एक समृद्ध ऐतिहासिक भूमि है भारत, कई कहानियां बयां करती हैं ये 12 जगहें

विश्व भर से बड़ी संख्या में लोग भारत भ्रमण के लिए आते हैं क्योंकि भारत अपने ऐतिहासिक और सांस्कृतिक महत्व के लिए नई ऊंचाइयां छू रहा हैं। भारत के महत्व को बढ़ाने का श्रेय देश की ऐतिहासिक, पारंपरिक और भव्य विरासत को जाता हैं। भारत एक ऐसा देश है जहां आदि काल से लेकर मध्य काल एवं वर्तमान काल तक के साक्ष्य मौजूद हैं। भारत में कई ऐसे ऐतिहासिक स्थल है जो भारत के इस गौरवमयी इतिहास को प्रदर्शित करती है। इन ऐतिहासिक स्थलों के पीछे छिपी है प्यार, वीरता, ताकत और युद्ध की प्रसिद्ध कहानियां। आज इस कड़ी में हम आपको कुछ ऐसे ऐतिहासिक स्थलों के बारे में बताने जा रहे हैं जो आज के पर्यटन का प्रमुख हिस्सा हैं और बहुत कुछ बयां करते हैं। आइये जानते हैं इन स्थलों के बारे में...

कुतुब मीनार

कुतुब मीनार को उत्तर भारत में पहले मुस्लिम साम्राज्य के स्थल के रूप में जाना जाता है और यह उस जमाने की मुस्लिम वास्तुकला का बेहतरीन उदाहरण है जिसका निर्माण सैंडस्टोन यानी बलुआ पत्थर से किया गया था। इस मीनार में कुरान से ली गई कई आयतें भी उकेरी गई हैं जो मुख्य रूप से अरबी भाषा में है। भारत के पहले मुस्लिम शासक कुतुबुद्दीन ऐबक के नाम पर इस मीनार का नाम कुतुब मीनार पड़ा। कुतुब मीनार को यूनेस्को द्वारा भारत के सबसे पुराने वैश्विक धरोहरों की सूचि में भी शामिल किया गया है। क़ुतुब मीनार दुनिया की सबसे बड़ी ईटों की दीवार है जिसकी ऊंचाई 72.5 मीटर है। मोहाली की फतह बुर्ज के बाद भारत की सबसे बड़ी मीनार में क़ुतुब मीनार का नाम आता है।

ताजमहल

प्यार का प्रतीक माने जाने वाला ताजमहल आगरा शहर में स्थित एक विश्वधरोहर ऐतिहासिक स्थल है। यह एक मकबरा है जिसका निर्माण 1632 से 1653 के मध्य किया गया था। मुगल वास्तुशैली वाले इस मकबरे का निर्माण मुगल शासक शाहजहाँ ने अपनी बेगम /पत्नी मुमताज महल की याद में करवाया था। ताजमहल की वास्तुशैली मिश्रित प्रकार की है इसमें फ़ारसी, भारतीय, इस्लामी और तुर्क वास्तुकला के घटकों को सम्मिलित किया गया है। ताज महल की ऊंचाई 171 मीटर (561 फ़ीट) है।

मैसूर महल

मैसूर महल को अंबा विलास महल के नाम से भी जाना जाता है। मैसूर भारत के कर्नाटक प्रान्त का दूसरा सबसे बड़ा शहर है। यह प्रदेश की राजधानी बंगलोर से लगभग डेढ सौ किलोमीटर दक्षिण में तमिलनाडु की सीमा पर बसा है। इस महल में इंडो-सारासेनिक, द्रविडियन, रोमन और ओरिएंटल शैली का वास्तुशिल्प देखने को मिलता है। महल के साथ-साथ यहां 44।2 मीटर ऊंचा एक पांच तल्ला टावर भी है, जिसके गुंबद को सोने से बनाया गया है।

लाल किला

दिल्ली का लाल किला भारत के दिल्ली शहर का एक ऐतिहासिक किला है। लाल किला भारत में पर्यटकों के लिए एक बहुत ही खास जगह है। दूसरे देशों से आने वाले पर्यटक भी भारत के इस किले को देखना बेहद पसंद करते हैं। इस किले के बारे में बात करें तो वर्ष 1856 तक इस किले पर लगभग 200 वर्षों तक मुगल वंश के सम्राटों का शासन था। यह दिल्ली के केंद्र में स्थित है। लाल किला बादशाहों और उनके घर के अलावा मुगल राज्य का औपचारिक और राजनीतिक केंद्र था। यह स्थान खास तौर से होने वाली सभा के लिए स्थापित किया गया था।

हवा महल

इस महल का नाम हवा महल इसलिए भी पड़ा क्योंकि जब आप इस महल के अंदर जाएंगे तो भले ही बाहर हवा न चल रही हो लेकिन अंदर आपको ठंडक और हवा का अहसास होगा। इस महल में 953 खिड़कियां मौजूद है और इस महल का आकार सिर पर रखे जाने वाले ताज के जैसा है। भगवान कृष्ण के सबसे बड़े भक्तों में से एक महाराजा सवाई प्रताप सिंह ने इस महल का निर्माण करवाया था। जयपुर के दिल में स्थित हवा महल को लाल चंद उस्ताद ने डिजाइन किया था।

आगरे का किला

आगरा फोर्ट भारत की सांस्कृतिक धरोहर है। यूनेस्को द्वारा आगरा के किला को विश्व धरोहर स्थल में शामिल किया गया है। यह भारत के आगरा शहर (उत्तर प्रदेश) में स्थित है। यह ताजमहल से लगभग 2 से 3 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। इस किले में मुग़ल शासक बाबर, हुमायूँ, अकबर, जहांगीर, शाहजहां, औरंगजेब रहा करते थे। आगरा किले को साल 2004 में आग़ाखाँ वास्तु पुरस्कार भी दिया गया था। इसकी स्मृति पर भारतीय डाक विभाग ने 28 नवम्बर 2004 को एक डाकटिकट जारी किया था।

फतेहपुर सीकरी

फतेहपुर सीकरी एक ऐसा शहर है जो मुख्य रूप से लाल बलुआ पत्थर से बना हुआ है। बता दे कि फतेहपुर सीकरी की स्थापना 16 वीं शताब्दी में मुगल सम्राट अकबर द्वारा की गई थी। इसके बाद यह 15 सालों तक उसके साम्राज्य की राजधानी रहा। यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल में शामिल यह जगह अकबर की स्थापत्य कला का एक अच्छा उदाहरण है। फतेहपुर सीकरी यहां आने वाले पर्यटकों को अपनी खूबसूरती से आश्चयचाकित कर देता है, जिसमें बुलंद दरवाजा, सलीम चिश्ती के मकबरे, जोधाबाई के महल और जामा मस्जिद मुख्य आकर्षण हैं। फतेहपुर सीकरी शुक्रवार को छोड़कर प्रति दिन सुबह से शाम तक पर्यटकों के लिए खुला रहता है।

एलीफेंटा की गुफाएं

एलीफेंटा की गुफाएं मुंबई से लगभग 11 किलोमीटर उत्तर-पूर्व की तटीय पहाडि़यों पर स्थित हैं तथा ये लगभग सात किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हैं। एलिफेंटा की गुफ़ाएँ पौराणिक देवताओं की अत्यन्त भव्य मूर्तियों के लिए विख्यात है। इस खाड़ी का नाम घारापुरी भी है जिसका अर्थ होता है गुफाओं का शहर। इस जगह पर दो प्रकार की गुफाएं हैं एक जो हिन्दू धर्म को दर्शाती हैं और दूसरी वो जो बौद्ध धर्म के मानने वालों के लिए हैं। 1987 में एलिफेंटा की गुफ़ाएँ को विश्व विरासत स्थल की सूची में शामिल किया गया था।

विक्टोरिया मेमोरियल

भारत में ब्रिटिश शासनकाल के दौरान कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल का निर्माण करवाया गया था। उस वक्त के वायसरॉय लॉर्ड कर्जन ने इस स्मारक का आइडिया दिया था लेकिन इसका वास्तविक डिजाइन सर विलियम इमरसन ने किया। इसके अंदर एक म्यूजियम है जो ब्रिटिश शासन की याद दिलाता है जिसमें हथियारों से लेकर, पेटिंग्स, कलाकृतियां, मूर्तियां और क्वीन विक्टोरिया की रॉयल पोट्रेट भी शामिल है।

चार मीनार

तेलंगाना के हैदराबाद शहर में स्थित चारमीनार का निर्माण 1591 में सुल्तान मुहम्मद कुली क़ुतुब शाह द्वारा किया गया था। यह भारत का प्रसिद्ध स्मारक और मस्जिद है जोकि मुसी नदी के किनारे पूर्वी तट पर स्थित है। चार मीनार को भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा स्मारकों की लिस्ट में वास्तुशिल्प और पुरातात्विक स्मारक के रूप में शामिल किया गया है। इस ऐतिहासिक स्थल के पास लाड बाजार, पाथेर गट्टी अपने विशेष चूड़ियों और आभुषणों के लिए जाना जाता है। चार मीनार संगमरमर, सुना पत्थर, ग्रेनाइट से बना हुआ शानदार अजूबा है।

खजुराहो के मंदिर

खजुराहो भारत के मध्य में स्थित मध्य-प्रदेश राज्य का एक बहुत ही खास शहर और पर्यटक स्थल है। जोकि अपने प्राचीन और मध्यकालीन मंदिरों के लिए देश भर में ही नहीं बल्कि दुनिया भर में प्रसिद्ध है। मध्यप्रदेश में कामसूत्र की रहस्यमई भूमि खजुराहो अनादिकाल से दुनिया भर के पर्यटकों को आकर्षित करती रही है। छतरपुर जिले का यह छोटा सा गाँव स्मारकों के अनुकरणीय कामुक समूह के कारण विश्व-प्रसिद्ध है। जिसके कारण इसने यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों की सूची में अपना स्थान बनाया है। खजुराहो का प्रसिद्ध मंदिर मूल रूप से मध्य प्रदेश में हिंदू और जैन मंदिरों का एक संग्रह है। ये सभी मंदिर बहुत पुराने और प्राचीन हैं। जिन्हें चंदेल वंश के राजाओं द्वारा 950 और 1050 के बीच कहीं बनवाया गया था। खजुराहो मंदिर पर्यटकों के लिए सुबह से लेकर शाम तक खुला रहता है।

नालंदा विश्वविद्यालय

प्राचीन भारत में नालंदा विश्वविद्यालय उच्च शिक्षा का केंद्र रहा है। नालंदा विश्वविद्यालय बिहार राज्य के राजगीर से 11 किलोमीटर की दूरी पर एक गाँव में स्थित है। नालंदा विश्वविद्यालय में देश -विदेश से छात्र पढ़ने के लिए आय करते थे। यहाँ लगभग 10 हजार छात्रों के लिए 2000 शिक्षक हुआ करते थे। प्रसिद्ध चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं सदी में नालंदा विद्यालय में एक साल के लिए विद्यार्थी और शिक्षक के रूप में जीवन व्यतीत किया था। इस प्रसिद्ध विश्वविद्यालय का निर्माण गुप्त वंश के राजा कुमारगुप्त प्रथम द्वारा 450 -470 में किया गया था।