हिन्दू मान्यता के अनुसार चैत्र शुक्ल पक्ष की पूर्णिमा तिथि को हनुमान जी का जन्म हुआ था। इसी उपलक्ष्य में हनुमान जयंती मनायी जाती है। जिसे पूरे देश में बड़ी श्रद्धा के साथ मनाया जाता हैं। इस दिन हनुमान जी को चमेली के तेल का चौला चढ़ाया जाता हैं। आज के दिन हनुमान जी के मंदिरों में भक्तों को उनके दर्शन की अभिलाषा रहती हैं। हनुमान जी के चमत्कारों को सभी जानते हैं। इसी विश्वास पर पूरे देश में कई भव्य मंदिर बने हुए हैं। आज हम आपको हनुमान जी के प्रसिद्द मंदिरों क बारे में बताने जा रहे हैं। आइये जानते हैं इसके बारे में।
* बड़े हनुमान जी, इलाहाबाद संगम बांध के ठीक नीचे हनुमान जी की एक विशाल मूर्ति है। यह अपने आप में अनोखी इसलिए है क्योंकि इसमें हनुमान जी को लेटे हुए विश्राम की स्थिति में दिखाया गया है। ऐसी मान्यता है कि हर साल बारिश के समय में गंगा जी का जल किनारों को पार करते हुए इस मंदिर तक आता है और हनुमान जी के चरणों का स्पर्श करने के बाद बाढ़ का पानी आगे नहीं बढ़ता बल्कि वहीं से वापस लौटने लगता है।
* हनुमानगढ़ी, अयोध्या धर्म ग्रंथों के अनुसार अयोध्या भगवान श्रीराम की जन्मस्थली है। यहां का सबसे प्रमुख श्रीहनुमान मंदिर हनुमानगढ़ी के नाम से प्रसिद्ध है। यह मंदिर राजद्वार के सामने ऊंचे टीले पर स्थित है। इसमें 60 सीढिय़ां चढऩे के बाद श्रीहनुमानजी का मंदिर आता है। यह मंदिर काफी बड़ा है। मंदिर के चारों ओर निवास योग्य स्थान बने हैं, जिनमें साधु-संत रहते हैं। हनुमानगढ़ी के दक्षिण में सुग्रीव टीला व अंगद टीला नामक स्थान हैं। इस मंदिर की स्थापना लगभग 300 साल पहले स्वामी अभयारामदासजी ने की थी।
* सालासर बालाजी, राजस्थान हनुमान जी का यह मंदिर राजस्थान के चूरू जिले में है। गांव का नाम सालासर है, इसलिए सालासर वाले बालाजी के नाम से यह मंदिर प्रसिद्ध है। हनुमान जी की यह प्रतिमा दाड़ी व मूंछ से सुशोभित है। इस मंदिर के चारों ओर यात्रियों के ठहरने हेतु धर्मशालाएं बनी हैं। माना जाता है कि हनुमान जी की यह प्रतिमा एक किसान को ज़मीन जोतते समय मिली थी, जिसे सालासर में सोने के सिंहासन पर स्थापित किया गया है। यहां हर साल चैत्र एवं वैशाख की पूर्णिमा के दिन विशाल मेला लगता है।
* हनुमान धारा, चित्रकूट उत्तर प्रदेश के सीतापुर नामक स्थान के समीप यह हनुमान मंदिर स्थित है और सीतापुर से हनुमान धारा की दूरी तीन किलोमीटर है। पहाड़ के सहारे हनुमानजी की एक विशाल मूर्ति के ठीक सिर के पास दो जल के कुंड हैं, जो हमेशा जल से भरे रहते हैं और उनमें से निरंतर पानी बहता रहता है। इस धारा का जल हनुमानजी को स्पर्श करता हुआ बहता है इसीलिए इसे हनुमान धारा कहते हैं।
* श्री संकटमोचन मंदिर, वाराणसी हनुमान जी का यह मंदिर उत्तर प्रदेश के वाराणसी शहर में स्थित है। इस मंदिर के चारों ओर एक छोटा सा वन है। यहां का वातावरण एकांत, शांत एवं उपासकों के लिए दिव्य साधना स्थली के योग्य है। मंदिर के प्रांगण में श्रीहनुमानजी की दिव्य प्रतिमा स्थापित है। श्री संकटमोचन हनुमान मंदिर के समीप ही भगवान श्री नृसिंह का मंदिर भी स्थापित है। ऐसी मान्यता है कि हनुमानजी की यह मूर्ति गोस्वामी तुलसीदासजी के तप एवं पुण्य से प्रकट हुई स्वयंभू मूर्ति है।