उत्तर भारत में घूमने के लिए आपको कई जगहें मिल जाएगी जिसमें से एक हैं पंजाब का लुधियाना जिसे उद्योगों का घर भी कहा जाता हैं। अपनी ऐतिहासिक, धार्मिक, सांस्कृतिक महत्ता के चलते यह सभी का ध्यान अपनी ओर खींचता हैं। यहां आपको एक से बढ़कर एक दर्शनीय स्थल देखने को मिलेंगे जो हमेशा के लिए आपके जहन में बस जाएंगे। इसी के साथ यहां के भोजन का स्वाद भी सभी को यहां आने पर मजबूर कर देता हैं। लुधियाना को अपनी मेहमान नवाजी के लिए जाना जाता है और इसके चलते सभी यहां दोबारा घूमने जाना पसंद करते हैं। इसलिए आज इस कड़ी में हम आपको लुधियाना के प्रमुख स्थलों के बारे में जानकारी देने जा रहे हैं जहां घूमने जाया जा सकता हैं। आइये जानते हैं इन स्थलों के बारे में...
लोधी किला लोधी किला पंजाब में लुधियाना के आसपास के किलों में से एक है। स्थानीय रूप से पुराना किला के रूप में जाना जाने वाली, यह भव्य संरचना अब खंडहर में बदल चुकी है, लेकिन फिर भी अपनी सदियों पुरानी सुंदरता से पर्यटकों को मंत्रमुग्ध कर देती है। खंडहर में तब्दील होने के बावजूद, यह स्थान अभी भी मुगल काल की खूबसूरत वास्तुकला को दर्शाता है, जिसने इसे लुधियाना के दर्शनीय स्थलों में से एक बना दिया है।
फिल्लौर किला फिल्लौर किला लुधियाना में घूमने के पर्यटकों द्वारा पसंद किया जाने वाला एक बेहतरीन जगह है। यह किला दीवान मोकम चांद जोकि महाराजा रणजीत सिंह के सेनापति थे के द्वारा डिजाइन किया गया एक खूबसूरत वास्तुशिल्प वाला किला है। यह किला देखने में काफी ज्यादा आकर्षक एवं अद्भुत लगता है। इसे अपनी लुधियाना के यात्रा के दौरान आप विजिट कर सकते हैं यकीनन आपको यह किला पसंद आएगा।
महाराजा रणजीत सिंह संग्रहालयअगर आप लुधियाना सैर के लिए आएं तो महाराणा रणजीत सिंह संग्रहालय जरूर जाएं। ये संग्रहालय जीटी रोड पर स्थित है। और इसका नाम महाराजा रणजीत सिंह के नाम पर रखा गया है। ये संग्रहालय न केवल सैनिकों को श्रद्धांजलि देता है, बल्कि देश की रक्षा के बारे में भारत के नागरिकों को शिक्षित करता है। जैसे ही आप संग्रहालय में एंट्री करते हैं, महाराजा रणजीत सिंह की गर्व से सिंहासन पर बैठी एक शानदार मूर्ति आप का स्वागत करती है। इसमें प्राचीन इतिहास गैलरी, पोस्ट स्वतंत्रता, इतिहास गैलरी, युद्ध नायक की गैलरी, वायु सेना और नौसेना गैलरी जैसे कई हिस्सों के साथ 12 गैलरी हैं। मुख्य हॉल में पंजाब के विभिन्न चक्र विजेता, चीफ मार्शल, जनरलों और एडमिरल्स की तस्वीरें लगी हुई हैं।
आलमगीर आलमगीर गांव लुधियाना के केंद्रीय शहर से लगभग 10 किमी दूर स्थित है। इस गांव का मुख्य आकर्षण श्रीमानजी साहिब गुरुद्वारा है, जिसे आमतौर पर आलमगीर गुरुद्वारा के नाम से जाना जाता है। सिख धर्म की ऐतिहासिक पृष्ठभूमि में इस स्थान का बहुत महत्व है। श्री मांजी साहिब का लंगर हॉल सभी सिख धर्मस्थलों के सबसे बड़े लंगर हॉल में से एक है, जिसमें एक बार में सैकड़ों लोगों को मुफ्त सेवा देने की क्षमता है। अन्य सभी सिख तीर्थ स्थलों की तरह, आलमगीर गुरुद्वारा सर्वोच्च स्वच्छता और शांति प्रदान करता है। गुरुद्वारा मंजी साहिब एक तीर्थस्थल होने के साथ-साथ एक पर्यटन स्थल भी है।
टाइगर सफारी टाइगर सफारी लुधियाना में स्थित लोगों द्वारा पसंद किया जाने वाला लुधियाना के एक प्रमुख पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता है। यह टाइगर सफारी प्राकृतिक प्रेमी द्वारा काफी अधिक पसंद किया जाता है। यहां पर जाने के उपरांत आप अलग-अलग प्रजाति के जीव-जंतुओं को काफी करीब से देख सकते हैं। यह टाइगर सफारी घूमने आप अपने परिवार और बच्चों के साथ जा सकते हैं। यकीनन यह आपको और आपके परिवार द्वारा काफी अधिक पसंद आएगा।
नेहरू रोज गार्डननेहरू रोज गार्डन की स्थापना 1967 में हुई थी। ये जगह परिवार और बच्चों के साथ पल बिताने के लिए सबसे अच्छी है। रोज गार्डन एशिया का सबसे बड़ा पार्क है। यह गार्डन 27 एकड़ में फैला है, और यहां 17000 पौधे हैं, जिनमें गुलाब की 1600 से ज्यादा किस्में है। यहां पर हर साल रोज फेस्टिवल मनाया जाता है जिसको देखने दूर-दूर से हजारों पर्यटक यहां आते हैं।
हार्डीज वर्ल्ड एम्यूजमेंट पार्क यह वाटर थीम वाला पार्क रोलर कोस्टर, सन एंड मून, पेंडुलम और मोटरसाइकिल जैसी 20 से अधिक रोमांचक सवारी के साथ एडवेंचर प्रेमियों के बीच बेहद लोकप्रिय है। लुधियाना से 7 किमी दूर स्थित, यह पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण वाटर थीम वाला पार्क है। यह लुधियाना-जालंधर राजमार्ग पर पार्कलैंड के एक बड़े क्षेत्र में बसा हुआ है। लुधियाना से 7 किमी दूर स्थित, यह पंजाब का सबसे महत्वपूर्ण वाटर-थीम पार्क है। पार्क को दो में विभाजित किया गया है- ड्राई और वाटरपार्क, जिसमें सभी आयु वर्ग के लिए कुछ न कुछ मौजूद जरूर है।
गुरुद्वारा चरनकवल साहिब माछीवाड़ा गुरुद्वारा चरनकवल साहिब पंजाब राज्य के लुधियाना में स्थित एक सुंदर वास्तुकाला वाला लुधियाना-चंडीगढ़ हाईवे से जुड़ा हुआ एक गुरुद्वारा है। यहां पर दिसंबर माह के दौरान एक वार्षिक मेला का आयोजन किया जाता है। बताया जाता है कि गुरु गोविंद सिंह के द्वारा औरंगजेब की सेना का विरोध किया जाने पर उनके द्वारा हमला करने पर माछीवाड़ा के जंगल में भाग गए और वह यहीं पर एक पेड़ के नीचे आराम किया था। इस गुरुद्वारा को विजिट करने पर्यटक भी जाया करते हैं।