दमन और दीव के ये पर्यटन स्थल खींचते हैं अपनी ओर

450 से अधिक वर्षों तक पुर्तगालियों के अधीन रहा दमन एंड दिव गोवा के साथ मिलकर कभी भारत के एक केंद्रीय संघ का हिस्सा हुआ करता था। लेकिन 1987 में गोवा को एक अलग राज्य को दर्जा मिलने का बाद दमन और दीव अकेला ही केंद्र शासित प्रदेश बनकर रह गया। दमन और दीव दो जिलों से मिलकर बना है जिनकी आपस की दूरी 198 किमी की है। जैसा की आपको बताया कि यहां कभी पुर्तगालियों का शासन था,तो आज भी उनके द्वारा बनाई गई इमारतें, भवन-घर, धार्मिक स्थान और कॉलोनी को देखा जा सकता है।

दीव का इतिहास

दीव कभी अरब सागर व्यापार मार्ग पर एक महत्वपूर्ण बंदरगाह और गुजरात में सौराष्ट्र का एक हिस्सा माना जाता था। कई अलग-अलग राजवंशों ने दीव पर शासन किया, लेकिन अंतिम शासक पुर्तगाली थे जिन्होंने 1535 से 1961 तक शासन किया। इतने लंबे समय तक औपनिवेशिक शासन के अधीन रहने के बाद, दीव को अंततः भारत सरकार ने अपने कब्जे में ले लिया और तब से केंद्र शासित प्रदेश के रूप में शासन किया। प्राचीन भारतीय इतिहास में दीव का भी एक स्थान है- इस पर 322 से 320 ईसा पूर्व तक मौर्य वंश का शासन था, उसके बाद क्षत्रप और गुप्त का शासन था। प्राचीन पौराणिक कथाओं के अनुसार, यह माना जाता है कि दीव पर एक बार एक दैत्य या एक दानव राजा का शासन था, जिसे जलंधर के नाम से जाना जाता था, जो तब भगवान विष्णु के हाथ लग गया था और इसलिए दीव को जलंधर दशहरा के नाम से भी जाना जाने लगा। जलंधर का एक मंदिर अभी भी दीव में देखा जा सकता है जो एक लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण है।

परिवहन
सड़केंदमन और दीव में सड़कों की कुल लंबाई क्रमशः 191 कि। मी। और 78 कि। मी। है।
रेलवेदमन और दीव रेलमार्ग से नहीं जुड़ें हैं| दमन का निकटतम रेलवे स्टेशन वापी है जो पश्चिम रेलवे के मुंबई-दिल्ली मार्ग पर है| दीव का समीपवर्ती रेलवे स्टेशन मीटर गेज लाइन पर स्थित दलवाड़ा है।
उड्डयनदमन और दीव दोनों में ही हवाईअड्डे हैं| दीव विमान से जुड़ा हुआ है तथा मुंबई से दीव तक की नियमित विमान सेवा उपलब्ध है।