राजस्थान अपनी सांस्कृतिक विरासत के लिए जाना जाता हैं जिसे देखने के लिए देश-विदेश से लोग यहां पहुचते हैं। राजस्थान में एक से बढ़कर एक जगह हैं जो अपनी सुंदरता, खानपान, विरासत और इमारतों के लिए जाने जाते हैं। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं जोधपुर की जिसे भारत की ब्लू सिटी के नाम से जाना जाता हैं। जोधपुर मे आपको कई झीलें, महल और बहुत से पार्क देखने को मिलेंगे। यह शहर नीले घरों, मंदिर, स्नैक्स, मिठाईयों और स्मारकों की वास्तुकला के लिए सबसे ज्यादा मशहूर है। अगर आप अपनी छुट्टियां बिताने के लिए किसी बेहतरीन जगह की तलाश में हैं, तो जोधपुर आपके लिए एक परफेक्ट ऑप्शन हैं। यहां हम आपको जोधपुर की घूमने लायक जगहों के बारे में बता रहे हैं।
मेहरानगढ़ किला विशाल परिसर, दिवारों पर जटिल नक्काशी, बलुआ पत्थर के बने शाही हॉल और अंदर राजसी सजावट मेहरानगढ किले को देश का सबसे बेहतरीन किला बनाती है। किला चारो ओर विशाल दिवारों से घिरा हुआ है जो एक ऊंची पहाड़ी पर स्थित है, यहां से आप पूरा खूबसूरत शहर देख सकते हैं। किले में मौजूद संग्रहालय आपको शानदार अतीत की कहानी बताएगा। संग्रहालय में शाही पालकी, तलवारें, चित्र और पुराने संगीत वाद्ययंत्र प्रदर्शन के लिए रखे हुए हैं। किले को छोड़ने से पहले किले की छत पर बने चोकेलाओ रेस्तरां में जरूर जाएं, यहां पारंपारिक राजस्थानी थाली मिलती है। यहां आप अक्टूबर से मार्च के बीच जा सकते हैं, क्योंकि इस दौरान मौसम ठंडा और सुखद रहता है।
उम्मेद भवन पैलेसउम्मेद भवन पैलेस का नाम भी बेहतरीन पर्यटन स्थलों में आता है। यह भी वास्तुकला के लिए प्रसिद्ध है। पर्यटक यहाँ आकर बेहतरीन तस्वीरे खींचते है। इसी कारण फोटोग्राफी के दीवाने पर्यटक यहाँ भ्रमण करने ज़रूर आते है। उम्मेद भवन पैलेस का निर्माण वर्ष 1929 में शुरू हुआ था और इसे 1943 में पूरा किया गया था। यह महल शहर में उच्चतम बिंदु पर स्थित है। 347 कमरों वाले विशाल महल का नाम दुनिया के सबसे बड़े निजी निवासो में आता है।इस महल में भारतीय और यूरोपीय शैली की वास्तुकला का संयोजन दिखाई देता है। इस महल में अभी भी एक तरफ के हिस्से में पूर्व शाही परिवार निवास करता है। जबकि महल के अन्य दो हिस्सों को ताज पैलेस होटल और संग्रहालय का रूप दिया गया है। संग्रहालय जनता के लिए खुला है, जबकि होटल केवल मेहमानों के लिए उपलब्ध है।
घण्टाघरजोधपुर में घंटाघर शहर के केंद्र में एक शानदार क्लॉक टॉवर है, जिसे लगभग 200 साल पहले महाराजा सरदार सिंह ने बनवाया था। बाजार और टॉवर उन यात्रियों के लिए एक यात्रा है जो जोधपुर की संस्कृति और लोगों को देखना और अनुभव करना चाहते हैं। क्लॉक टॉवर सड़क के बाजारों से घिरा हुआ है, जिनमें सबसे प्रसिद्ध सरदार मार्केट है, जिसका नाम स्वर्गीय राजा के नाम पर रखा गया है। इस स्थान पर सूर्यास्त के बाद शहर की खरीदारी और आकर्षण का आनंद लिया जा सकता है।
मंडोर गार्डनजोधपुर सिटी से करीब 17 किमी। दूर मंडोर गार्डन में आपको करीब 30 करोड़ प्राचीन देवी-देवताओं की मूर्तियां देखने को मिलेंगे। मुझे मालूम है कि 30 करोड़ नाम सुनते ही आपके मन में भी मेरी तरह मंडोर गार्डन को जल्द ही विजिट करने का ख्याल आया होगा। जोधपुर जाने पर आप इस जगह को विजिट करना बिलकुल मत भूलें, क्योंकि क्या पता ऐसी जगह आपको कहीं मिले या नहीं।
कायलाना झील कायलाना झील जोधपुर के सबसे देखे जाने वाले पर्यटन स्थलों मे से एक है। जो भी पर्यटक जोधपुर घूमने आते हैं। वो एक बार इस झील को जरूर देखने आते हैं। इस झील का मनोरम दृश्य यहाँ आने वाले पर्यटकों का मन मोह लेता है। अगर आपको बर्ड वॉचिंग पसन्द है। तो ये जगह आपके लिए तो और भी खूबसूरत होने वाली है। क्योंकि यहाँ आपको कुछ विदेशी पक्षियों देखने को मिल जायेंगे। सबसे बड़ी चीज ये झील 84 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र को कवर करती है। यहाँ आपको एक बार जरूर विजिट करना चाहिए।
जसवंत थाड़ा पूरी तरह से सफेद दूधिया पत्थर से बने जसवंत थाड़ा को राजस्थान का ताजमहल कहा जाता है। नक्काशीदार बुर्ज और सुंदर गुंबद दिनभर सूरज की रोशनी में चमचमाते रहते हैं। मेहरानगढ़ किले के बाई ओर बनी इस इमारत का निर्माण महाराज जसवंत सिंह द्वितीय की याद में किया गया था। इस शाही समाधि में राठौर वंश से जुड़े प्रभावशाली चित्रों और शानदार कलाकृतियों का संग्रह भी है। इतिहास पसंद करने वाले लोगों को जोधपुर शहर में इस स्थान को जरूर देखना चाहिए। जसवंत थाड़ा की यात्रा के लिए सर्दियों के महीने यानी अक्टूबर और फरवरी के बीच का महीना बेस्ट है।
बालसमंद झील बालसमंद झील एक कृत्रिम झील है जो मध्य शहर जोधपुर से केवल 5 किलोमीटर की दूरी पर स्थित है। यह झील 1159 ईस्वी में गुर्जर-प्रतिहार शासकों द्वारा बनाई गईं थी। महाराजा सुर सिंह, जो इस कृत्रिम झील के निर्माता थे, उनको उनकी त्रुटिहीन सेवाओं के बदले सवाई राजा की उपाधि से सम्मानित किया गया था। हरे-भरे बगीचों से घिरे, इसमें आम, पपीता, अनार, आदि जैसे विभिन्न प्रकार के पेड़ शामिल हैं। आप इस झील के पानी के पास लंबे समय तक टहल सकते हैं और आप बालसमंद पैलेस के रेस्तरां में बैठकर सुंदर झील और सूर्यास्त के दृश्य देख सकते हैं। यह झील पहले मंडोर के ग्रामीणों के लिए एक जलाशय थी, लेकिन अब इसे एक कृत्रिम झील में बदल दिया गया है।
शीश महल जोधपुर के मेहरानगढ़ किले में शीश महल, जिसे जोधपुर के ग्लास पैलेस के रूप में जाना जाता है, ऐतिहासिक वास्तुकला का एक अद्भुत नमूना है जिसे छत से फर्श तक डिजाइनदार शीशे से सजाया गया है। इसे 17वीं और 18वीं शताब्दी के बीच महाराजा अजीत सिंह का शयन कक्ष कहा जाता है। छत पर लटके नीले, हरे, चांदी और सोने के आभूषणों के साथ-साथ भव्य यूरोपीय झूमर बाद में इस हॉल में जोड़े गए हैं।