकप्रिय हो रहा है।

चन्द्रबदनी मंदिर

चन्द्रबदनी मंदिर देवी सती की शक्तिपीठों में से एक पवित्र धार्मिक स्थान है। चन्द्रबदनी मंदिर टिहरी मार्ग पर चन्द्रकूट पर्वत पर स्थित लगभग आठ हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित है। यह मंदिर देवप्रयाग से 33 किमी की दूरी पर स्थित है। आदि जगतगुरु शंकराचार्य ने यहां शक्तिपीठ की स्थापना की। धार्मिक ऐतिहासिक व सांस्कृतिक दृष्टि में चन्द्रबदनी उत्तराखंड की शक्तिपीठों में महत्वपूर्ण है। स्कंदपुराण, देवी भागवत व महाभारत में इस सिद्धपीठ का विस्तार से वर्णन हुआ है। प्राचीन ग्रन्थों में भुवनेश्वरी सिद्धपीठ के नाम से चन्द्रबदनी मंदिर का उल्लेख है।

डोबरा चांठी पुल

यह पुल उत्तराखंड के टिहरी जनपद में झील के ऊपर बना हुआ है। जब से टिहरी बांध का निर्माण कार्य पूरा हुआ था तभी से इस पुल की मांग तेज हो गई थी। प्रताप नगर के लोग लोग के लोग लोग वर्षों तक आंदोलनरत रहे अब यह पुल पूरी तरह से भारी एवं हल्के वाहनों के लिए खोल दिया है। यह पुल बेहद खूबसूरत एवं आकर्षक है। डोबरा चांठी पुल की लंबाई 725 मीटर है जिसमें करीब 3 अरब रुपए खर्च हुए हैं पुल की उम्र करीब 100 साल के आसपास बताई जा रही है।

नाग टिब्बा

नाग टिब्बा ट्रेकिंग के लिए जाना जाता है। इस ट्रेक के ट्रेकिंग के दौरान दिखने वाला खूबसूरत दृश्य देवदार के वृक्षों से घिरा जंगल इसकी खूबसूरती में निखार ला देता है। इसकी ट्रेकिंग के दौरान दिखने वाले शानदार दृश्य गंगोत्री, स्वर्गारोहिन, केदारनाथ पर्वत की चोटियों अपनी ओर मन को मोहित कर लेती हैं।

मासर ताल

यह समुद्र तल से 3,000 मीटर की ऊँचाई पर स्थित है। भीलंगना नदी का उद्गम स्थल मसर ताल का महत्वपूर्ण स्रोत है। इस झील के पास स्थित ज्ञात शहर घ्ट्टू और घनसाली हैं। यह झील मासार टॉप के नीचे स्थित है। इन घास के मैदानों को विभिन्न वनस्पतियों से ढंका गया है, जिस पर नंगे पैर चलने से ऐसा लगता है जैसे बादलों पर बह रही हो।

देवप्रयाग

अलकनंदा नदी और भागीरथी नदी के संगम पर बसा देवप्रयाग धार्मिक और प्राकृतिक सुंदरता का खूबसूरत मिश्रण प्रदर्शित करता है। यहाँ बने सस्पेंशन ब्रिज से नदियों के साथ दिखने वाला सूर्योदय और सूर्यास्त का नजारा बेहद अद्भुत होता है। यहाँ स्थित भगवान राम को समर्पित रघुनाथजी मंदिर के बारे में लोगो का कहना है की ये 10000 साल पुराना मंदिर है और इसी स्थान पर भगवान राम ने रावण को हराने के पश्चात वैराग्य किया था। चार धाम यात्रा के दौरान देवप्रयाग एक महत्वपूर्ण स्थान है जहाँ भारी मात्रा में श्रद्धालु और पर्यटक आते रहते है।