काशी का रत्नेश्वर मंदिर एक रहस्य, पीसा की मीनार से भी अधिक है झुका हुआ

आप सभी पीसा की मीनार के बारे में तो जानते ही होंगे जो कि नींव से 4 डिग्री झुकी होने के कारण दुनियाभर में मशहूर है। वास्तुशिल्प के अनुसार इटली में स्थित लीनिंग टावर ऑफ पीसा को अद्भुत माना जाता हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि भारत में भी एक रहस्यमयी मंदिर हैं जो पीसा की मीनार से भी अधिक झुका हुआ है। हम बात कर रहे हैं उत्तर प्रदेश के वाराणसी में स्थित मणिकर्णिका घाट के ठीक सामने मौजूद रत्नेश्वर मंदिर के बारे में।

रत्नेश्वर मंदिर अपने नींव से 9 डिग्री झुका है और इसकी ऊंचाई 13.14 मीटर है। इस मंदिर की वास्तुकला बेहद अलौकिक है। सैकड़ों सालों से यह मंदिर एक ओर झुका हुआ है। इस मंदिर को लेकर कई तरह कि दंत कथाएं प्रचलित हैं। लेकिन आज भी यह रहस्य का विषय है कि पत्थरों से बना यह वजनी मंदिर टेढ़ा होकर भी सैकड़ों सालों से कैसे खड़ा है।

वाराणसी में गंगा घाट पर जहां सारे मंदिर ऊपर की ओर बने हैं, तो वहीं रत्नेश्वर मंदिर मणिकर्णिका घाट के नीचे बना है। घाट के नीचे होने के कारण यह मंदिर साल के छह महीनों से भी अधिक समय तक गंगा नदीं के पानी में डूबा रहता है। बाढ़ की स्थिति में नदी का पानी मंदिर के शिखर तक पहुंच जाता है। स्थानीय पुजारियों के मुताबिक, इस मंदिर में केवल दो-तीन महीने ही पूजा-पाठ होता है।

अहिल्याबाई होल्कर की दासी ने बनवाया था ये मंदिर

स्थानीय लोगों के मुताबिक वाराणसी में कई मंदिरों और कुंडों का निर्माण महारानी अहिल्याबाई होलकर ने करवाया था। उनके शासन काल में उनकी दासी रत्ना बाई ने मणिकर्णिका घाट के सामने शिव मंदिर बनवाने की इच्छा जताई और इस मंदिर का निर्माण करवाया। उस दासी के नाम पर ही इस मंदिर का नाम रत्नेश्वर पड़ा।

मंदिर के बारे में प्रचलित दंत कथाएं

रत्नेश्वर मंदिर को लेकर कुछ दंत कथाएं भी प्रचलित हैं। स्थानीय लोग इसे काशी करवट कहते हैं। वहीं कुछ लोग इसे मातृऋण मंदिर बताता हैं। किसी ने अपनी मां के ऋण से उऋण होने के लिए इस मंदिर का निर्माण कराया, लेकिन यह मंदिर टेढ़ा हो गया। ऐसे में कहा गया कि मां के ऋण से उऋण नहीं हुआ जा सकता है।