बना रहे हैं सावन के महीने में घूमने का प्रोग्राम तो इन शिव मंदिरों का करें दर्शन, भोलेनाथ के विभिन्न रूपों को देख मन होगा प्रसन्न

सावन का महीना आने में बस कुछ ही दिन बचे हुए हैं। इस महीने लाखों शिव भक्त देश के सबसे प्राचीन और सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिरों में भोले शंकर के दर्शन के लिए परिवार या फिर दोस्तों के साथ ज़रूर जाते हैं। वैसे तो सबसे प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर उत्तराखंड में स्थित केदारनाथ मंदिर को समझा जाता है लेकिन, भारत के कोने-कोने में कुछ ऐसे भी प्रसिद्ध और प्राचीन शिव मंदिर हैं, जहां आप सावन के महीने या फिर महाशिव रात्रि या किसी और शुभ दिन में भी घूमने के लिए जा सकते हैं। भारत के अलग-अलग शिव मंदिरों को महाकाल मंदिर, नटराज मंदिर और महादेव मंदिर आदि के नाम से प्रसिद्ध भगवान शिव को ब्रम्हांड के निर्माता के रूप में पूजा जाता है। अगर आप इतिहास प्रेमी होने के साथ धार्मिक प्रेमी हैं, तो भारत के इन प्रमुख शिव मंदिरों में ज़रूर पहुंचना चाहिए।

बाबा भोलेनाथ को सबसे जल्दी प्रसन्न होने वाले भगवान माना जाता है। अपने भक्तों को थोड़े कष्ट में ही देखकर शिव जी पसीज जाते हैं। कहते हैं कि सोमवार को अगर भगवान भोलनाथ की पूरे समर्पण से आराधना की जाती है तो वे अपने भक्तों के सारे कष्ट दूर कर देते हैं। धार्मिक मान्यताओं के अनुसार भगवान शंकर का न आदि है और न अंत है। उनकी इच्छा के बिना इस पूरे ब्रह्मांड में एक पत्ता भी नहीं हिल सकता है। हमारे देश में भगवान भोले के 12 ज्योतिर्लिंगों के साथ ही कई प्रसिद्ध मंदिर भी हैं। मान्यता है कि इन मंदिरों में दर्शन मात्र से ही न सिर्फ भक्तों की हर मनोकामना पूरी हो जाती है बल्कि मोक्ष के द्वार भी खुल जाते हैं।

सावन के महीने में यदि आप किसी धार्मिक स्थल पर जाने का प्रोग्राम बना रहे हैं तो आप भारत के इन प्राचीन शिव मंदिरों में से किसी एक देखने, समझने, शिवजी का आशीर्वाद पाने और स्वयं को हर कष्ट से मुक्त करने के लिए जा सकते हैं, जिनका विवरण हम आगे देने जा रहे हैं।

केदारनाथ

भारत के उत्तराखंड के रुद्रप्रयाग जिले में गढ़वाल हिमालय पर्वतमाला पर स्थित केदारनाथ मंदिर भारत के सबसे प्रतिष्ठित और पवित्र हिंदू मंदिरों में से एक है। 3,583 मीटर की ऊंचाई पर स्थित, यह मंदिर 12 ज्योतिर्लिंगों में सबसे ऊंचा है और यह भगवान शिव को समर्पित है। यह गंगोत्री, यमुनोत्री और केदारनाथ के अलावा छोटा चार धाम में भी शामिल है। वर्तमान केदारनाथ मंदिर का निर्माण आदि शंकराचार्य द्वारा किया गया है, जो मूल रूप से पांडवों द्वारा हजार साल पहले बनाया गया था। दिलचस्प इतिहास, आध्यात्मिक मूल्य और आकर्षक वास्तुकला केदारनाथ मंदिर की यात्रा करने के कई कारण हैं।

भारत के 10 प्रसिद्ध मंदिर में से एक केदारानाथ मंदिर की खास बात है कि यह मंदिर सिर्फ अप्रैल से नवंबर महीने के बीच ही दर्शन के लिए खुलता है और सालभर लोग केदारानाथ मंदिर में आने के लिए इंतजार करते हैं। यहां की प्रतिकूल वायु के कारण सर्दी के दिनों में केदारघाटी बर्फ से पूरी तरह ढंक जाती है। खास बात यह है कि इसके बाद इसके खुलने और बंद होने का मुहूर्त भी निकाला जाता है, लेकिन फिर भी ये सामान्य तौर पर नवंबर महीने की 15 तारीख से पहले बंद हो जाता है और 6 महीने बाद अप्रैल में फिर से खुलता है।

सोमनाथ मंदिर, गुजरात

कहा जाता है कि केदारनाथ के बाद भारत में सबसे प्राचीन और प्रसिद्ध शिव मंदिरों में से एक है गुजरात का सोमनाथ मंदिर। कई लोगों का मानना है कि भगवान शिव को समर्पित 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है सोमनाथ मंदिर। भारत के प्राचीन और ऐतिहासिक मंदिरों में शामिल सोमनाथ मंदिर करोड़ों भारतीय और विदेशी शिव भक्तों के लिए प्रतिष्ठित और पवित्र मंदिर है। अगर आप गुजरात और उसके आप घूमने के लिए जा रहे हैं, तो आपको सोमनाथ मंदिर ज़रूर पहुंचना चाहिए।

सोमनाथ मंदिर गुजरात के पश्चिमी तट पर सौराष्ट्र में वेरावल बंदरगाह के पास प्रभास पाटन में स्थित है। यह मंदिर भारत में भगवान शिव को समर्पित बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से पहला माना जाता है। यह गुजरात का एक महत्वपूर्ण तीर्थ और पर्यटन स्थल है। प्राचीन समय में इस मंदिर को कई मुस्लिम आक्रमणकारियों और पुर्तगालियों द्वारा बार-बार ध्वस्त करने के बाद वर्तमान हिंदू मंदिर का पुनर्निर्माण वास्तुकला की चालुक्य शैली में किया गया। सोमनाथ का अर्थ है, “भगवानों के भगवान”, जिसे भगवान शिव का अंश माना जाता है। यह मंदिर ऐसी जगह पर स्थित है जहां अंटार्कटिका तक सोमनाथ समुद्र के बीच एक सीधी रेखा में कोई भूमि नहीं है। सोमनाथ मंदिर के प्राचीन इतिहास, वास्तुकला और प्रसिद्धि के कारण इसे देखने के लिए देश और दुनिया से भारी संख्या में पर्यटक यहां आते हैं।

महाकालेश्वर मंदिर, मध्य प्रदेश

मध्य प्रदेश के उज्जैन शहर में स्थित महाकालेश्वर मंदिर मध्य प्रदेश के साथ-साथ पूरे भारत के लिए सबसे प्रसिद्ध और सबसे पवित्र मंदिरों में से एक है। केदारनाथ, सोमनाथ के अलावा महाकालेश्वर मंदिर को भी भारत में मौजूद 12 ज्योतिर्लिंग मंदिरों से में एक माना जाता है। इस मंदिर की पवित्रता को देखते हुए कई लोग उज्जैन को महाकाल की नगरी से भी संबोधित करते हैं। इस मंदिर को लेकर एक मिथक ये है कि यहां मुर्दे की भस्म से महाकाल का शृंगार किया जाता है। अगर आप उज्जैन घूमने के लिए जा रहे हैं, तो इस महाकाल नगरी में घूमने के लिए ज़रूर पहुंचें। समय व मृत्यु के देवता के नाम से इन्हें जाना जाता है। महाकालेश्वर की प्रतिमा दक्षिणमुखी है।

बाबा बैद्यनाथ धाम, झारखण्ड

झारखण्ड के देवघर में स्थित सबसे प्राचीन और सबसे पवित्र मंदिर है बाबा बैद्यनाथ धाम। सावन के महीने में यहां लाखों भक्त सुल्तानजग से जल भरकर बाबा बैद्यनाथ धाम के लिए जाते हैं। लगभग 42 किलोमीटर जल लेकर लाखों भक्त बाबा बैद्यनाथ धाम को अर्पित करने के लिए निकलते हैं। इस मंदिर के परिसर में लगभग 20 से भी अधिक मंदिर मौजूद हैं। बाबा बैद्यनाथ धाम के ठीक सामने पार्वती जी का भी मंदिर है, जो बेहद ही पवित्र मंदिर है। कई लोग इस मंदिर को बाबा धाम मंदिर के नाम से भी जानते हैं। सावन के महीने में यहां लाखों शिव भक्तों की भीड़ लगी रहती है।

काशी विश्वनाथ मंदिर, उत्तर प्रदेश

पवित्र नदी गंगा के पश्चिमी तट पर स्थित, काशी विश्वनाथ मंदिर को भगवान शिव को समर्पित सबसे लोकप्रिय हिंदू मंदिर और भारत के 10 प्रमुख मंदिरों में से एक है। वाराणसी के मध्य में स्थित यह मंदिर लाखों हिंदुओं के लिए आस्था का केंद्र है। काशी विश्वनाथ मंदिर के मुख्य देवता भगवान शिव हैं, जिन्हें विश्वनाथ या विश्वेश्वर के नाम से भी जाना जाता है जिसका अर्थ है ‘ब्रह्मांड का शासक’। मंदिर में मौजूद ज्योतिर्लिंग को देश के सभी ज्योतिर्लिंगों में से 12 वां माना जाता है। पुराने समय में, शिवरात्रि जैसे विशेष त्योहारों पर, काशी के राजा (काशी नरेश) मंदिर में पूजा के लिए जाते थे, जिसके दौरान किसी और को मंदिर परिसर में प्रवेश करने की अनुमति नहीं थी। मंदिर में कालभैरव, विष्णु, विरुपक्ष गौरी, विनायक और अविमुक्तेश्वर जैसे कई अन्य छोटे मंदिर भी हैं। यह काफी पुराना और एक भव्य मंदिर है, जो पूरी दुनिया में प्रसिद्ध है। यही कारण है कि देश के हर कोने से भगवान शिव के भक्त यहां दर्शन पूजन करने के लिए आते हैं।

अमरनाथ धाम

बाबा अमरनाथ की गुफा जो कि बाबा बर्फानी के नाम से भी प्रसिद्ध है, यह भगवान शिवजी के प्रमुख धार्मिक स्थलों में से एक माना जाता है। काफी दुर्गम रास्ता होने के बावजूद हर साल हजारों भक्त यहां दर्शन करने आते हैं। अमरनाथ को तीर्थों का तीर्थ कहा जाता है क्योंकि यहीं पर भगवान शिव ने माता पार्वती को अमरत्व का रहस्य बताया था।

मुरुदेश्वर शिव मंदिर

भगवान शिवजी का यह मंदिर कर्नाटक में स्थित है। यह अरब सागर के तट पर है जो कि मेंगलोर से लगभग 165 किलोमीटर दूरी पर स्थित है। यहां लगी शिवजी की मूर्ति विश्व की दूसरी सबसे बड़ी मूर्ति मानी जाती है।

भीमाशंकर

भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग महाराष्ट्र के पूणे जिले में सह्याद्रि नामक पर्वत पर स्थित है। भीमाशंकर ज्योतिर्लिंग को मोटेश्वर महादेव के नाम से भी जाना जाता है।

घृष्णेश्वर महादेव मंदिर

भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक घृष्णेश्वर महादेव मंदिर है। यह अंतिम ज्योर्तिलिंग माना जाता है। यहां दर्शन करने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है और हर प्रकार की सुख-समृद्धि प्राप्त होती है।

त्र्यंबकेश्वर ज्योतिर्लिंग

नासिक शहर से 28 किलोमीटर की दूरी पर स्थित त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर गोदावरी नदी के तट पर मौजूद है। गौतम ऋषि तथा गोदावरी के प्रार्थनानुसार भगवान शिव इस स्थान में वास करने की कृपा की। ये मंदिर भी 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है। त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर का निर्माण पेशवा बालाजी बाजीराव द्वारा करवाया गया था। यह पूरा मंदिर काले पत्थरों से बना हुआ है, जिसे भारत के सबसे लोकप्रिय शिव मंदिरों में गिना जाता है। त्र्यम्बकेश्वर मन्दिर के शिव लिंग में भगवान विष्णु, ब्रह्मा और रुद्र के रूप में तीन मुखों को दिखाया गया है।

शिव मंदिर रामनाथस्वामी

तमिलनाडु के रामेश्वरम में स्थापित रामनाथस्वामी मंदिर दक्षिण भारत का फेमस शिव मंदिर है। ये भारत में स्थापित 12 जोतिर्लिंगो में से एक है। रामनाथस्वामी मंदिर उस स्थान पर निर्मित है, जहां भगवान राम ने रावण को मारने के बाद उस पाप से छुटकारा पाने के लिए भगवान शिव की पूजा की थी। भगवान शिव की पूजा करने के लिए हनुमान द्वारा कैलाश से मूर्ति लाई गई थी।

नागेश्वर ज्योतिर्लिंग

गुजरात में भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंगों में से एक श्री नागेश्वर ज्योतिर्लिंग है। नागेश्वर ज्योतिर्लिंग के परिसर में भगवान शिव की ध्यान मुद्रा में एक बड़ी ही मनमोहक अति विशाल प्रतिमा है।

मीनाक्षी मंदिर, तमिलनाडु

तमिलनाडु के मदुरई शहर में वैगई नदी के दक्षिणी तट पर स्थित मीनाक्षी मंदिर भारत का एक और सबसे प्रसिद्ध मंदिर है जिसका निर्माण वर्ष 1623 और 1655 के बीच किया गया था और इसकी अद्भुत वास्तुकला विश्व स्तर पर प्रसिद्ध है। मीनाक्षी मंदिर मुख्य रूप से देवी पार्वती को समर्पित है, जिन्हें मीनाक्षी और उनके पति को सुंदरेश्‍वर (शिव) के रूप में जाना जाता है। यह मंदिर देश के बाकी मंदिरों से काफी अलग है क्योंकि इस मंदिर में शिव और देवी पार्वती दोनों की एक साथ पूजा की जाती है। पौराणिक कथाओं की माने तो सुंदरेश्‍वर के रूप में जन्मे भगवान शिव ने पार्वती (मीनाक्षी) से शादी करने के लिए मदुरई का दौरा किया था।

यह स्थान देवी पार्वती के जन्म स्थान होने की वजह से शुरू से ही पवित्र रहा है, इसलिए पार्वती का स्मरण करने और उनकी पूजा करने के लिए इस मीनाक्षी मंदिर का निर्माण किया गया था। मीनाक्षी मंदिर दिखने में बेहद खूबसूरत है जिसमें 14 प्रवेश द्वार या ‘गोपुरम’, स्वर्ण टावर, पवित्र गर्भगृह शामिल हैं। इस मंदिर की पवित्रता और आकर्षणों की वजह से रोजाना हजारों भक्त इस मंदिर की यात्रा करते हैं।

लिंगराज

लिंगराज मंदिर भुवनेश्वर शहर की सबसे पुरानी संरचनाओं में आती है। लिंगराज मंदिर में आप कलिंग शैली की अद्भुत वास्तुकला देख सकते हैं। बलुआ पत्थर और लेटराइट से बना ये विशाल मंदिर, भगवान शिव को समर्पित है। यहां के पीठासीन देवता भगवान हरिहर हैं, जिन्हें भगवान शिव के रूपों में गिना जाता है। ऐसा माना जाता है कि लिंगराज मंदिर की स्थापना राजवंश के राजाओं द्वारा की गई थी।