नवरात्रि विशेष: इस नवरात्रि जरुर जाए राजस्थान के इन प्रसिद्द मंदिरों में

आध्यात्मिक दृष्टिकोण से भारत में देवीपूजा की बहुत मान्यता है. देवी जो शक्ति के रूप में संसार को चलाती है. भारतवर्ष के कोने-कोने में देवियों के मन्दिर स्थापित हैं, उसी तरह राजस्थान में भी देवीमाता के प्रसिद्द मंदिर हैं, जिनके बारे में आज हम आपको बताने जा रहे हैं.

# करणी माता मंदिर : देशनोक (बीकानेर) में करणी माता का प्रसिद्ध मंदिर है. करणी माता चुहों वाली देवी के नाम से भी प्रसिद्ध है. तथा करणी माता बीकानेर के राठौड़ वंश की कुल देवी है. करणी माता के मंदिर का निर्माण कर्ण सिंह के द्वारा करवाया गया है. करणी माता के सफेद चूहे को काबा कहते है. चैत्र व आश्विन माह के नवरात्रों के दौरान करणी माता का मेला लगता है.

# जीण माता मंदिर : राजस्थान शेखावाटी अंचल के सीकर जिले में स्थित जीण माता के दर्शन करने देश भर से माता भक्त यहाँ आते रहते हैं. नवरात्र के समय यहाँ विशाल मेला भरता है, जिसमे असंख्य श्रद्धालु यहाँ माता की झलक पाने हेतु आते हैं. जीण माता धाम से मात्र 28 किमी की दूरी पर विश्व-प्रसिद्ध खाटूश्याम जी का मंदिर हैं. जीण माता अजमेर के चैहानों की कुलदेवी है.

#शीतला माता मंदिर : शीतला माता का मंदिर चाकसू (जयपुर) में स्थित है. शीतला माता के उपनाम चेचक की देवी, बच्चों की पालनहार व सेढ़ल माता के नाम से प्रसिद्ध है. शीतला माता की खण्डित मूर्ति के रूप में पूजी जाती है. शीतला माता के मंदिर का निर्माण माधोसिंह द्वितीय द्वारा बनाया गया. शीतला माता का प्रसाद बासडिया (रात्रि मे बना भोजन) का बनाया जाता हैं. चैत्र कृष्ण अष्टमी के दिन शीतला माता मेला का आयोजन होता है.

# शाकम्भरी माता मंदिर : शाकम्भरी माता का मन्दिर राजस्थान के जयपुर जिले के सांभर कस्बे में सांभर झील के पेटे में स्थित है. इस क्षेत्र में एक बार भयावह अकाल व सूखा पड़ा था तब देवी माँ ने शाक, वनस्पतियाँ व जल उत्पन्न करके यहाँ के निवासियों की रक्षा की थी. इस कारण देवी शाकम्भरी कहलाई.शाकम्भरी माता खण्डेलवाल समाज की कुल देवी हैं. शाकम्भरी माता का एक अन्य मंदिर उदयपुर वाटी (झुनझुनु) में स्थित है.

# शिला देवी मंदिर : शीला माता का मंदिर आमेर (जयपुर ) में स्थित है. शीला माता का उपनाम अन्नपूर्णा देवी है. शीला माता के मंदिर का निर्माण कच्छवाह शासक मानसिंह प्रथम द्वारा बनाया गया है. शीला माता का प्रमुख मंदिर आमेर के किले में विधमान है. शीला माता की मूर्ति केदारनाथ (बंगाल का शासक) से लाई गई थी. माता को प्रसाद के रूप – ‘शराब’, जल आदि भक्त की इच्छानुसार चढ़ाया जाता हैं.