आने वाले दिनों में जन्माष्टमी का पर्व आने वाला हैं जो कि भगवान कृष्ण के जन्मोत्सव के रूप में मनाया जाता हैं। इस साल पंचांग के अनुसार भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि की शुरुआत 6 सितंबर 2023 को दोपहर 03 बजकर 37 मिनट से हो रही है। वहीं इस तिथि का समापन अगले दिन 7 सितंबर 2023 शाम 04 बजकर 14 मिनट पर होगा। कृष्ण जन्माष्टमी की पूजा मध्य रात्रि की जाती है, इसलिए इस साल भगवान श्री कृष्ण का जन्मोत्सव 6 सितंबर 2023, बुधवार को मनाया जाएगा। लोग इस दिन अपने घरों में पूजा करने के साथ-साथ मंदिरों में भी श्री कृष्ण की पूजा करते हैं। भगवान विष्णु के पूर्ण अवतार माने जाने वाले भगवान श्री कृष्ण की जन्मभूमि मथुरा समेत देश में कई ऐसे मंदिर हैं जो आज एक पावन तीर्थ के रूप में जाने जाते हैं। तो आप भी चले आइये जन्माष्टमी के मौके पर भगवान श्रीकृष्ण के इन प्रसिद्द मंदिरों में दर्शन करने...
बांके बिहारी मंदिर, वृंदावनजन्म के बाद नन्हे कृष्ण को उनके पिता वासुदेव चुपके से गोकुल में अपने चचेरे भाई नंद बाबा के घर पर छोड़ आए थे। कन्हैया का बचपन नंदबाबा और उनकी पत्नी माता यशोदा के बेटे के रूप में गोकुल में बीता। बाद में वह वृंदावन आ गए। गोकुल और वृंदावन की गलियों में कान्हा खेला करते थे, अपनी गायों को चराने के लिए ले जाया करते थे। गोकुल और वृंदावन की गलियों में कृष्ण के कई मंदिर हैं, जो उनकी यादों को ताजा करते हैं। इन्हीं मंदिरों में वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर भी है। वृंदावन का बांके बिहारी मंदिर भारत के सबसे प्राचीन मंदिरों में से है। जन्माष्टमी के दिन यहां मंगला आरती के बाद भक्तों के लिए राज दो बजे मंदिर के कपाट खोल दिए जाते हैं। मंगला आरती साल में केवल एक ही बार होती है। इस जन्माष्टमी अगर आप बांके बिहारी मंदिर जाएं तो मंगला आरती में भी जरूर शामिल हों।
इस्कॉन मंदिर, दिल्ली 1998 में बना ये खूबसूरत मंदिर, निश्चित रूप से दिल्ली के प्रमुख आकर्षणों में से एक है। लोग जब भी दिल्ली में घूमने की बात करते हैं तो यहां के इस्कॉन मंदिर भी जरूर घूमने के लिए जाते हैं। अब ऐसे खास मौके पर भला कौन नहीं जाना चाहेगा। इस दिव्य और भव्य मंदिर में राधा और कृष्ण की सुंदर मूर्तियां स्थापित है, यहां एक वैदिक म्यूजियम और एक रेस्टोरेंट में मौजूद है। मंदिर के अंदरूनी हिस्सों को भगवत गीता के शास्त्रों से सजाया गया है।
द्वारकाधीश मंदिर, गुजरातकृष्ण मथुरा को छोड़कर गुजरात चले गए। यहां समुद्री तट पर स्थित कुशस्थली में केशव मे द्वारिका नाम का भव्य नगर बसाया। यहां श्रीकृष्ण को द्वारकाधीश कहा जाता है। कान्हा यहां के राजा बन गए और अपनी 16108 रानियों के साथ रहने लगे। द्वारका भारत के पवित्र चार धाम मंदिरों में शामिल है। चारों धामों में यह पश्चिमी धाम है। जन्माष्टमी के मौके पर मंदिर को बहुत भव्य तरीके से सजाया जाता है। द्वारका मंदिर के अलावा गुजरात में रणछोड़राय और अन्य कई प्रसिद्ध मंदिर भी हैं।
प्रेम मंदिर, वृंदावनवृंदावन में स्थित प्रेम मंदिर काफी भव्य मंदिरों में से एक है। इसकी अलौकिक छटा भक्तों का मन मोह लेती है। इसकी सुंदरता को देखते हुए भक्त खींचे चले जाते हैं। पूरे मंदिर में 94 कलामंडित स्तंभ हैं। प्रेम मंदिर की ऊंचाई 125 फीट, 122 फीट लंबा और 115 फीट चौड़ा है। इसमें किंकिरी और मंजरी सखियों के विग्रह दर्शाए गए हैं। मंदिर के आगे खूबसूरत बगीचे लगाए गए हैं।
श्रीकृष्ण जन्मभूमि, मथुरा उत्तर प्रदेश के मथुरा जिले में राजा कंस के महल में बने कारावास में कान्हा का जन्म हुआ था। कंस कन्हैया के मामा थे। एक भविष्यवाणी के बाद कंस ने अपनी बहन और बहनोई को जेल में बंद कर दिया था। कान्हा का जन्म जिस जेल में हुआ, उसे आज कृष्ण जन्मभूमि के नाम से जाना जाता है। कृष्ण जन्मभूमि को खूबसूरत मंदिर के तौर पर तैयार किया गया है। मंदिर में प्रवेश के बाद एक कृत्रिम गुफा बनाई गई है, जहां भक्तों को कृष्ण जन्म की पूरी कथा झांकियों के माध्यम से दर्शायी जाती है। इस गुफा को साउंड इफेक्ट के जरिए अधिक प्रभावी बनाया गया है। इसके आगे बढ़ने पर आप वह जेल देख सकते हैं, जहां देवकीनंदन का जन्म हुआ था। यहां की आरती में भी आप शामिल हो सकते हैं।
गुरुवयूर मंदिर, केरलप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी फिर से सत्ता में आने के बाद सबसे पहले यहां 8 जून कोदर्शन करने आए थे। केरल के इस प्राचीन मंदिर का संबंध गुजरात से माना जाता है। इस मंदिर में भगवान श्रीकृष्ण के बाल स्वरूप की पूजा होती है। इसके अलावा मंदिर में भगवान विष्णु के दस अवतारों को भी दर्शाया गया है। इस मंदिर को दक्षिण की द्वारका और भूलोक के बैकुंठ के नाम से भी जाना जाता है। इस मंदिर में दिन में दो बार भक्तों के लिए मुफ्त भोजन यानी भंडारे की व्यवस्था है। मंदिर में एकादशी का पर्व शिवेली का त्योहार बहुत ही धूम-धाम से मनाया जाता है। गुरुवायूर मंदिर का नाम देवताओं के गुरु बृहस्पति, पवनदेव वायु और ऊर यानी पृथ्वी के नाम से मिलकर बना है।
जगन्नाथ पुरी, उड़ीसाभारत के चार धामों में से एक उड़ीसा का जगन्नाथ पुरी मंदिर है। यहां भगवान कृष्ण बड़े भाई बलराम और बहन सुभद्रा के साथ विराजमान हैं। मान्यता है कि द्वापर के बाद भगवान श्रीकृष्ण पुरी में निवास करने लगे थे। जगन्नाथ पुरी की वार्षिक रथ यात्रा दुनिया भर में मशहूर है। यहां भगवान कृष्ण के रथ को खींचने के लिए दूर दराज से भक्त आते हैं। तीन विशाल रथों की यात्रा निकाली जाती है, जिसमें सबसे आगे प्रभु बलराम, फिर बहन सुभद्रा और आखिर में जगत के नाथ भगवान श्री जगन्नाथ जी होते हैं। आप कृष्ण जन्माष्टमी या फिर रक्षाबंधन के मौके पर भी जगन्नाथ पुरी धाम जा सकते हैं।
श्रीनाथजी मंदिर, नाथद्वारा राजस्थान के नाथद्वारा में है श्रीनाथजी का मंदिर। यहां भगवान श्रीकृष्ण को श्रीनाथ कहते हैं। यह मंदिर वैष्णव संप्रदाय के वल्लभ सम्प्रदाय के प्रमुख तीर्थ स्थानों में सर्वोपरि माना जाता है। नाथद्वारा धान उदयपुर से लगभग 48 किलोमीटर दूर राजसमंद जिले में बनास नदी के तट पर स्थित हैं। जब क्रूर मुगल शासक औरंगजेब ने गोकुल का मंदिर तोड़ने का आदेश दिया तब वल्लभ गोस्वामी यहां की मूर्ति लेकर नाथद्वारा में आ गए और यहां उस मूर्ति की पुन: स्थापना की। ये मंदिर 12वीं शताब्दी में बनाया गया था
श्रीकृष्ण मठ मंदिर, उडुपीदक्षिण भारत में भगवान श्रीकृष्ण के सबसे प्रसिद्ध मंदिरों में उडुपी का मंदिर शामिल है। कर्नाटक के उडुपी श्रीकृष्ण मठ मंदिर की एक खासियत है। यहां भगवान की पूजा खिड़की के नौ छिद्रों में से की जाती है। यह मंदिर लकड़ी और पत्थर से बना हुआ है। मंदिर के पास मौजूद तालाब के पानी में मंदिर का प्रतिबिंब दिखाई देता है। जन्माष्टमी का उत्सव मंदिर में बहुत धूमधाम से मनाया जाता है। श्रीकृष्ण मठ मंदिर में इस मौके पर बहुत ज्यादा भीड़ लगती है।