आज पूरे देश में जैन समुदाय के द्वारा महावीर जयंती का पर्व मनाया जा रहा हैं। जैन समुदाय इस दिन शांति और हर्ष-उल्लास के साथ इस दिन का आयोजन करते हैं। इस दिन महावीर स्वामी की पूजा-अर्चना की जाती हैं। महावीर स्वामी जैन समाज के 24वें तीर्थंकर थे जिन्होनें "अहिंसा परमो धर्म" का सन्देश चारों ओर फैलाया। महावीर स्वामी के पूरे भारत में कई मंदिर हैं जहां महावीर स्वामी की पूजा की जाती हैं। आज महावीर स्वामी में जयंती के दिन हम आपको बताने जा रहे हैं
* अचलगढ तीर्थ : मूलनायक श्री आदेश्वर भगवान, देलवाडा से 4 कि।मी। की दूरी पर यह तीर्थ स्थित है। हरियाली से आच्छादित पहाड़ी की ऊंची चोटी पर श्री आदिनाथ भगवान का चौमुखी मंदिर जगविख्यात है। इस मंदिर का निर्माण राणकपुर तीर्थ के निर्माता श्री धन्नाशाह ने करवाया था।
* दिलवाडा (आबू) तीर्थ : यहां आदेश्वर भगवान हैं, जोकि अरावली पर्वत श्रंखला की गोद में स्थित हैं। आबू पर्वत समुद्रतल से 4000 फीट उंचाई पर स्थित है। देलवाडा मंदिर अपनी शिल्प कला व हस्तकला की कारीगरी के कारण विश्वविख्यात है
* जीरावला तीर्थ :
यहां जीरावला पार्श्वनाथ भगवान का मंदिर है। यहां स्थित प्रतिमा लगभग 2800 वर्ष प्राचीन है। मान्यतानुसार रेत की बनी हुई इस प्रतिमा के दर्शन श्री महावीर स्वामी ने किए थे। 84 गच्छों के आचार्यों ने यहां विशिष्ट मंत्र साधना की।
* शंखेश्वर सुखधाम पोसालिया :
भगवान शंखेश्वर पार्श्वनाथ का यह मंदिर सुमेरपुर सिरोही के मध्य राष्ट्रीय राज मार्ग पर स्थित है।
* पावापुरी : यहां पार्श्वनाथ भगवान जी का मंदिर है। यहां पशुओं को भी जैन पद्धति अनुसार चारा (रात्री-त्याग) दिया जाता है, प्रभु फेरी एवं चिकित्सा सेवा उपलब्ध कराई जाती है। यह पावापुरी तीर्थ जीव मौत्रीधाम के नाम से विख्यात है। सिरोही से 22 कि।मी। की दूरी पर है और सुमेरपुर से 59 कि।मी। दूरी पर है।
ढ़ जाता है।