वाराणसी : UP का प्रमुख धार्मिक नगर, मंदिर और घाट हैं आकर्षण, इन स्थानों पर भी लें घूमने का आनंद

वाराणसी उत्तर प्रदेश का प्रमुख धार्मिक नगर है। इस नगर में पर्यटकों बहुत बड़ीसंख्या में मंदिर और घाट देखने को मिलते है। दुनिया के सब से पुराने नगरों मेंसे एक वाराणसी नगर है। यह गंगा नदी के किनारे पर 2500 वर्ष पहले से स्थितहै। इसको बनारस के नाम से भी जाना जाता है। परिवार और दोस्तों के साथघूमने के लिए बहुत ही अच्छा स्थान है।

दशाश्वमेध घाट
दशाश्वमेध घाट पर शाम को होने वाली गंगा आरती के लिए पूरी दुनिया में जाना जाता है। संसार के कोने कोने से लोग इस घाट पर स्नान करने के लिए आते है। यह एक बहुत ही प्राचीन घाट है। कुछ विद्वानों के अनुसार ब्रह्मा जी ने एक अश्वमेध यज्ञ के दौरान 10 घोड़ों की बलि थी। जिसके बाद इस घाट का नाम दशाश्वमेध घाट पड़ा था।

काशी विश्वनाथ मंदिर

काशी विश्वनाथ मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में एक मंदिर है। इतिहासकारों के अनुसार इस मंदिर का इतिहास करीब 200 साल पुराना है। भगवान शिव को समर्पित इस मंदिर में हर साल बहुत बड़ी संख्या में नतमस्तक होने के लिए आते है। महाशिवरात्रि वाले दिनों में भक्तों को पैर रखने की जगह नहीं होती है। भक्त मंदिर के परिसर में सिर्फ जल, फूल और पैसों के अलावा कुछ और नहीं ले जा सकते है। भक्तों को अपना सामान किसी दुकान पर या किसी को देकर मंदिर में
प्रवेश करना होगा।

संकट मोचन मंदिर

संकट मोचन मंदिर का निर्माण गोस्वामी तुलसीदास ने करवाया था। यह मंदिर भीकाशी विश्वनाथ मंदिर की तरह बहुत ही प्रसिद्ध है। मंदिर में स्थापित हनुमान जीमूर्ति बहुत ही भव्य है। इस मूर्ति को देखकर लगता है कि हनुमान जी खुद ही है।प्रतिदिन सुबह 4 बजे और रात को आरती कि जाती है। इस आरती के दौरानहनुमान चालीसा का पथ किया जाता है। यह बहुत ही अद्भुत अनुभव होता है।

अस्सी घाट

अस्सी घाट पर रामायण की रचना गोस्वामी तुलसीदास जी के द्वारा की गयी थी।इस घाट पर स्नान करने के बाद शिव लिंग की पूजा पीपल के पेड़ के नीचे बैठ केकरते है। हर दिन सुबह 5 बजे इसी घाट पर गंगा की आरती की जाती है। यहआरती बहुत ही भव्य ढंग से की जाती है। यह घाट रेलवे स्टेशन से सिर्फ 7किलोमीटर की दूरी पर स्थित है।

राम नगर किला

वाराणसी में राम नगर किला अस्सी घाट के बिलकुल सामने है। इस किले परजाने के लिए सैलानी नाव का भी उपयोग कर सकते है। इतिहासकारों के अनुसारइस किले का इतिहास करीब 400 साल पुराना है। जैसे जैसे समय बीत रहा है,इसकी हालत ख़राब होती जा रही है। सैलानियों के लिए यह बहुत ही बढ़िया स्थानहै घूमने के लिए। इस किले में संग्रहालय भी है, जिसमें अंग्रेजों के समय की कारोंको भी प्रदर्शित किया गया है।

कथवाला मंदिर

कथवाला मंदिर को नेपाली मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर की बनावट काष्ठकला की तरह बनाई गयी है। यह मंदिर नेपाल के एक राजा के द्वारा ललिता घाट पर बनवाया गया था। इस मंदिर की नक्काशी देखने के लोगदूर दूर से आते है। इसके मुख्य द्वार पर दो शेर की मूर्तियां भी बनाई गयी है। मंदिर की दीवारों को लाल रंग से रंगा गया है।

सारनाथ

सारनाथ में भगवान बुद्ध ने अपने 5 शिष्यों को इस स्थान पर आध्यात्मिक ज्ञान दिया था। इस पर्यटक स्थल पर दुनिया भर से लोग घूमने के लिए आते है। धमेख और धर्मराजिका स्तूप देखने में बहुत ही सुन्दर है। इतिहासकार कहते है कि यह स्थान किसी समय में बहुत बड़ा शिक्षा का स्थान था। यहाँ पर दुनिया के कोने कोने से लोग पढ़ने के लिए आते थे। इस स्थान पर आकर लोगों को बहुत ज्यादा मन कि शांति मिलती है। पर्यटकों सारनाथ में स्थित पुरातत्व विभाग का संग्रहालय भी देख सकते है।

दुर्गा मंदिर या बंदर मंदिर

वाराणसी में दुर्गा मंदिर का बहुत ज्यादा महत्व है। यह मंदिर माँ दुर्गा को समर्पित है। इस मंदिर में हर दिन बहुत बड़ी संख्या में नतमस्तक होने के लिए आते है। यह मंदिर बंगाल की एक महारानी के द्वारा बनवाया गया था। कुछ विद्वानों के अनुसार इस मंदिर में स्थित माँ दुर्गा की मूर्ति को बनाकर स्थापित नहीं किया गया था। यह मूर्ति खुद ही प्रकट हुई थी। दुर्गा मंदिर में बहुत बड़ी संख्या में बंदर भी देखने को मिलते है। जिसके कारण इसे बंदर मंदिर के नाम से भी जाना जाता
है।