अधिकांश लोगों को पता नहीं हैं सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ी ये दिलचस्प बातें, आइये जानें

भारत देश को अपने मंदिरों के लिया जाना जाता हैं जहां कुछ मंदिर पूरे विश्व में प्रसिद्द हैं। ऐसा ही एक मंदिर भारत की आर्थिक राजधानी मुंबई शहर में स्थित हैं प्रथम पूजनीय भगवान श्री गणेश का। इसे सिद्धिविनायक मंदिर के नाम से जाना जाता हैं। सिद्धिविनायक को नवसाचा गणपति या नवसाला पावणारा गणपति के नाम से भी बुलाते हैं। इस मंदिर के प्रति भक्तों की बहुत आस्था हैं जहां हर दिन हजारों भक्तगण दर्शन को पहुंचते हैं। यहां दर्शन करने के लिए बॉलीवुड स्टार से लेकर नेता, बड़े उद्योगपतियों का आगमन भी होता है। आज इस कड़ी में हम आपको सिद्धिविनायक मंदिर से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातों की जानकारी लेकर आए हैं जो अधिकांश लोगों को पता नहीं हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

मूर्ती मंडप की बनावट

मंदिर के बारे में बताया जाता है कि सिद्धिविनायक मंदिर की मूल संरचना पहले काफी छोटी थी। साथ ही मंदिर की प्रारंभिक संरचना सिर्फ ईटों की बनी हुई थी, जिसका गुंबद आकार का शिखर भी था। बाद में इस मंदिर का पुननिर्माण कर आकार को बढ़ाया गया। इस मंदिर के अंदर एक छोटे मंडपम में भगवान गणेश के सिद्धिविनायक रूप की प्रतिमा प्रतिष्ठापित की गई है। सूक्ष्म शिल्पाकारी से परिपूर्ण गर्भगृह के लकड़ी के दरवाजों पर अष्टविनायक को प्रतिबिंबित किया गया है। जबकि अंदर की छतें सोने की परत से सुसज्जित हैं।

कैसा है मूर्ति का स्वरूप

गर्भ गृह में भगवान गणेश की प्रतिमा अवस्थित है। उनके ऊपरी दाएं हाथ में कमल और बाएं हाथ में अंकुश है और नीचे के दाहिने हाथ में मोतियों की माला और बाएं हाथ में मोदक (लड्डुओं) भरा कटोरा है। गणपति के दोनों ओर उनकी दोनों पत्नियां रिद्धि और सिद्धि मौजूद हैं जो धन, ऐश्वर्य, सफलता और सभी मनोकामनाओं को पूर्ण करने का प्रतीक है। मस्तक पर अपने पिता शिव के समान एक तीसरा नेत्र और गले में एक सर्प हार के स्थान पर लिपटा है। सिद्धिविनायक का विग्रह ढाई फीट ऊंचा होता है और यह दो फीट चौड़े एक ही काले शिलाखंड से बना होता है।

सिद्घिविनायक गणेश जी बने सिद्धपीठ

आमतौर पर बाईं तरफ मुड़ी सूड़ वाली गणेश प्रतिमा की ही प्रतिष्ठापना और पूजा-अर्चना करने का महात्म्य माना जाता है। इसके बावजूद दायीं ओर मुड़ी सूंड़ वाले गणपति की प्रतिमा की पूजा का भी अलग महत्व होता है। दाहिनी ओर मुड़ी सूड़ वाली गणेश प्रतिमाएं सिद्ध पीठ की होती हैं और मुंबई के सिद्धिविनायक मंदिर में गणेश जी की जो प्रतिमा है, उसकी सूंड़ भी दायीं ओर ही है, यानी यह मंदिर भी सिद्ध पीठ ही कहलायेगा। सिद्घिविनायक गणेश जी का सबसे लोकप्रिय रूप है। कहते हैं कि सिद्धि विनायक की महिमा अपरंपार है, वे भक्तों की मनोकामना को तुरंत पूरा करते हैं। मान्यता है कि ऐसे गणपति बहुत ही जल्दी प्रसन्न होते हैं और उतनी ही जल्दी कुपित भी होते हैं।

मंदिर परिसर का स्वरुप

वर्तमान सिद्धि विनायक मंदिर की इमारत पांच मंजिला है। जिसमें प्रवचन ग्रह, गणेश संग्रहालय व गणेश पीठ के अलावा दूसरी मंजिल पर अस्पताल भी है, जहां रोगियों की मुफ्त चिकित्सा की जाती है। इसी मंजिल पर रसोईघर है, जहां से एक लिफ्ट सीधे गर्भग्रह में आती है। गणपति के लिए निर्मित प्रसाद व लड्डू इसी रास्ते से आते हैं। नवनिर्मित मंदिर के 'गभारा ’ यानी गर्भग्रह को इस तरह बनाया गया है ताकि अधिक से अधिक भक्त गणपति का सभामंडप से सीधे दर्शन कर सकें। पहले मंजिल की गैलरियां भी इस तरह बनाई गई हैं कि भक्त वहां से भी सीधे दर्शन कर सकते हैं। अष्टभुजी गर्भग्रह तकरीबन 10 फीट चौड़ा और 13 फीट ऊंचा है। गर्भग्रह के चबूतरे पर स्वर्ण शिखर वाला चांदी का सुंदर मंडप है, जिसमें सिद्धि विनायक विराजते हैं। गर्भग्रह में भक्तों के जाने के लिए तीन दरवाजे हैं, जिन पर अष्टविनायक, अष्टलक्ष्मी और दशावतार की आकृतियां चित्रित हैं।

चांदी के चूहे

मंदिर के अंदर चांदी से बने चूहों की दो बड़ी मूर्तियां भी हैं मान्यता है कि जो भी श्रद्धालु उनके कानों में अपनी मनोकामनाएं बताते हैं तो चूहे आपका संदेश भगवान गणेश तक पहुंचाते हैं। इसलिए यह धार्मिक क्रिया करते हुए आपको बहुत से श्रद्धालु मंदिर में दिख सकते हैं।

कैसे हुआ निर्माण

गणपति बप्पा के सिद्धिविनायक मंदिर का निर्माण 19 नवंबर 1801 को एक लक्ष्मण विथु पाटिल नाम के एक स्थानीय ठेकेदार द्वारा किया गया था। बहुत कम लोग इस बात को जानते हैं कि इस मंदिर के निर्माण में लगने वाली धनराशि एक कृषक महिला ने दी थी, कहा जाता है कि उस महिला के कोई संतान नहीं थी, उस महिला ने बप्पा के मंदिर के निर्माण के लिए मदद करने की इच्छा जताई थी। वह चाहती थी कि मंदिर में आकर भगवान के आर्शीवाद पाकर कोई महिला बांझ न रहे, सबको संतान प्राप्ति हो। इस मंदिर की विशेषता यह है कि इस मंदिर के द्वार हर धर्म के लोगों के लिए खुले रहते हैं यहां किसी तरह की कोई मनाही नहीं है।

अमीर मंदिर

सिद्धिविनायक मंदिर की गिनती भारत के सबसे अमीर मंदिरों में की जाती है। करीब 50 करोड़ रुपये की वार्षिक आय के साथ मुंबई का सिद्धिविनायक मंदिर, महाराष्ट्र का दूसरा सबसे अमीर मंदिर है। सिद्धिविनायक मंदिर के 125 करोड़ रुपये फिक्स्ड डिपॉजिट में जमा है। मंदिर अपने मशहूर फिल्मी भक्तों के कारण भी प्रसिद्ध है। श्री सिद्धिविनायक मंदिर ट्रस्ट चढ़ावे के रूप में करीब 10-15 करोड़ रुपये प्रतिवर्ष पाता है।

कब जाएं सिद्धिविनायक मंदिर

हालांकि इस मंदिर में रोजाना ही बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं लेकिन मंगलवार के दिन यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं। मंगलवार को यहां इतनी भीड़ होती है कि लाइन में चार-पांच घंटे खड़े होने के बाद दर्शन हो पाते हैं। हर साल गणपति पूजा महोत्सव यहां भाद्रपद की चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक विशेष समारोह पूर्वक मनाया जाता है। इस मंदिर में अंगारकी और संकाष्ठि चतुर्थी के दौरान बड़ी संख्या में श्रद्धालु पहुंचते हैं।