भारत एक विशाल देश हैं जहां का इतिहास अपनेआप में बेहद विस्तृत हैं जिसमें कई ऐसी ऐतिहासिक जगहें हैं जो अपने पर्यटन के लिए भी जानी जाती हैं। पर्यटन के दौरान भारत में कई ऐसी इमारतें देखने को मिलती हैं जो अपनी खूबसूरत वास्तुकला के लिए जानी जाती हैं। देश में कई महल हैं जिनमें से कुछ पर्यटन के लिए जाने जाते है तो कुछ खंडहर बन चुके हैं। आज हम आपको कुछ शानदार शाही महल के बारे में बताने जा रहे हैं जो देश की समृद्ध विरासत और वास्तुकला का परिचायक बनते हैं। यहां हर दिन हजारों पर्यटक इन महलों का दीदार करने पहुंचते हैं। इन सभी महलों का अपना अनोखा इतिहास हैं। आइये जानते हैं इन शाही महलो के बारे में...
अंबा विलास पैलेस या मैसूर पैलेस, मैसूरभारत में सबसे खूबसूरत महलों में से एक अंबा विलास पैलेस या मैसूर पैलेस एक वास्तुशिल्प चमत्कार है। वोड़ेयार्स द्वारा बनवाया गया ये महल उनके लिए शाही सीट के रूप में कार्य करता था, पैलेस को देखकर हर कोई कह देगा कि उन्हें उस जमाने में भी कला और वास्तुकला का कितना ज्ञान था। आप भी जरा महल के अंदरूनी हिस्सों में जाकर देखिए, आपको द्रविड़, ओरिएंटल, इंडो-सरसेनिक और रोमन शैली वास्तुकला का उदाहरण यही देखने को मिलेगा।
डीग पैलेस, राजस्थानराजस्थान में भरतपुर से 35 किलो मीटर दूर एक पैलेस-परिसर है जो 18वीं शताब्दी के आरंभ में जाट राजवंश के उत्थान का केंद्र रहा है। डीग पैलेस शिल्पकारी का अद्भुत नमूना तो है ही साथ ही जाट समुदाय के उत्थान में भी इसकी ख़ास जगह है। डीग पैलेस-परिसर दोनों तरफ़, दो बड़े तालाबं से घिरा है। एक तरफ़ गोपाल सागर और दूसरी तरफ़ रूप सागर है। महल, बाग़ और भवन बीच मे बने हैं। परिसर को ठंडा रखने की पूरी व्यवस्था की गई है। इसी वजह से गर्मियों में भी महल ठंडे रहते हैं। डीग पैलेस की शिल्पकारी की विशेषता उसके भवन ही हैं। यानी गोपाल भवन, सूरज भवन, किशन भवन, नंद भवन, केशव भवन और हरदेव भवन। केशव भवन, बारिश के मौसम के लिए है जो रूप सागर तालाब के किनारे पर बना है। हौज़ो की दिवीरों में कई फ़व्वारे निकलते थे। होली के अवसर पर तालाब की दिवारों के छेदों में रंग भर दिए जाते थे। पाइपों के ज़रिए जो पानी आता था उसमें से निकलते रंग इंद्रधनुषी फ़व्वारों की तरह लगते थे।
उज्जयंता पैलेस, अगरतलात्रिपुरा में सबसे खूबसूरत संरचनाओं में से एक और भारत में सबसे अधिक मान्यता प्राप्त महलों में से एक, उज्जयंता पैलेस असल में राजा के निवास के लिए परफेक्ट है। बल्कि आप तो अभी भी देखकर यही कहेंगे कि ऐसे खूबसूरत महल में तो आज भी कोई भी राजा रह लेगा! बता दें, महान कवि रवींद्रनाथ टैगोर ने महल को इसका नाम दिया था और काफी समय तक इस महल पर कई शासकों का शासन रहा था। खूबसूरत टाइल्स और लकड़ी के चमत्कार को देखने के लिए एक बार जरूर जाएं। वैसे अब ये महल एक म्यूजियम में तब्दील कर दिया गया है।
लक्ष्मी विलास पैलेस, वडोदरा ये पैलेस सन 1890 में महाराजा सत्याजिराओ गायकवाड़ तृतीय ने बनवाया था और ये आज भी गुजरात के भूतपूर्व शासकों, गायकवाड़ों का रिहायशी महल है। भारतीय और यूरोपियन वास्तुकला के मिलन से तराशे हुए इस महल के साथ लगकर एक गोल्फ कोर्स है, एक 600 साल पुरानी बावली है, एक चिड़ियाघर और एक म्यूज़ियम भी है। आज जिसे म्यूज़ियम कहा जाता है, उसे महल के बच्चों के पढ़ने के लिए स्कूल के रूप में काम में लिया जाता था। गायकवाड़ महाराज ने बच्चों को स्कूल लाने-ले जाने के लिए एक छोटी से मिनी ट्रेन भी चलवा रखी थी। इस महल के पहले तल पर आज भी गायकवाड़ परिवार रहता है। इस महल में शीशे का काम किया हुआ है, जो दुनिया के किसी भी महल से कहीं ज़्यादा है। आकार में लंदन के बकिंघम पैलेस से चार गुना ज़्यादा बड़ा है।
सिटी पैलेस, जयपुरमहाराजा सवाई जय सिंह द्वितीय एक बेहतरीन वास्तुकला के साथ महल बनवाने के लिए जाने जाते हैं। जयपुर में सिटी पैलेस उनकी भव्य संरचनाओं के कलेक्शन में से एक है। महल में कई आंगन, मंदिर, पार्क हैं और इनमें चंद्र महल, मुबारक महल, श्री गोविंद देव मंदिर को तो लोग सबसे ज्यादा देखते हैं। इतने वर्षों के बाद भी, जयपुर शाही परिवार वहां रहता है, हालांकि महल का एक बड़ा हिस्सा अब सिटी पैलेस संग्रहालय या महाराजा सवाई मान सिंह द्वितीय संग्रहालय में बदल दिया गया है।
उम्मेद भवन पैलेस, जोधपुरजोधपुर का उम्मेद भवन पैलेस दुनिया के सबसे बड़े निजी निवास स्थानों में से एक है। इस महल का स्वामित्व जोधपुर के शाही परिवार के सदस्य महाराजा गज सिंह जी के पास है। इस महल का निर्माणकार्य 1929 में शुरू हुआ था और 1943 में यह महल बनकर तैयार हुआ था। वर्तमान में यह महल तीन भागों में बंटा हुआ है, जिसके पहले भाग में ताज पैलेस होटल, दूसरे भाग में शाही परिवार का निवास स्थान और तीसरे भाग में संग्रहालय स्थित है।
जय विलास पैलेस, ग्वालियर
जय विलास पैलेस महाराजा जयाजी राव सिंधिया द्वारा 1874 में बनवाया गया था। इसे बनाने वाले माइकल फिलोस वास्तुकार थे जिन्होंने इस भव्य संरचना को डिजाइन किया और अपने डिजाइनों में वास्तुकला की यूरोपीय शैली को शामिल किया। इस महल की तीनों मंजिलों की वास्तुकला की अलग-अलग शैलियां हैं। पहला टस्कन शैली में, दूसरा इतालवी डोरिक में और तीसरा कोरिंथियन शैली में। पूर्ववर्ती शाही सीट अब एक म्यूजियम है, जिसे जीवाजी राव सिंधिया म्यूजियम के नाम से जाना जाता है।
मुबारक मंडी महल, जम्मूजम्मू का शानदार मुबारक मंडी महल इस प्रांत के इतिहास का एक महत्त्वपूर्ण हिस्सा हैं। इसी जगह से डोगरा राजाओ ने दो सौ साल तक अपने विराट राज्य पर शासन किया। पर इस महल का इतिहास सिर्फ उन तक सीमित नहीं था। महल परिसर में सं 1824 की सबसे पुरानी इमारत है। उत्तराधिकारी महाराजाओं ने आकार और भवन में परिसर को जोड़ा और जिसमे 150 साल से अधिक समय लगा। वास्तुकला राजस्थानी वास्तुकला और यूरोपीय बारोक और मुगल शैलियों का मिश्रण है।