इन ऐतिहासिक किलों के लिए मशहूर हैं राजधानी दिल्ली, घूमने आएं तो जरूर करें इनका दीदार

भारत के सबसे प्रसिद्द पर्यटन स्थलों में से एक हैं राजधानी दिल्ली जहां हर साल देश-विदेश से लाखों पर्यटक यहां पहुंचते हैं। भारत की राजधानी और सबसे महत्वपूर्ण शहर होने के कारण दिल्ली भारत के ऐतिहासिक विरासत स्थलों का केंद्र भी है। दिल्ली भारत की राजधानी है जिसका हजारों साल पुराना इतहास काफी समृद्ध और विस्तृत है, जो प्राचीन या अपने ऐतिहासिक समय में कई राजा महाराजायों की सल्तनत रही है। दिल्ली की सैर करते समय ज्यादातर लोग ऐतिहासिक इमारतों को विजिट करना पसंद करते हैं। ऐसे में आज हम आपको दिल्ली के कुछ प्रसिद्द ऐतिहासिक किलों के बारे में बताने जा रहे हैं जिनका दीदार आपको जरूर करना चाहिए। आइये जानते हैं इन किलों के बारे में...

लाल किला

दिल्ली में स्थित लाल किले का नाम यूनेस्को वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की फेहरिस्त में शुमार है। यमुना नदी के किनारे बसा ये किला लाल बलुआ पत्थर से बना है। जिसका निर्माण 1639 में मुगल बादशाह शाहजहां ने करवाया था। लाल किला साल 1856 तक मुगल बादशाह का निवास स्थान हुआ करता था। वहीं वर्तमान में भी 15 अगस्त को स्वतंत्रता दिवस के मौके पर प्रधानमंत्री लाल किले की प्राचीर से तिरंगा फहराकर आजादी के महोत्सव का आगाज करते हैं। किले के अंदर सबसे महत्वपूर्ण संरचनाएं मुमताज महल, रंग महल, खास महल, हीरा महल, मोती मस्जिद और हम्माम हैं । इस किले में शाम को अद्भुत लाइट एंड साउंड शो भी आयोजित होता हैं जिसमें किले के इतिहास के बारे में बताया जाता है। यह दिल्ली के सबसे लोकप्रिय किलों में से एक है।

पुराना किला

पुराना किला भारत की राजधानी दिल्ली में स्थित एक ऐतिहासिक संरचना है जिसका निर्माण मुगल राजा शाह सूरी द्वारा 1538 के करवाया गया था। आपको बता दें कि यह दिल्ली के प्राचीन किलों में से एक है और इस शहर के राजसी इतिहास को निहारता हुआ एक आकर्षक ऐतिहासिक स्थल है। 2013-14 में भारतीय पुरातत्व सर्वेक्षण द्वारा किए गए सबसे हालिया उत्खनन से इस बात का खुलासा हुआ है कि यह किला पूर्व मौर्य साम्राज्य के समय तीसरी शताब्दी ईसा पूर्व का है। पुराना किला परिसर लगभग पाँच मील के क्षेत्र फैला हुआ है जिसमे प्रवेश करने के लिए तीन द्वार बनाए गए हैं। पुराने किले को दिल्ली का लवर्स प्वाइंट भी कहा जाता है। तीन भव्य दरवाजों से घिरे इस किले की दीवारें 18 मीटर ऊंची हैं। वहीं किले के अंदर शानदार लॉन, शेरमंडल, किला-ए-कुहना मस्जिद और म्यूजियम भी मौजूद है। वहीं पुराना किला की सैर के दौरान आप शाम को लाइट एंड साउंड शो एन्जॉय कर सकते हैं। यदि आप अपनी यात्रा के लिए दिल्ली के ऐतिहासिक स्मारक की तलाश में हैं तो आपको पुराना किला जरूर घूमने जरूर जाना चाहिए।

सलीमगढ़ फोर्ट

सलीमगढ़ का नाम कई खौफनाक चीजों से भी जुड़ा हुआ है। आज के समय में यहां कुछ बैरकों और टूटी-फूटी मस्जिद के ही अवशेष बचे हैं। शेर शाह सूरी के वंशज सलीम शाह ने इसे 1546 ईस्वी में बनवाया था और उन्हीं के नाम पर इसका नाम सलीम गढ़ का किला रख दिया गया था। औरंगजेब और ब्रिटिशर्स ने इस किले का इस्तेमाल कैदियों को यातना और फांसी देने के लिए किया। 1857 में ये किला अंग्रेज सैनिकों की छावनी बन गया था। ऐसे में दिल्ली की सैर के दौरान आप सदियों पुराने इस किले का भी दीदार कर सकते हैं।

तुगलकाबाद किला

तुगलकाबाद किला दिल्ली के प्रमुख आकर्षणों में से एक है, जिसे गयास-उद-दीन तुगलक द्वारा बनवाया गया था, जो तुगलक वंश का शासक था। किले का निर्माण मंगोलों के तुगलक साम्राज्य की रक्षा के लिए किया गया था। किले का निर्माण 1321 में किया गया था, लेकिन बाद में 1327 में इसे छोड़ दिया गया था। किला पत्थर से निर्मित एक विशाल संरचना है जिसकी ऊंचाई 10 से 15 मीटर की दीवार है। दीवारों को पैरापेट और बुर्ज के साथ शीर्ष पर रखा गया है। हालांकि किले का बड़ा हिस्सा बर्बाद हो गया है। किले की दीवारों में एक बार महलों, मस्जिदों और दर्शकों के हॉल शामिल थे, लेकिन अब कुछ नहीं बचा है। तुगलकाबाद किले में ऊँची दीवारों, महलों और गढ़ों, के आलावा किले के संस्थापक और प्रथम शासक गियास-उद-दीन तुगलक और उसकी पत्नी और पुत्र का मकबरा भी है। तुगलकाबाद का किला तुगलक वंश की अनूठी और गंभीर शैली को दर्शाता है जिन्होंने लगभग सौ वर्षों तक दिल्ली में शासन किया है।

सिरी फोर्ट

सिरी किले का नाम ‘सिर’ शब्द से निकला है। ऐतिहासिक कहानियों के अनुसार अलाउद्दीन खिलजी ने सिरी फोर्ट बनवाते समय इसकी नींव में 8000 से ज्यादा मंगोल सैनिकों के सिर गाड़े थे। जिसके बाद से इसे सिरी फोर्ट कहा जाने लगा था। किले में शुरू में महल और कई अन्य संरचनाएं शामिल थीं, लेकिन आज ज्यादातर किले, प्राचीर और दक्षिणपूर्व द्वार को छोड़कर यह सब बर्बाद हो गया है। किला आज भी पर्यटकों को उन महलों के बारे में याद दिलाता है जो कभी यहां स्थित थे, जिनमें गहने और कीमती पत्थर खुदे हुए थे। पूरा सिरी शहर दिल्ली का दूसरा शहर था और आज किले के अंदर ध्वस्त शहर के कुछ हिस्से देखे जा सकते हैं।

किला राय पिथौरा

किले का निर्माण पृथ्वीराज चौहान ने करवाया था जिसे राय पिथौरा भी कहा जाता है। किले का निर्माण सबसे पहले अनंगपाल ने शुरू किया था जो एक तोमर शासक थे और बाद में पृथ्वीराज चौहान ने इसे जारी रखा और पूरा किया। किले में 7 द्वार हैं- सोहना, रंजीत, गजनी, हौज रानी, ​​बुदुआं और माया। 12वीं और 13वीं शताब्दी में इस किले पर तोमर, चौहान और गुलाम वंश का शासन था। किले में पृथ्वीराज चौहान की मूर्तियां भी हैं। सोहना गेट में कभी एक सूर्य मंदिर और किले के अंदर 27 हिंदू और जैन मंदिर हुआ करते थे। आज किले का लगभग प्रमुख हिस्सा नई दिल्ली में साकेत और महरौली के क्षेत्रों में खंडहर में है।