कोरोना महामारी के करीब दो साल बाद चार धाम यात्रा 3 मई 2022 से वापस शुरू हुई तो यात्रियों की भीड़ लग गई। दुखद बात ये है कि इस साल अब तक 44 लोगों की मौत हो चुकी है। केदारनाथ में 18, यमुनोत्री में 14, बद्रीनाथ में 8 और गंगोत्री में 4। जानकारी के मुताबिक, इसके पहले भी 2019 में 90, 2018 में 102, 2017 में 112 श्रद्धालुओं की मौत चार धाम यात्रा के दौरान हुई थी। ऐसे में सवाल उठता है कि आखिरकार इन मौतों के पीछे की वजह क्या है? क्या पहाड़ों की क्षमता लोगों के अनुपात में कम है? क्या वहां जाने वाले सभी लोगों के फेफड़ों में उनके हिस्से की हवा नहीं मिल रही है? या फिर लोग अपनी सेहत से जुड़ी परेशानियों को नजरअंदाज कर यात्रा कर रहे हैं।
दरअसल, पहाड़ों पर जाते समय खासतौर से धार्मिक यात्राओं के समय लोग आस्था और जल्दबाजी के चक्कर में सेहत का ख्याल नहीं रखते। जबकि, उन्हें अपनी शारीरिक क्षमता के अनुसार ही पहाड़ों पर यात्रा करनी चाहिए। साइंटिस्ट और एक्सपर्ट्स कहते हैं कि पहाड़ों पर जाने से पहले शरीर को एक्लीमेटाइज करना होता है। यानी पहाड़ी जलवायु के हिसाब से अपने शरीर को ढालना होता है। हालाकि, यह आसान काम नहीं है। क्योंकि लोगों के पास काफी कम समय होता है और कम समय में जल्दी जाकर, जल्दी लौटना भी होता है। इसलिए कोई इस बात पर ज्यादा ध्यान नहीं दिया जाता है। दूसरी है आपकी सेहत। सांस संबंधी दिक्कत हो, ब्लड प्रेशर हो या दिल संबंधी कोई भी परेशानी हो या फिर शरीर में हीमोग्लोबिन की कमी हो। तब आपको पहाड़ों की यात्रा से बचना चाहिए... या फिर एक्सपर्ट्स की सलाह के बाद ही यात्रा करनी चाहिए।
चारधाम यात्रा में चार जगहों की यात्रा की जाती है। गंगोत्री, यमुनोत्री, बद्रीनाथ और केदारनाथ। भागीरथी नदी के पास स्थित गंगोत्री की ऊंचाई समुद्र तल से 3100 मीटर है। यमुना नदी का उद्गम स्थल यमुनोत्री 3293 मीटर की ऊंचाई पर है। बद्रीनाथ की ऊंचाई 3300 मीटर है। जबकि, केदारनाथ की ऊंचाई 3583 मीटर है। दिल्ली की समुद्र तल से ऊंचाई 300 मीटर है।
एक दिन सिर्फ 1000 मीटर चढ़ना चाहिए IIT रुड़की (IIT Roorkee) के सेंटर ऑफ एक्सीलेंस इन डिजास्टर मिटिगेशन एंड मैनेजमेंट के ग्लेशियर एक्सपर्ट और हिमालयी क्षेत्रों के जानकार प्रवीण कुमार सिंह ने बताया कि अमेरिका और यूरोपीय देशों में पहाड़ों पर जाने वालों के लिए मेडिकल रिकमंडेशन दिए हैं कि 24 घंटे में कम से कम 500 मीटर और अधिकतम 1000 मीटर की ऊंचाई पूरी करनी चाहिए। लोग चारधाम जैसी यात्राओं में जल्दबाजी करते हैं। कम समय में जल्दी दर्शन करने की सोचते है। इस दौरान वो कभी भी अपनी सेहत का ध्यान नहीं रखते। शरीर को पहाड़ों के अनुसार एक्लीमेटाइज करना बेहद जरूरी होता है। अगर आप 500 से 1000 मीटर जाते हैं। तो वहां एक दिन या रात रुक कर थोड़ी ट्रेकिंग करनी चाहिए। ताकि शरीर पहाड़ी जलवायु के अनुसार खुद को एडजस्ट कर लें।
प्रवीण सिंह ने सलाह दी है कि चारधाम यात्रा करने वालों को रुद्रप्रयाग या गौरीकुंड या देवप्रयाग में एक रात या एक दिन रुक कर शरीर को एडजस्ट करना चाहिए। पहाड़ों पर अगर बारिश होती है, तो ह्यूमेडिटी बढ़ जाती है। ऐसे में ऑक्सीजन की कमी बढ़ जाती है। कोरोना काल में सबकी फिटनेस खराब हो चुकी है। सांस संबंधी परेशानी हो रही हैं। इसकी वजह से ऊंचाई पर जाने में परेशानी आती है। जब ऑक्सीजन कम मिलती है तो दिल का काम तेजी से बढ़ जाता है। ब्लड प्रेशर बढ़ता है, इससे काफी ज्यादा नुकसान होता है।
2000 मीटर की ऊंचाई पर जाकर 2-3 दिन रुके
नेहरू इंस्टीट्यूट ऑफ माउंटेनियरिंग से पर्वतारोहण की ट्रेनिंग प्राप्त वैज्ञानिक डॉ भानु प्रताप कहते हैं कि पहाड़ी यात्राओं से पहले शरीर को वहां की जलवायु के हिसाब से एडजस्ट करना बेहद जरूरी है। अगर आपको 4000 मीटर की ऊंचाई पर जाना है तो कम से कम 2000 मीटर की ऊंचाई पर जाकर 2-3 दिन रुके। वहां ट्रेकिंग करे। वहां के जलवायु के साथ शरीर को एडजस्ट करें।
पहाड़ पर जाने से पहले मेडिकल जांच जरुरीदिल्ली के बत्रा हॉस्पिटल स्थित कार्डियोलॉजिस्ट डॉ नबजीत तालुकदार ने कहा कि ऊंचाई वाले स्थान पर ब्लड प्रेशर की समस्या का सामना करना पड़ सकता है। अगर सांस संबंधी परेशानी है तो आपको हाई-एल्टीट्यूड एडिमा होने की आंशका बनी रहती है। पहाड़ों पर जाने वाले लोग 40-50 हजार रुपये यात्रा में खर्च करते हैं। लेकिन उससे पहले कुछ पैसे खर्च कर मेडिकल जांच नहीं कराते। पहाड़ पर पला-बढ़ा व्यक्ति और मैदानी इलाकों के इंसान की शारीरिक क्षमता में अंतर होता है। ऊंचाई पर हवा पतली होती है। ऑक्सीजन की कमी होती है।
ट्रेडमिल टेस्ट बेहद जरूरीडॉ नबजीत तालुकदार ने कहा कि लोगों को जाने से पहले ट्रेडमिल टेस्ट यानी टीएमटी टेस्ट कराना चाहिए। अगर इस टेस्ट में रिजल्ट 7 से 8 मेटोबोलिक इक्विवैलेंट होता है जो वह ट्रेकिंग पर जा सकता है। अगर इससे कम है तो नहीं जाना चाहिए। सामान्य इंसान को एक दिन में 500 मीटर से ज्यादा नहीं चढ़ना चाहिए। अगर कोई एथलीट बॉडी का है तो भी उसे 24 घंटे में 1000 मीटर से ज्यादा की ऊंचाई पर नहीं चढ़ना चाहिए। हीमोग्लोबिन लेवल सही होना चाहिए। दमा या फेफड़े की बीमारी नहीं होनी चाहिए।
धूम्रपान और मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करेंएक्सपर्ट्स कहते है कि पहाड़ी क्षेत्रों में जाने पर धूम्रपान और मादक पदार्थों के सेवन से परहेज करें। तेज धूप से बचने के लिए सनस्क्रीन SPF 50 का उपयोग करें। इसके अलावा यूवी किरणों से बचने के लिए सनग्लासेस का उपयोग करें। चढ़ाई के दौरान पानी पीते रहें और भूखे पेट न रहें। एक साथ लंबी दूरी तक न चलें, बीच-बीच में आराम भी करें।
ठंड के मौसम के मुताबिक कपड़े लेकर जाएएक्सपर्ट्स कहते है कि पहाड़ों पर मौसम अक्सर बदलता रहता है। कभी बहुत गर्मी पड़ती है तो कभी बहुत ठंड। कई बार दिन में गर्मी तो शाम होते-होते ठंड होने लगती है। ऐसे में अगर लोग ठंड के मौसम के मुताबिक कपड़े लेकर नहीं जाएंगे तो बीमार पड़ सकते हैं। इसलिए हमेशा सर्दी का ख्याल रखते हुए गर्म और ऊनी कपड़े भी साथ रखें। पहाड़ों में बारिश भी अचानक हो सकती है इसलिए रेनकोट समेत जरूरी चीजें भी साथ में रखें।