कभी नहीं भूल पाएंगे हिमाचल के इन 8 क्षेत्रीय पकवानों का जायका, जाएं तो जरूर ले स्वाद

भारत को विविधताओं का देश कहा जाता हैं जहां कई तरह की विविधता देखने को मिलती हैं। यह विविधता खानपान में भी नजर आती हैं और हर क्षेत्र का अपना विशेष जायका होता हैं जो दूसरों को भुलाए नहीं भूलता हैं। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं हिमाचल प्रदेश के पारंपरिक भोजन की। जिस तरह से हिमाचल को अपनी खूबसूरत वादियों और पर्यटन के लिए जाना जाता हैं, उसी तरह यहां के क्षेत्रीय पकवानों का जायका जिसने एक बार ले लिया वो बार-बार लेना पसंद करता हैं। यहां जैसा स्वाद दूसरी जगह मिल पाना लगभग नामुमकिन सा होता है। आइये जानते हैं उन हिमाचली व्यंजनों के बारे में जिनका जायका यहां की शान बनता हैं।

सिद्धू

सिद्दू ज्यादातर मंडी, कुल्लू, मनाली और शिमला में सबसे ज़्यादा पसंद किया जाने वाला व्यंजन है। यह गेहूं के आटे से बनी एक तरह की रोटी है। इसे बनाने के लिए गेहूं व खमीर के मिश्रण का प्रयोग किया जाता है। खमीर के साथ गेहूं को गूंधने के बाद, आटे को कम से कम 4 से 5 घंटे तक छोड़ दिया जाता है। आम तौर पर, इसे देसी घी दाल और चटनी के साथ परोसा जाता है।

बबरू

इस व्यंजन को बनाने के लिए सबसे पहले काले चने की दाल को रात भर या 5-6 घंटे के लिए पानी में भिगो दें। इसके बाद अधिक पानी निकाल दें और दाल को एक ब्लेंडर में डालकर पेस्ट बना लें। अब एक बाउल में गेहूं का आटा, 1/2 कप रिफाइंड तेल, बेकिंग पाउडर और नमक मिलाएं। सारी सामग्री को अच्छी तरह मिला लें और पानी की सहायता से नरम आटा गूंथ लें। रोल के छोटे-छोटे हिस्से लें और हर हिस्से में काले चने का पेस्ट डालें। इसे वापस पूरी के आकार में बेल लें। दोनों तरफ से तब तक भूनें जब तक कि ये फूले और समान रूप से पक न जाएं। इसे गर्मागर्म किसी भी सब्जी, इमली की चटनी या अचार के साथ परोसें।

अकतोरी

हिमाचल प्रदेश की अकतोरी एक ऐसी स्वीट डिश है जिसे पहले तो लोग हर खास मौकों या हर त्यौहार पर बनाते थे लेकिन आजकल इसका स्वाद सभी लोग भूल चुके हैं। यह कुट्टू और गेहूं के आटे से बना एक तरह का पैनकेक है। अकतोरी बनाने के लिए कुट्टू, गेहूं का आटा, दूध, पानी, बेकिंग सोडा और चीनी मिलाकर गाढ़ा घोल तैयार किया जाता है। फिर इसे तवे पर सेंका जाता है और गरमा-गरम सर्व करते हैं।

तुड़किया भात

इस स्वादिष्ट डिश को बनाने के लिए एक कटोरी में कटे टमाटर, कटे प्याज, अदरक, लहसुन, लौंग, खसखस, जावित्री, हरी मिर्च, धनिया, इलायची, दालचीनी की छड़ी, सौंफ, स्टोन फ्लावर और लाल मिर्च पाउडर डालें। इन सभी मसालों को मिलाकर पेस्ट बना लें। इसमें कटे हुए आलू डालें। मसूर दाल को पानी में भिगोकर 30 मिनट के लिए रख दें। इसके अलावा चावल को धोकर एक अलग बाउल में 30 मिनट के लिए भिगो दें। तेजपत्ता, दालचीनी स्टिक, इलायची डालें और 2-3 मिनट तक भूनें। इसमें आलू के साथ तैयार मसाला डालें। सभी सामग्रियों को अच्छी तरह मिलाएं। मिश्रण में दही डालें और फिर चावल और दाल डालें। ढककर प्रेशर कुक करें और गर्मागर्म भात परोसें।

माद्रा

खट्टा यानि मानी की रेसिपी हिमाचल के सबसे लोकप्रिय व्यंजनों में से एक है। इस पहाड़ी व्यंजन को पारंपरिक समारोहों में तैयार किया जाता है, जिसे धाम क्यूज़ीन की मेन डिश के तौर पर परोसा जाता है। यह स्वाद में मीठा और बेहद खट्टा है। आमतौर पर हिमाचल में इसे स्टीम्ड राइस के साथ परोसा जाता है। इसे खाने से डाइजेशन सही रहता है। वहीं अब इसकी जगह डिप्स और तरह-तरह की चटनियों ने ले ली है। गुड़, बेसन, हींग, हल्दी, धनिया पाउडर, गरम मसाला, अमचूर, लाल मिर्च, नमक, दही और चने को एक साथ मिक्स करते हैं। कड़ाही में तेल गर्म कर राई व जीरे से छौंक लगाकर इस मिश्रण को डालकर पकाया जाता है।

भेय

इस स्वादिष्ट डिश को बनाने के लिए एक गरम पैन में कटा हुआ अदरक, लहसुन और प्याज डालकर भूनें। एक बार हो जाने के बाद, हल्दी, धनिया पाउडर, काली मिर्च, मिर्च पाउडर और नमक डालें और पकाएं। इसके बाद पैन में बेसन डालकर 2 मिनट तक भूनें। इसमें धुले और उबले हुए कमल के डंठल डालें। अन्य सामग्री के साथ अच्छी तरह मिलाएं और इसे 20 मिनट तक पकने दें। जब कमल के डंठल पक जाएं तो इन्हें एक सर्विंग डिश में रखें और गर्मागर्म परोसें।

धाम

धाम स्वादिष्ट व्यंजनों से भरी एक थाली है। इसमें आपको दाल, राजमा, चावल, दही, आदि के चखने को मिल जाएंगे। गुड़ इस पकवान में चार चांद लगा देता है। त्योहार और ख़ास मौके इसके बिना अधूरे माने जाते हैं। इसका प्रचलन मनाली और चंबा में ज़्यादा देखने को मिलता है और इसे हिमाचल प्रदेश का मुख्य भोजन भी कहते हैं।

छा गोश्त

यह हिमाचल की एक बहुत ही स्वादिष्ट मटन करी है। इसे बेसन और दही की ग्रेवी में पकाया जाता है। इस व्यंजन का स्वाद तब बहुत बढ़ जाता है, जब इसे इलायची लाल मिर्च पाउडर, धनिया पाउडर, तेज पत्ता, हींग और अदरक-लहसुन का पेस्ट के साथ तैयार किया जाता है। कुल्लू के स्थानीय ढाबे की मेनू लिस्ट में आपको इसका नाम मिल जाएगा।