गंगोत्री धाम से 9 किलोमीटर की दूरी पर भागीरथी के संगम पर है भैरों घाटी, लंका से पैदल चलकर आते थे तीर्थयात्री

उत्तराखंड भारत का एक खूबसूरत राज्य है। उत्तराखंड देवभूमि या कह लें देवों की भूमि से भी प्रसिद्ध है। उत्तराखंड हर उम्र के लोगों के लिए एक पसंदीदा पर्यटन स्थल बनकर उभरा है। यहां आप परिवार और दोस्तों के साथ घूमने के अलावा पार्टनर के संग भी कुछ रोमांटिक पल बिता सकते हैं। उत्तराखंड एक ऐसी जगह है, जहां न केवल हिमालय की खूबसूरती देखने को मिलती है, बल्कि यहां कई सांस्कृतिक सभ्यता भी देखी जा सकती है। उत्तराखंड के उत्तरकाशी जिले में गंगोत्री धाम से 9 किलोमीटर की दूरी पर भागीरथी नदी के संगम पर पड़ने वाली भैरों घाटी व जध जाह्वी गंगा का सौंदर्य अद्भुत है। कल-कल बहती नदी, विशाल चट्टानें और देवदार के पेड़ों से घिरी भैरों घाटी का नजारा इतना मनमोहक होता है कि हर कोई इसे निहारने के लिए बेबस सा हो जाता है। बताया जाता है कि 1985 से पहले तीर्थयात्री लंका से भैरों घाटी तक पैदल आते थे फिर यहीं से गंगोत्री धाम जाया करते थे। भैरों घाटी से आप भृगु पर्वत श्रृंखला, सुदर्शन, मातृ तथा चीड़वासा चोटियों के भी मनोरम दर्शन कर सकते हैं।

बचे है रस्सियों के कुछ टुकड़े

जाह्वी नदी पर राजा विलसन ने एक रस्सी का पुल बनवाया था, जो विश्व का सर्वोच्च झूला पुल था। इस पुल से आप कई आश्चर्यजनक नजारों को निहार सकते थे। वर्तमान में यहां कुछ रस्सियों के टुकड़े ही बचे हैं। ई टी एटकिंसन ने साल 1882 की अपनी एक रचना हिमालयन गजेटियर में बताया है कि यहां एक झूला पुल था, जिसे वनाधिकारी ओ कैलाघन ने जाधगंगा पर एक हल्के लोहे के पुल का निर्माण करवाया था। जो कि 380 फीट लंबा व 3 फीट चौड़ा था। जिसे तीर्थयात्री रेंगकर पार करते थे। जाह्वी गंगा की खोज करने वाले हाॅगसन के बारे में यह कहा जाता है कि जब उन्होंने भैरों घाटी के प्रभावशाली सौंदर्य को देखा तो उसे निहारते ही रह गए। उन्हें विशाल चट्टानें, खडी दीवारें, उंचे देवदार के पेड़ और भागीरथी का मनोरम दृश्य बेहद आकर्षक लगा। इसके अलावा प्रसिद्ध पर्वतारोही हेनरिक हैरियर भैरों घाटी से जाह्वी के किनारे किनारे होकर तिब्बत तक पहुंच गया था। जहां वह दलाई लामा का शिक्षक बन गया था।

कैसे पहुंचे भैरों घाटी

भैरों घाटी तक पहुंचने के लिए उत्तरकाशी पहुंचना होगा। जहां से आप लोकल वाहनों की मदद से भैरों घाटी तक पहुंच सकते है। सड़क मार्ग से जाने के लिए देहरादून बस अड्डे से उत्तरकाशी तक आसानी से पहुंचा जा सकता है। वहीं रेल माध्यम से जाने के लिए भी देहरादून स्टेशन तक आसानी से देश के किसी भी हिस्से से पहुंच सकते हैं। हवाई मार्ग से जाने के लिए जाॅली ग्रांट हवाई अड्डा देहरादून तक पहुंचना होगा। देहरादून से उत्तरकाशी के बीच की दूरी लगभग 188 किलोमीटर है।