कृष्ण भक्तों के लिए स्वर्ग के समान हैं वृन्दावन भूमि, करें यहां इन 8 मंदिरों के दर्शन

आने वाले दिनों में जन्माष्टमी का पावन पर्व आने वाला हैं जो कि भगवान श्री कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। इस दिन देशभर के मंदिरों में जोश, उमंग और उत्साह का माहौल देखने को मिलता हैं। कृष्ण भक्त इस दिन का बेसब्री से इंतजार करते हैं और कृष्ण के मंदिरों में आशीर्वाद लेने पहुचते हैं। ऐसे में वृन्दावन भूमि तो कृष्ण भक्तों के लिए स्वर्ग के समान हैं जिसे श्री कृष्ण भगवान के बाल लीलाओं का स्थान माना जाता है। यहां आने वाला भक्त सबसे पहले बांके बिहारी जी के दर्शन करता हैं। लेकिन इसी के साथ ही वृन्दावन में कई ऐसे अन्य मंदिर भी हैं जो पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थान रखते हैं। ये मंदिर केवल श्रद्धा की दृष्टि से ही नहीं बल्कि कला के नजरिए से भी बहुत महत्व रखते हैं। आइये जानते हैं वृन्दावन के इन मंदिरों के बारे में...

इस्कॉन वृंदावन मंदिर

इस्कॉन वृंदावन मंदिर, श्री कृष्ण बलराम मंदिर के रूप में भी जाना जाता है। इस्कॉन वृंदावन स्वामी प्रभुपाद (इस्कॉन के संस्थापक-आचार्य) का एक सपना था कि कृष्ण और बलराम दो भाइयों के लिए भी एक मंदिर बनवाना चाहिए और वो भी उसी पवित्र शहर में जहां वे एक साथ कई सदियों पहले खेला करते थे। यहां प्रतिदिन होने वाली आरती और भगवद गीता की कक्षाओं से दिव्य मंदिर में आने वाले लोग मंत्रमुग्ध हो जाते हैं।

कात्यायनी पीठ

कात्यायनी पीठ भारत के 51 शक्ति पीठों में से एक है। इसे उमा शक्ति पीठ के रूप में भी जाना जाता है। नवरात्रि, दुर्गा पूजा, और विजयादशमी जैसे प्रमुख अवसरों पर यहां पर भव्य समारोह किए जाते हैं। इस मंदिर में आपको शानदार वास्तुशिल्प मूर्तियां और चित्र देखने को मिलेंगे।

राधा रमण मंदिर

वृंदावन रेलवे स्टेशन से लगभग 2 किलोमीटर की दूरी पर स्थित राधा रमन मंदिर वृंदावन में सबसे आधुनिक हिंदू मंदिरों में से एक है। यह मंदिर भगवान कृष्ण को समर्पित है, जिन्हें राधा रमन माना जाता है, जिसका अर्थ है राधा को प्रसन्न करने वाला। राधा रमन मंदिर परिसर में गोपाल भट्ट की समाधि भी है, जो राधा रमन की मूर्ति के ठीक बगल में स्थित है।

श्री रंगनाथ मंदिर

वृंदावन में मंदिरों की सूची में रंगनाथ मंदिर सबसे बड़ा है। यह मंदिर भगवान विष्णु और लक्ष्मी को समर्पित है। भगवान रंगनाथ, जिन्हें रंगजी के नाम से भी जाना जाता है, भगवान विष्णु का विश्राम रूप है। यहां पर भगवान नरसिंह, वेणुगोपाला और रामानुजाचार्य के साथ-साथ राम, सीता और लक्ष्मण की मूर्तियों की भी पूजा की जाती है। इस मंदिर की द्रविड़ शैली की वास्तुकला एक प्रमुख आकर्षण है।

शाहजी मंदिर

शाहजी मंदिर का निर्माण वर्ष 1876 में शाह कुंदन लाल द्वारा किया गया था और यह भगवान कृष्ण को समर्पित है। यहां के मुख्य देवता को छोटे राधा रमन के नाम से जाना जाता है। इसकी प्रभावशाली संगमरमर की संरचना में प्रत्येक 15 फीट की ऊंचाई के 12 सुंदर सर्पिल स्तंभ हैं और साथ ही हॉल में बसंती कामरा भी है जो की एक बेल्जियन के कांच का झूमर है।

गोविंद देवी जी मंदिर

वृंदावन के आसपास के क्षेत्र में स्थित, श्री गोविंद देवजी मंदिर भगवान कृष्ण के बचपन के लिए समर्पित है। लाल बलुआ पत्थर से सुशोभित, यह मंदिर भगवान कृष्ण के बचपन के घर को दर्शाता है। यह वृंदावन में प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है। ऐसी मान्यता है कि मूर्ति का चेहरा ठीक भगवान के चेहरे जैसा दिखता है जब वे पैदा हुए थे। इसलिए कहा जाता है कि हर व्यक्ति को कम से कम एक बार इस पवित्र स्थान पर जरूर जाना चाहिए।

प्रेम मंदिर

प्रेम मंदिर की स्थापना प्रसिद्ध जगदगुरु श्री कृपालुजी महाराज द्वारा वर्ष 2001 में की गई थी। इस मंदिर को भगवान के प्रेम के मंदिर के नाम से जाना जाता है। वृंदावन का यह प्रसिद्ध प्रेम मंदिर विशुद्ध रूप से राधा कृष्ण और सीता राम को समर्पित है। वृंदावन के अधिकांश मंदिरों की तरह, यह भी सुंदर पारंपरिक वास्तुकला का प्रतीक है। यहां पर सुंदर नक्काशी और सफेद संगमरमर इसकी खूबसूरती को और भी कई गुना बढ़ाती है।

प्रियकांत जू मंदिर

प्रियकांत जू को वृंदावन के सबसे खूबसूरत मंदिरों में से एक माना जाता है। भवन को एक विशाल कमल के आकार में बनाया गया है, जिसके आसपास छोटा सा पानी का तालाब भी मौजूद है। शहर के अधिकांश अन्य मंदिरों की तरह, इसमें भी राधा और कृष्ण जी की मूर्तियां विराजमान हैं, जिन्हें सामूहिक रूप से प्रियकांत जू कहा जाता है। इस मंदिर में जाने का सबसे अच्छा अच्छा शाम का वक्त है, क्योंकि पूरा परिसर सुंदर रोशनी से जगमगा रहा होता है।