इन भव्य मंदिरों के लिए भी जानी जाती हैं सपनों की नगरी मुंबई, भक्तों का लगता है जमावड़ा

बॉलीवुड नगरी मुंबई को सपनों की नगरी भी कहा जाता हैं जहां जो भी अपने सपने लेकर पहुंचता हैं अपनी मेहनत से एक दिन उसे पा ही लेता हैं। इन सपनों के लिए जितनी जरूरत मेहनत की होती हैं, उतनी ही ऊपर वाले के आशीर्वाद की भी। इस आशीर्वाद को पाने के लिए कई लोग मंदिरों में पहुंचते हैं। फिल्म सिटी के नाम से मशहूर मुंबई को अपने मंदिरों के लिए भी जाना जाता हैं। मुंबई में कई ऐसे भव्य मंदिर हैं जहां आपको हर वक्त भक्तों का जमावड़ा भी देखने को मिल जाएगा। इन मंदिरों के दर्शन करने देशभर से भक्त यहां पहुंचते हैं। आज हम आपको मुंबई के इन्हीं भव्य मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं...

सिद्धिविनायक मंदिर

मुंबई में सिद्धिविनायक मंदिर बहुत ही प्राचीन मंदिर है। यह देश के धनी मंदिरों में से एक हैं। यहां की वास्तुकला बहुत ही अद्भुत है। धार्मिक आस्था का बहुत ही पवित्र स्थान है। मंदिर में नक्काशी बहुत ही बारीकी से की गई है। मुंबई में गणपति उत्सव भी बहुत धूम धाम से मनाया जाता है। मुंबई की यात्रा में सिद्धिविनायक मंदिर भगवान गणेश जी के दर्शन करना मुंबई की सबसे अच्छी चीजों में से एक है। इस मंदिर के अंदर गणेश जी की मूर्ति को काले रंग के पत्थर से तराशा गया है। इस मंदिर का निर्माण 1801 में किया गया था।

बाबुलनाथ मंदिर

बाबुलनाथ मंदिर को गुजराती समुदाय द्वारा बनाया गया था। जोकि भगवान शिव को समर्पित हैं। ये मंदिर मुबंई में गिरगांव चौपाटी के पास एक छोटी सी पहाड़ी पर बना हुआ है। इस मंदिर का मिर्माण 1890 में हुआ था। बाबुलनाथ मंदिर को मराठी शैली की वास्तुकला से बनाया गया है। देश ही नहीं बल्कि विदेश से भी काफी भक्त इस मंदिर में दर्शन के लिए आते हैं।

महालक्ष्मी मंदिर

मुंबई में स्थित महालक्ष्मी मंदिर शहर के सबसे पुराने मंदिरों में से एक है। महालक्ष्मी पश्चिम में भूलाबाई देसाई रोड पर स्थित, यह देवी महालक्ष्मी या 'धन की देवी' को समर्पित है। मंदिर 16 वीं - 17 वीं शताब्दी के आसपास बनाया गया था और यहाँ की मुख्य पीठासीन देवी लक्ष्मी हैं, जबकि देवी काली और सरस्वती अन्य दो देवी हैं जिनकी भी यहां पूजा की जाती है। तीनों मूर्तियों को मिलाकर इस मंदिर को महालक्ष्मी, महाकाली और महासरस्वती के नाम से जाना जाता है।

मुंबा देवी मंदिर

मुंबा देवी मंदिर मुंबई के भूलेश्वर में स्थित है। मुंबई का नाम ही कोलीयों की देवी मुंबा आई यानि मुंबा माता के नाम से निकला है। यहां इनकी बहुत मान्यता है। यह मंदिर लगभग 400 साल पुराना है। शुरू में मुंबई मछुआरों की बस्ती थी। उन्हें यहां कोली कहते थे। कोली लोगों यहां बोरी बंदर में तब मुंबा देवी के मंदिर की स्थापना की।

इस्कॉन मंदिर

इस्कॉन मंदिर एक दिव्य और आध्यात्मिक मंदिर है। भगवान कृष्ण को समर्पित, जिन्हें भगवान विष्णु का आठवां अवतार माना जाता है, मंदिर संगमरमर और कांच से बना हुआ है। जुहू बीच से कुछ मीटर की दूरी पर मौजूद इस्कॉन मंदिर में आपको वीकेंड के दिनों में जाना चाहिए। यहां आसपास का वातावरण बेहद शांत रहता है, साथ ही यहां के रेस्टोरेंट में वेजिटेरियन खाना मिलता है, जहां आप सस्ते दामों में इनका स्वाद चख सकते हैं।

वैष्णो देवी मंदिर

वैष्णो देवी मंदिर मुंबई के मलाड में स्थित है। इस मंदिर की आंतरिक संरचना जम्मू के वैष्णो देवी मंदिर के समान है। भक्तों के लिए 40 फीट के गुफामय मंदिर को मालाड में 16 साल पहले बनाया गया। साथ ही वैष्णो देवी मंदिर की पवित्र गुफा से लाई गई अखंड ज्योत पिछले 16 सालों से लगातार जल रही है। मालाड स्थित वैष्णो देवी मंदिर में आने के पश्चात भक्तों को बेहद शांति का अनुभव होता है। मां के दर्शन के लिए नवरात्री में यहां बड़ी भीड़ उमड़ पड़ती है।

वालकेश्वर मंदिर

बाण गंगा मंदिर के रूप में भी जाना जाने वाला वालकेश्वर मंदिर दक्षिण मुंबई में मालाबार हिल के पास स्थित है, जो शहर का सबसे ऊंचा स्थान भी है। मंदिर के पास एक छोटा तालाब है, जिसका नाम बाणगंगाटैंक है और इसलिए इसे इस नाम से भी जाना जाता है। मंदिर की कथा रामायण से संबंधित है और बाण गंगा नाम पौराणिक कथा से जुड़ी एक कहानी से लिया गया है। मंदिर में अमावस्या और पूर्णिमा के दिन बहुत भीड़ रहती है।

स्वामीनारायण मंदिर

स्वामीनारायण मंदिर का स्वामित्व और संचालन स्वामीनारायण संप्रदाय द्वारा किया जाता है, जो हिंदू धर्म का एक संप्रदाय है जो भगवान कृष्ण को अपना मुख्य देवता मानता है। मूल मंदिर 1863 में बनाया गया था जबकि वर्तमान मंदिर 1903 में फिर से बनाया गया था और तब से यह आसपास है। मंदिर में घनश्याम महाराज, हरि कृष्ण महाराज, गौलोक बिहारी और राधा की मूर्तियां हैं। जन्माष्टमी, रामनवमी के त्यौहार ऐसे समय होते हैं जब मंदिर में सबसे अधिक दर्शन होते हैं।

थिरुचेम्बुर मुरुगन मंदिर

थिरुचेम्बुर मुरुगन मंदिर मुंबई के कुछ दक्षिण भारतीय मंदिरों में से एक है जो दक्षिण में प्रथाओं के सार को पुनर्स्थापित करता है। मंदिर के मुख्य देवता भगवान मुरुगन हैं और मंदिर एक छोटी सी पहाड़ी की चोटी पर स्थित है, ठीक उसी तरह जैसे मुरुगन मंदिर भारत के दक्षिणी हिस्सों में पाए जाते हैं। यहां बने भोजन को पारंपरिक रूप से केले के पत्तों में भोजन प्रसा/अन्नदानम के रूप में परोसा जाता है। मंदिर पश्चिम चेंबूर में स्थित है।