बर्फ से ढके पहाड़, नदी-घाटियां, अदभुत कैफे और शांत स्थान ये है मनाली की पहचान, इन जगहों पर जरूर जाएं

बर्फ से भरे रोहतांग पास के चारों ओर गर्म पानी के झरने मंत्रमुग्ध कर देते हैं, प्रकृतिप्रेमियों और रोमांच पसंद लोगों के लिए कुल्लू मनाली में घूमनें की बहुत सी जगहें है। बर्फ से ढके पहाड़, नदी घाटियां, अदभुत कैफे और शांत स्थानों का नज़ारा चारो ओरदिखाई देता है। हिमाचल में स्थित यह हिल स्टेशन घरेलू और अंतरराष्ट्रीय पर्यटकों केलिए छुट्टी बिताने की बेहद मशहूर जगह है। यह स्थान साहसिक खेल के शौकिनों,छुट्टी मानने वाले परिवारों और हनीमून कपल्स , हिप्पी (लम्बे बाल वाले) बैकपैकर (पर्यटक) को अपनी ओर खींचता है।

हिडिम्बा मंदिर

लकड़ी और पत्थरों से बना यह मंदिर महाभारत के पाडंवों में से एक भीम की पत्नीहिडिम्बा देवी को समर्पित है। 1553 में इस मंदिर का निर्माण किया गया और यह मंदिरडूंगरी पार्क के बीच में स्थित है। इसकी संरचना चार-स्तरीय शिवालय आकार की छतऔर नक्काशीदार प्रवेश द्वार जो हिंदू देवताओं और प्रतीकों से अलंकृत है। भीम औरहिडिम्बा के पुत्र घटोत्कच की पूजा एक पवित्र वृक्ष के रूप में की जाती है।

नग्गर

कभी कुल्लू की पुरानी राजधानी हुआ करता था नग्गर, यह शहर ब्यास नदी के बाईं ओरस्थित है, जो मनाली से 21 किलोमीटर की दूरी पर है। इसकी स्थापना राजा विशुद्पालद्वारा की गई थी, और 1460 ई में नई राजधानी सुल्तानपुर में स्थानांतरित होने तक यहस्थान राजनीति का केन्द्र बना रहा। यहां का मुख्य आकर्षण एक किला है, अब इस किलेको हिमाचल प्रदेश पर्यटन विकास निगम द्वारा एक हेरिटेज होटल में बदल दिया गया है। इस इमारत में कभी कुल्लू के शासकों का निवास हुआ करता था। यह इमारत पश्चिमी हिमालय वास्तुशैली का बेहतरीन नमूना है। ये लकड़ियों और पत्थरों से बना है औरइसकी खिड़कियां और दरवाजो पर नक्काशी की गई है। परिसर के अंदर एक छोटासंग्रहालय, एक मंदिर और खूबसूरत रेस्तरां है। नग्गर में एक मशहूर रूसी चित्रकारनिकलाय रेऱिख का घर भी था, वे यहां 1929 तक रहे और 1947 में उनकी मृत्यु हो गई।अब उनके घर को एक आर्ट गैलरी में बदल दिया गया है। इस गैलरी में हिमालय पर्वतश्रंखला से जुड़े रंगीन चित्रों को प्रदर्शित किया जाता है।

रोहतांग पास

बर्फ से ढका यह दर्रा (पास) लेह राजमार्ग पर स्थित है और यह पास प्रत्येक वर्ष केवलजून से अक्टूबर माह में खुला रहता है। समुद्रतल से इसकी ऊंचाई 3,979 मीटर है। यहांसे ग्लेशियर, हिमालय की चोटियों और नदी का खूबसूरत दृश्य दिखाई देता है। यह रास्तालाहौल, स्पीति, पांगी और लेह जाने का प्रवेशद्वार है। बढ़ती लोकप्रियता के कारण टूरिस्टसीजन में रोहतांग मार्ग अक्सर पर्वतारोही पर्यटकों से भरा रहता है। पर्यटकों के लिएस्कीइंग और पास (दर्रे) पर स्लेजिंग (बर्फ पर चलने वाली गाड़ी) और खुबसूरत तस्वीरोंको कैद करने के बहुत से विकल्प मौजूद होते है।

सोलंग घाटी

मनाली से लगभग 13 किलोमीटर दूर स्थित, यह खूबसूरत वैली एडवेंचर, खेल औरस्कीइंग के लिए बेहद ही मशहूर है। सोलंग घाटी ब्यास नदी और सोलंग विलेज के बीचमें स्थित है। यहां से बर्फ से ढके पहाड़ और ग्लेशियर का खूबसूरत नज़ारा दिखाई देताहै। गर्मियों में यहां पैराग्लाइडिंग, ज़ोरबिंग, माउंटेन बाइकिंग और घुड़सवारी का लुत्फ उठासकते है। सर्दियों के मौसम में विशेषकर जनवरी और मार्च के बीच में यहां स्कीइंग,स्नोबोर्डिंग और स्लेजिंग का भी आनंद उठा सकते है। यहां सर्दियों मेंस्कीइंग फेस्टिवलका आयोजन किया जाता है। पर्वातारोहण निदेशालय और एलाइड स्पोर्ट के अंतर्गतस्कीइंग के मध्यवर्ती पाठ्यक्रम को आयोजित करता है। जिन्हें एडवेंचर थोड़ा कम चाहिए उनके लिए यहां कई ट्रेकिंग के लिए रास्ते हैं।

मणिकर्ण

पार्वती नदी के दाई ओर स्थित, मणिकर्ण अपने गर्म पानी के झरने के लिए प्रसिद्ध है।यह हिंदू और सिख श्रद्धालुओं को अपनी ओर खींचता है, लोग इस गर्म झरने में डुबकीलगाने के लिए आते है, जो चिकित्सकीय गुण के लिए माना जाताहै। पौराणिक कथाओंअनुसार, एक विशाल सर्प (सांप) ने भगवान शिव की पत्नी पार्वती की बाली चुरा ली औरयहां मैदान के बाहर फेंक गया। शहर में गुरू नानक जी का एक विशाल गुरुद्वारा स्थितहै, जिसका निर्माण 1940 में संत बाबा नारायण हर जी ने किया था। पुरूषों औरमहिलायों के स्नान के लिए इसके नजदीक एक नदी भी है। इसके समीप में रघुनाथमंदिर और नैनी देवी मंदिर भी स्थित है।

वशिष्ठ

यह गांव ब्यास नदी के किनारे स्थित है, जो मनाली से महज 3 कलोमीटर की दूरी पर हैऔर यह अपने सल्फर के सोते के लिए मशहूर है। ऐसा माना जाता है कि लक्ष्मण नेइस इसी भूमि में तीर चलाकर इस सोते को बनाया था। यहां पुरुषों और महिलाओं केलिए स्नान की सुविधा उपलब्ध है। यहां आसपास दो मंदिर है जो राम और ऋषि वशिष्ठ को समर्पित है।