भारत के विभिन्न राज्यों में बिहार का भी महत्वपूर्ण स्थान हैं जो अपने समृद्ध इतिहास, कला, नृत्य और विरासत के लिए जाना जाता है। बिहार का 3000 से अधिक वर्षों का गौरवशाली इतिहास रहा है जिसमें मंदिरों का भी बहुत महत्व हैं। बिहार को विश्व के दो सबसे बड़े धर्मों बौद्ध और जैन धर्म की जन्मस्थली भी माना जाता है। बिहार के पर्यटन की बात करें तो यहां के दर्शनीय स्थलों में कई मंदिर शामिल हैं जो यहां की संस्कृति और इतिहास को दर्शाते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको बिहार के कुछ ऐसे मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं हर साल लाखों की तादात में सैलानी पहुंचते है और हर दिन श्रद्धालुओं का जमावड़ा लगता हैं। आइये जानते हैं इन मंदिरों के बारे में...
जानकी मंदिरसीतामढ़ी शहर से 5 किलोमीटर पश्चिम पुनौरा गांव में एक भव्य जानकी मंदिर है जिसे माता सीता का जन्म स्थल माना जाता है। इससे जुड़ी कहानी है कि एक बार मिथिला में भीषण अकाल पड़ा और राजा जनक को खेत में हल चलाने की सलाह दी गई। महादेव की पूजा करने के बाद जब राजा जनक हल चला रहे थे तब जमीन से मिट्टी का एक पात्र निकला, जिसमें माता सीता शिशु अवस्था में मिलीं। इस जगह पर अब एक हलेश्वर मंदिर है और मान्यता है कि विदेह नाम के राजा ने इस शिव मंदिर का निर्माण पुत्रेष्टि यज्ञ के लिए यहां करवाया। यहां एक जानकी कुंड नाम का सरोवर भी है जिसके बारे में कहा जाता है कि स्नान करने से संतान की प्राप्ति होती है। इस जगह पर ही मां सीता का विवाह भी हुआ था और इसका साक्षी प्राचीन पीपल का पेड़ आज भी मौजूद है। बता दें कि ये जगह पटना से करीब 4 घंटे की दूरी पर मौजूद है जहां के बीच की दूरी करीब 138 किलोमीटर है। यहां आप रोड और ट्रेन से भी पहुंच सकते हैं।
मंगला गौरी मंदिरयदि आप पवित्र शहर गया में हैं, तो आपको बिहार के सबसे फेमस मंदिरों में से एक मंगला गौरी मंदिर को भी अवश्य देखना चाहिएए। मंगला गौरी मंदिर भारत के 18 शक्तिपीठों में से एक है। पद्म पुराण, वायु पुराण, अग्नि पुराण जैसे पवित्र ग्रंथों में इसका उल्लेख किया गया है। यह पवित्र मंदिर सती को समर्पित है। ऐसी मान्यता है कि इस स्थान पर सती के शरीर का एक अंग गिरा था। इस छोटे से मंदिर की वास्तुकला और भव्यता कुछ ऐसी है जो निश्चित रूप से आपको मोहित कर लेगी। यह मंदिर सुबह छह बजे से लेकर रात 8 बजे तक खुला रहता है।
अशोकधाम मंदिरअशोकधाम मंदिर को इंद्रमनेश्वर महादेव मंदिर के नाम से भी जाना जाता है। यह मंदिर बिहार के लखीसराय में स्थित है। महाशिवरात्रि के दिन लाखों श्रद्धालु यहां भगवान शिव की पूजा करने आते हैं। लखीसराय जिले की ऑफिशियल वेबसाइट के मुताबिक 7 अप्रैल साल 1977 में अशोक नाम के एक लड़के ने यहां जमीन के नीचे से विशालयकाय शिवलिंग की खोज की थी। 11 फरवरी साल 1973 में जगन्नाथपुरी के शंकराचार्य ने यहां मंदिर परिसर का शिलान्यास किया गया। वर्तमान मंदिर का कायाकल्प श्री इंद्रदमनेश्वर महादेव मंदिर ट्रस्ट के तहत 15 नवंबर साल 2002 को हुआ था।
महावीर मंदिरपटना जंक्शन के पास स्थित महावीर मन्दिर भगवान हनुमान जी को समर्पित सबसे पवित्र हिंदू मन्दिरों में से एक है। यह देश के सर्वोत्तम और प्राचीन हनुमान मन्दिरों में से एक है। महावीर मंदीर उत्तर भारत का सबसे प्रसिद्ध मन्दिर है। मन्दिर में हर साल लाखों श्रद्धालु आते हैं। संकट मोचन की प्रतिमा भक्तों के दिल में एक विशेष स्थान रखती है। रामनवमी के पावन अवसर पर हजारों की संख्या में भक्त इस मन्दिर में दर्शन-पूजन के लिए आते हैं। लाखों भक्तों की आस्था से जुड़ा यह मन्दिर अपने धार्मिक महत्व और मान्यताओं के लिए जाना जाता है। इस मन्दिर के बारे में यह मान्यता है कि, यहां आने वाले हर भक्त की मुराद जरूर पूरी होती है, कोई भी भक्त यहां से खाली हाथ नहीं लौटता है।
मिथिला शक्ति पीठभारत और नेपाल के बॉर्डर के करीब दरभंगा में स्थित ये मिथिला शक्ति पीठ 52 शक्तिपीठों में से एक माना जाता है। सनातन धर्म में इस पीठ का बड़ा महत्व है। मान्यता है कि इस स्थल पर देवी सती का वाम स्कंध यानी बाया कंधा गिरा था। इस मंदिर में देवी उमा और भगवान महोदर की मूर्ति स्थापित है जिसकी पूजा अर्चना के लिए दूर दूर से लोग पहुंचते हैं। इस शक्ति पीठ में उमा की पूजा महादेवी के रूप की जाती है। बता दें कि पटना से दरभंगा की दूरी 139 किलोमीटर है जहां आप ट्रेन से भी जा सकते हैं और रोड से भी।
विष्णुपद मंदिरविष्णुपद मंदिर गया जिले में मोक्षदायिनी फल्गु नदी के किनारे मौजूद है जिसका वर्णन रामायण में भी किया गया है। यह मंदिर अपनी भव्यता और वैभवता के लिए भी जाना जाता है। इस मंदिर की ऊंचाई करीब 100 फीट है जबकि सभा मंडप में 44 पिलर लगे हैं। विष्णुपद मंदिर में 40 सेमी लंबे विष्णु का पदचिह्न मौजूद है जिसमें शंकम, चक्रम और गधम सहित नौ प्रतीक चिन्ह बने हैं। बता दें कि यह एक ठोस चट्टान पर बना है और इस पर चांदी का वर्क किया गया है। भव्यता से पूर्ण इस मंदिर के नाम को लेकर मान्यता है कि गयासुर नामक राक्षस के नाम पर इसका नाम रखा गया था। इसके पीछे भी एक लंबी कहानी है। पितृपक्ष के अवसर पर यहां श्रद्धालुओं की काफी भीड़ जुटती है और लोग पितरों के तर्पण के लिए यहां पहुंचते हैं। मान्यता है कि तर्पण के बाद भगवान विष्णु के चरणों के दर्शन करने से समस्त दुखों का नाश होता है एवं पूर्वज पुण्यलोक को प्राप्त करते हैं। बता दें कि पटना से यहां तक की दूरी करीब 100 किलोमीटर है और आप यहां ट्रेन, बस, टैक्सी से भी आसानी से पहुंच सकते हैं।
बाबा गरीब नाथ मंदिरमुजफ्फरपुर में स्थित भगवान शिव का बाबा गरीबनाथ मंदिर, बिहार के प्राचीन मंदिरों में से एक है। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार यह मदिर तीन सौ साल पुराना है। पहले इस स्थान पर घना जंगल हुआ करता था। इस जंगल के बीच में सात पीपल के पेड़ थे। पेड़ों की कटाई के वक्त इनमें से रक्त जैसा लाल पदार्थ निकले लगा और एक अंदर से एक विशाल शिवलिंग मिला। जिसके बाद यहां भगवान शिव की पूजा-अर्चना होने लगी।
पटन देवी मंदिरबिहार की राजधानी पटना में पटन देवी मंदिर का इतिहास काफी रोचक माना जाता है। स्थानीय लोगों की यह मान्यता है कि यह मंदिर ही पटना शहर की रक्षा करता है और इसलिए मंदिर को रक्षिका भगवती पटनेश्वरी के नाम से भी जाना जाता है। 51 शक्तिपीठों में से एक पटनदेवी मंदिर भी है जहां माता सती का जांघ गिरा था। इस मंदिर के अंदर महालक्ष्मी, महासरस्वती और महाकाली की मूर्तियां भी स्थापित हैं और नवरात्र के दिनों में यहां धूमधाम से पूजा अर्चना की जाती है। शादी के बाद नया जोड़ा यहां दर्शन को पहुचंते हैं और सौभाग्य व खुशहाल वैवाहिक जीवन की कामना करते हैं।