सावन में करना चाहते हैं भोले बाबा के दर्शन, चले आइये उत्तरप्रदेश के इन प्रसिद्द शिव मंदिर

सावन का महीना जारी हैं जिसकी शुरुआत से ही भगवान शिव के मंदिरों में भक्तों का जमावड़ा लगना शुरू हो जाता हैं। सावन का महीना महादेव भगवान शिव की उपासना का त्योहार है। सावन के महीने में भगवान शिव और पार्वती माता की पूजा-अर्चना करने का विशेष महत्व होता है। वैसे तो भारत में 12 ज्योतिर्लिंग, कई विश्व प्रसिद्ध शिव मंदिर हैं, जहां आप सावन के मौके पर भगवान भोलेनाथ के दर्शन और पूजा अर्चना के लिए जा सकते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको उत्तरप्रदेश के प्रसिद्द शिव मंदिरों के बारे में बताने जा रहे हैं। यहां कई ऐसे मंदिर हैं जो बेहद ऐतिहासिक और पौराणिक हैं जहां पर बड़ी संख्या में भक्तगण सावन महीने में दर्शन करने पहुंचते हैं। इन मंदिरों में दर्शन करने मात्र से ही भोलेबाबा दुखों को हर लेते हैं। आइये जानते हैं उत्तरप्रदेश के इन मंदिरों के बारे में...

काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग

विश्व प्रसिद्ध 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक उत्तर प्रदेश में स्थित है। यूपी की पवित्र नगरी बनारस, जिसे काशी भी कहते हैं, वहां बाबा विश्वनाथ का धाम है। बनारस में गंगा नदी के पश्चिम घाट पर सातवें ज्योतिर्लिंग काशी विश्वनाथ का मंदिर है। मान्यता है कि भोले नाथ की प्रिय नगरी काशी भगवान शिव के त्रिशूल पर टिकी हुई है। वहीं धार्मिक आस्था के मुताबिक, ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से पाप मिट जाते हैं।

आनंदेश्वर मंदिर

कानपुर का सबसे प्रसिद्ध शिव मंदिर आनंदेश्वर मंदिर है यह कानपुर के परमट क्षेत्र में गंगा किनारे बसा हुआ है जहां पर प्रत्येक सोमवार को बड़ी संख्या में भक्तगण दर्शन करने जल और दूध का अभिषेक करने पहुंचते हैं सावन भर यहां पर दूर-दूर से भक्तगण पहुंचते हैं प्रत्येक सावन के सोमवार में यहां लाखों श्रद्धालु पहुंचते हैं। बड़ी संख्या में भक्तगण सावन महीने में देर रात से ही इस मंदिर में दर्शन करने के लिए लाइन लगा लेते हैं।

गोला गोकर्णनाथ

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में गोला तहसील में भगवान शिव की नगरी गोला गोकर्णनाथ स्थित है। इसे छोटा काशी भी कहते हैं। गोला गोकर्णनाथ के दर्शन के लिए दूर दराज से श्रद्धालु आते हैं। कहते हैं कि लंका के राजा रावण भगवान शिव को यहां लेकर आए थे। लंका जाते समय रास्ते में लघुशंका के लिए उन्होंने जमीन में भगवान शिव को रख दिया, जिसे बाद में वह जमीन से हिला भी न पाए। गुस्से में रावण ने अंगूठे से शिवलिंग को दबा दिया। इस स्थान को गोला गोकर्णनाथ कहते हैं और आज भी यहां स्थित शिवलिंग पर रावण के अंगूठे के निशान हैं।

द्वादश ज्योतिर्लिंग मंदिर

लखनऊ की प्रसिद्ध मंदिरों में से एक है द्वादश ज्योतिर्लिंग। यहां महादेव के द्वादश ज्योतिर्लिंग के दर्शन एक ही छत के नीचे करने का भक्तों को मौका मिलता है। मंदिर के कपाट भी सुबह पांच बजे खुल जाएंगे। पूरा दिन भक्त यहां पर पूजा अर्चना कर सकते हैं। रुद्राभिषेक भी किया जाएगा। इस मंदिर में भक्त शिवलिंग के करीब ही शुद्ध जल चढ़ा सकते हैं।

मनकामेश्वर मंदिर

संगम नगरी प्रयागराज में सरस्वती घाट के पास यमुना नदी के तट पर मनकामेश्वर मंदिर स्थित है। इस मंदिर में सावन के मौके पर भक्तों की भीड़ लगती है। यहां भगवान शिव को सभी संगम जल से स्नान कराते हैं और उनके दर्शन करते हैं। इस स्थान का भी बहुत महत्व है। सोमवार और नवरात्रि के मौके पर तीर्थयात्री यहां अपनी मनोकामनाएं लेकर पहुंचते हैं।

कोतवालेश्वर महादेव मंदिर

कोतवालेश्वर महादेव मंदिर लखनऊ के चौक चौराहे के समीप है। यह चौक कोतवाली के बिल्कुल बराबर में है। मंदिर में पूरा दिन भक्त दर्शन पूजन कर सकते हैं। पुजारी ने बताया कि मंदिर किसी भी समय बंद नहीं होगा। सुबह 5 बजे और रात में 8 बजे कोतवालेश्वर महादेव मंदिर में आरती होगी। आरती के बाद ही बाबा का श्रृंगार होगी। इसमें भी भक्त शामिल हो सकते हैं।

गढ़ मुक्तेश्वर धाम

उत्तर प्रदेश के हापुड़ जिले में गंगा नदी के किनारे गढ़ मुक्तेश्वर धाम स्थित है। यहां प्राचीन शिवलिंग कारखंडेश्वर और मुक्तेश्वर महादेव का मंदिर स्थित है। मान्यता है कि परशुराम ने गढ़मुक्तेश्वर में भगवान शिव के मंदिर की स्थापना की थी। यह स्थान वल्लभ संप्रदाय का प्रमुख केंद्र माना जाता है। यहां भी गढ़ मेले के दौरान काफी भीड़ होती है और श्रद्धालु दर्शन के लिए दूर दराज से पहुंचते हैं।

राजेश्वर मंदिर

अगर आप शिव भक्त हैं, तो जरूर आपने आगरा के इस मंदिर के बारे में जरूर सुना होगा, जिसका रंग दिन में तीन बार बदलता है। आपको बता दें, राजेश्वर मंदिर नाम से प्रसिद्ध ये मंदिर, 850 साल पुराना है। आगरा के ताजमहल के अलावा ये मंदिर भी पर्यटकों के लिए सबसे बड़ा आकर्षण है। मान्यता है कि ये शिवलिंग दिन में तीन बार अपना रंग बदलता है। सुबह मंगल आरती के समय, दोपहर की आरती के दौरान हल्का नीला और शाम की आरती के समय गुलाबी रंग जैसा दिखता है। जब तक कोरोना का असर था तब मंदिर में सन्नाटा रहता था, लेकिन अब लोगों की भीड़ आपको यहां अच्छी खासी देखने को मिल जाएगी। यही नहीं यहां लोग शिवरात्रि के मौके पर भी पूजा-अर्चना करने के लिए आते हैं।

लोधेश्वर महादेव मंदिर

कानपुर के प्रसिद्ध लोधेश्वर महादेव मंदिर में प्रतिवर्ष फाल्गुनी मेले में भीड़ देखने को मिलती है। लोग बिठुर और कानपुर से गंगाजल लेकर लोधेश्वर महादेव के दर्शन और जलाभिषेक के लिए पहुंचते हैं। कहा जाता है कि इस मंदिर की स्थापना पांडवों ने अज्ञातवास के दौरान की थी। सावन और महाशिवरात्रि पर भी यहां भक्त पहुंचते हैं।