दीवाली या दीपावली का शुमार भारत के उन त्योहारों में है जो देश के अलावा दुनिया भर के पर्यटकों को अपनी तरफ आकर्षित करता है। दिवाली भारत का वो त्योहार है जो अपनी विविधता और विशेषता के चलते सांस्कृतिक दृष्टि से बेहद महत्त्वपूर्ण है। अब सबसे जरूरी बात यदि आप दिवाली पर घूमने का प्लान बना रहे हैं तो इस बात का ख्याल रखियेगा कि आप दिवाली का भरपूर मज़ा तभी ले पाएंगे जब आप इस त्योहार में खुद अपनी उपस्थिति दर्ज करा रहे हैं। आज हम आपको बताने जा रहे हैं भारत के उन डेस्टिनेशनसे के बारे में जहां मनाई जाने वाली दिवाली अपने में जुदा और अनूठी है और जहां आपको अपने जीवन काल में एक बार अवश्य जाना चाहिए। तो आइये जानते हैं उन डेस्टिनेशन के बारे में।
# दिल्ली यदि आप दिल्ली की यात्रा का प्लान कर रहे हैं तो आप दिवाली के दौरान यहां आएं। इस दौरान इस शहर में ऐसा बहुत कुछ होता है जो किसी भी व्यक्ति को अपनी तरफ आकर्षित कर सकता है। यहाँ कई तरह के मेलों का आयोजन किया जाता हैं। जिसमें डिफेन्स कॉलोनी दिवाली मेला, दस्तकार रौशनी का त्यौहार, ब्लाइंड स्कूल मेला, सिलेक्ट सिटी वॉक दिवाली मेला, सुंदर नगर दिवाली मेला प्रसिद्द हैं।
# वाराणसी वाराणसी को बनारस और काशी जैसे अन्य नामों से भी जाना जाता है। यह शहर, दुनिया में सबसे प्राचीन और निरंतर आगे बढ़ने वाला शहर है। इस शहर को भगवान शिव की नगरी कहा जाता है। दिवाली के दौरान यहां के सजे हुए खूबसूरत घाट किसी भी व्यक्ति विशेष का मन मोह सकते हैं। तो इसको जानने के बाद हमारा यही सुझाव है कि आप अपनी काशी यात्रा को दिवाली में प्लान करें।
# जयपुर भारत के सबसे पुराने शहरों में शुमार और वर्तमान में पिंक सिटी के नाम से मशहूर जयपुर वर्तमान में राजस्थान राज्य की राजधानी है। इस शहर का शुमार भारत के उन शहरों में है जिन्हें वास्तुशास्त्र को ध्यान में रखकर स्थापित किया गया था। दिवाली के दौरान इस शहर की खूबसूरती ऐसी होती है कि इसे शब्दों में नहीं बांधा जा सकता। दिवाली के आसपास इस खूबसूरत शहर का कोना कोना रंगीन और रौशनी से नहाया रहता है। आपको बताते चलें कि दिवाली के दौरान शहर और उसके आसपास कई छोटे बड़े मेलों का भी आयोजन किया जाता है। कुल मिलाकर कहा जा सकता है कि जयपुर घूमने का असली मज़ा तब है जब आप यहां दिवाली के दौरान आ रहे हों।
# कोलकत्ता अपनी विविधता, विशेषता, साहित्य और संगीत के अलावा त्योहारों के मामलों में भी कोलकाता हमेशा ख़ास रहा है। कोलकाता जिसे पहले कलकत्ता के नाम से जाना जाता था अंग्रेजों के ज़माने से ही हमारे देश का सांस्कृतिक केंद्र रहा है। दुर्गा पूजा, दीवाली और दशहरे के कुछ ही दिनों पहले मनाई जाने वाली काली पूजा जैसे त्योहारों को मनाने के तरीके और उनके द्वारा अपने घरों को सजाने के तरीके से उनके कला प्रेम के स्पष्ट सबूत मिलते हैं।