भारत के इन पवित्र सरोवर पहुंचते हैं लाखों श्रद्धालु, स्नान करने से धुलते हैं पाप

भारत को अपनी आध्यात्मिकता के लिए जाना जाता हैं जहां आपको हिन्दू, मुस्लिम, सिख, ईसाई सभी धर्मों के लोग स्वतंत्र रूप से अपने धर्म के नियमों की पालना करते हुए दिखाई देते हैं। इन धर्मों में कई ऐसी जगहों का उल्लेख मिलता हैं जो अपनी पवित्रता के लिए जानी जाती है। आज इस कड़ी में हम बार करने जा रहे हैं कुछ ऐसे सरोवर की जिन्हें हिन्दू मान्यताओं के अनुसार बेहद पवित्र माना जाता हैं। मान्यतायों के अनुसार इन पवित्र सरोवरों में एक बार स्नान करने से सारे पाप नष्ट हो जाते है और मोक्ष की प्राप्ति होती है। प्राचीन काल से ही इन पवित्र कुंड या सरोवर का महत्व है और हिन्दू पुराणों में इनका जिक्र भी मिलता है। हर साल लाखों श्रद्धालु इन सरोवर में स्नान करने पहुंचते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

बिन्दु सरोवर

गुजरात के अहमदाबाद से लगभग 130 किलोमीटर की दूरी पर मौजूद बिन्दु सरोवर भारत के पवित्र सरोवरों में से एक है। यह सरोवर रुद्र महल मंदिर और अरवदेश्वर शिव मंदिर के पास मौजूद है। इस सरोवर के बारे में कहा जाता है कि इसका उल्लेख रामायण और महाभारत में भी मिलता है इसके अलावा कथाओं के अनुसार माना जाता है कि भगवान विष्णु के आंसू गिरने से बिन्दु सरोवर की उत्पत्ति हुई थी। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि यह भारत के पांच पवित्र सरोवरों में से एक है। यहां हर साल लाखों शिव और विष्णु भक्त स्नान करने के लिए आते हैं।

पंपा सरोवर

पंपा सरोवर कर्नाटक के कोप्पल में स्थित एक प्रसिद्ध पर्यटक स्थल है। कथानुसार इसी जगह पर देवी पम्पाला, माँ पार्वती के अन्य रूप ने भगवान शिव जी की तपस्या की थी। और यह वही जगह भी है जहाँ शबरी ने भगवान राम जी के आने का इंतज़ार किया था। इसलिए हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार पंपा सरोवर को भारत के पवित्र झीलों में से एक माना जाता है।

पुष्कर सरोवर

राजस्थान के अजमेर शहर से 14 किलोमीटर दूर पुष्कर झील को भी हिन्दू सभ्यता में सबसे पवित्र बताया जाता है। इस झील का संबंघ भगवान ब्रम्हा से किया जाता है। देश में यही एक जगह है जहां भगवान ब्रम्हा का एकमात्र मंदिर बना है। मान्यता है कि अप्सरा मेनका यहां के जल में स्नान किया करती थीं। महाभारत के अनुसार भगवान कृष्ण ने पुष्कर में ही तपस्या की थी। भगवान राम ने भी अपने पिता दशरथ का श्राद्ध पुष्कर में किया था। इसी जगह भगवान ब्रम्हा ने कार्तिक शुक्ल एकदशी से पूर्णमासी तक हवन किया था। इसी के चलते हर साल यहां कार्तिक के मेले का आयोजन किया जाता है।

मानस सरोवर

मानसरोवर झील एक बहुत ही खूबसूरत जगह है जो कैलाश पर्वत से 20,015 फीट की ऊंचाई पर 20 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। बता दें कि यह झील पवित्रता का प्रतीक है जिसके बारे में कहा जाता है कि इस झील में नहाने से इंसान को अपने जीवन में किये गए सभी पापों से मुक्ति मिलती है। मानसरोवर झील के साथ कैलाश पर्वत का अपना एक ऐतिहासिक महत्व है। हिंदू पौराणिक कथाओं की माने तो सबसे पहले मानसरोवर झील को भगवान ब्रह्मा के दिमाग में बनाया गया था, जिसकी वजह से इसका नाम मानसरोवर पड़ा। हिंदू धर्म के अनुसार कैलाश पर्वत वह स्थान था जहां भगवान शिव निवास करते थे और इसलिए इस जगह को स्वर्ग के सामान माना जाता है। झील के बारे में कहा जाता है कि इसका रंग बदलता रहता है। झील का रंग तटों के पास नीला होता है जो केंद्र में हरे रंग में बदल जाता है।

नारायण सरोवर

गुजरात के कच्छ में मौजूद नारायण सरोवर एक पवित्र सरोवर होने के साथ-साथ हिन्दुओं के लिए एक पवित्र धार्मिक स्थल भी है। इस झील को लेकर मान्यता है कि इस जगह भगवान विष्णु नारायण के अवतार में प्रकट हुए थे। इसलिए इसे नारायण सरोवर के नाम से जाना जाता है। इसके आसपास के मंदिरों को भी नारायण सरोवर मंदिर कहा जाता है। नवंबर और दिसंबर के समय यह मेला आयोजन भी होता है। आपकी जानकारी के लिए यह ही बता दें कि इन चार पवित्र सरोवरों के अलावा पांचवा पवित्र सरोवर पुष्कर झील है, जो राजस्थान के पुष्कर शहर में मौजूद है।

नैनीताल झील

हम जैसे ही नैनीताल झील के बारे में सोचते हैं, हमारे दिमाग में एक पेअर शेप के झील का विचार आता है। स्थानीय कथाओं के अनुसार इस जगह पर ही देवी सती की आँखें गिरी थीं इसलिए इसे धार्मिक स्थल माना जाता है। नैनीताल झील उत्तराखंड के नैनीताल का सिर्फ एक पवित्र स्थल ही नहीं, नैनीताल का प्रमुख पर्यटक स्थल भी है। पुराणी कथाओं के अनुसार कहा जाता है कि, एक बार संतों ने देखा कि नैनी झील पूरी तरह से सुख गयी है, तो उन्होंने मानसरोवर का जल यहाँ लाकर भर दिया। नैनी झील मानसरोवर झील के जल से पूरा भर गया और तब से ही यह मानसरोवर के प्रतिरूप में जाना जाने लगा। तीर्थयात्री जो मानसरोवर झील की यात्रा पर नहीं जा सकते वे नैनीताल आते हैं, नैना देवी के आशीर्वाद लेने।