देश के इन खूबसूरत चर्च में सेलिब्रेट कर सकते हैं क्रिसमस का फेस्टिवल

हर साल 25 दिसंबर को क्रिसमस का फेस्टिवल सेलिब्रेट किया जाता हैं। इस दिन प्रभु यीशु का जन्म हुआ है। यह ईसाइयों के महत्वपूर्ण त्योहारों में से एक हैं जिसे पूरी दुनिया में मनाया जाता हैं। इस दिन गिरिजाघरों में पूरी रात प्रार्थना, सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। क्रिसमस की रात को गिरिजाघरों की खूबसूरती देखने लायक रहती है। भारत में कई ऐसे खूबसूरत और मशहूर चर्च हैं, जिन्हें देखने के लिए लोग देश ही नहीं विदेश से भी यहां आते हैं। आज इस कड़ी में हम आपको देश के कुछ ऐसे भव्य और प्रसिद्द चर्च के बारे में बताने जा रहे हैं जिनकी खूबसूरती देख यकीनन आपको खुशी मिलेगी। आइये जानते हैं इन चर्च के बारे में...

क्राइस्ट चर्च, शिमला

हिल्स क्वीन शिमला के रिज मैदान पर स्थित है ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च। ये उत्तरी भारत में दूसरा सबसे पुराना चर्च है, जिसकी खूबसूरती आज बी लोगों को बेहद लुभाती है। साल 1857 में नियो गोथिक कला में बना ये चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिशन कम्युनिटी के लिए बनाया गया था, जिसे उस वक्त सिमला कहते थे। ये चर्च काफी किलोमीटर दूर से एक ताज की तरह दिखाई देता है। इस चर्च में 5 बड़ी खिड़कियां लगी हुई है। ये खिड़कियां ईसाई धर्म के विश्वास, उम्मीद, परोपकार, धैर्य और विनम्रता का प्रतीक है। ये हर रविवार को खुला रहता है। हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी इस चर्च को देखने और प्रार्थना करने आते हैं।

ऑल सेंट्स कैथेड्रल, इलाहाबाद

इलाहाबाद हिंदुओं की धार्मिक नगरी है, लेकिन इलाहाबाद स्थित 'चर्च ऑफ स्टोन्स' के नाम से प्रसिद्ध ऑल सेंट्स कैथेड्रल चर्च भी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस चर्च को 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने गोथिक शैली में बनवाया था। इसकी डिजाइन तैयार की थी, प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार 'विलियम इमरसन' ने, जिसने इससे पहले कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल की डिजाइन तैयार की थी। अपनी खूबसूरती के साथ-साथ इलाहाबाद का चर्च अपनी विशालता के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस चर्च में एक साथ 400 लोग बैठ कर प्रार्थना कर सकते हैं।

सेंट पॉल कैथेड्रल, कोलकाता

कोलकाता को सिटी ऑफ जॉय के नाम से जाना जाता है। शहर की खासियत है कि यहाँ पर आपको सभी चीजें एक जगह पर मिल जाती हैं। फिर चाहे वो म्यूजियम हो या धर्म से जुड़ी कोई जगह। कोलकाता का सेंट पॉल कैथेड्रल एशिया का पहला एपिस्कोपालियन चर्च होने का गौरव मिला हुए है। ये चर्च कोलकाता के एकदम बीच में बना हुआ है। अंग्रेजों द्वारा बनवाए गए इस चर्च की वास्तुकला भारतीय और गोथिक आर्किटेक्चर का बेहतरीन मिश्रण है। इस चर्च की असल खूबसूरती देखने के लिए आपको क्रिसमस के समय कोलकाता आना चाहिए। इस समय ये चर्च चमकदार रोशनी में नहाया हुआ रहता है। खास बात ये भी है कि इस चर्च में सभी धर्म के लोगों को आने की अनुमति है। भारत के सबसे पुराने और खूबसूरत चर्च में से एक सेंट पॉल कैथेड्रल को आपको जरूर देखना चाहिए।

सेंट एंड्रयूज बेसिलिका चर्च, केरल

भारत में कई ऐसे चर्च हैं, जिन्हें देखकर आपका दिल खुश होता है। इसी में से एक चर्च है सेंट एंड्रयूज बेसिलिका चर्च। इसे सेंट सेबेस्टियन का सबसे बड़ा चर्च माना जाता है। इस चर्च को पुर्तगालियों ने 16वीं शताब्दी में बनाया था। ये चर्च केरल में स्थित है और सेंट सेबेस्टियन इंटरनेशनल आर्थरनल में श्राइन के रूप में जाना जाता है। यहां हर साल काफी संख्या में पर्यटक पहुंचते हैं, और इसकी खूबसूरती और इतिहास के बारे में जानते हैं।

वेलंकन्नी चर्च, तमिलनाडु

इस चर्च को ‘बेसिलिका ऑफ आवर लेडी ऑफ गुड हेल्थ’ के नाम से जाना जाता है। 16वीं शताब्दी में इस चर्चा का निर्माण एक झोपड़ी की तरह किया गया था लेकिन बाद में साल 1771 में ये एक परीश चर्च बन गई। ये चर्च सुबह पांच बजे से लेकर शाम को नौ बजे तक खुला रहता है। इस दौरान दिन के समय अलग-अलग समयों में तमिल, मलयालम और अंग्रेजी में सामूहिक प्रार्थनाएं की जाती हैं। इस चर्च में सितंबर में होने वाले फेस्ट और क्रिसमस के दौरान बड़ी संख्या में तीर्थयात्री आते हैं।

वल्लार्पदम चर्च, केरल

केरल राज्य के एर्नाकुलम स्थित 'आवर लेडी ऑफ रैनसम' चर्च अपनी भव्यता और खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस चर्च में हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यह पर्यटक ना केवल केरल राज्य के होते हैं, बल्कि अन्य राज्यों से भी भारी मात्रा में पर्यटक इस चर्च में प्रार्थना के लिए आते हैं। इस चर्च को लेकर कहा जाता है कि इसका निर्माण 1524 ई। में पुर्तगालियों द्वारा कराया गया था, लेकिन 1676 में बाढ़ के कारण यह चर्च टूट गया। इसके बाद इस चर्च का पुनः निर्माण कराकर1951 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय तीर्थस्थल घोषित कर दिया।

बेसिलिका ऑफ बॉम जीजस, गोवा

शायद को कोई होगा जिसने आपकी गोवा ट्रिप में इस चर्च को नहीं देखा होगा। वैसे तो गोवा में तमाम गिरजाघर हैं लेकिन ये चर्च उन सबमें सबसे खास है। इस चर्च का निर्माण 1594 में शुरू किया गया था। 11 सालों की मेहनत के बाद ये चर्च आखिरकार 1605 में बनकर तैयार हो पाया। इस चर्च की बनावट बरोक आर्किटेक्चर के नक्शे पर की गई है जिससे इसको एक अलग पहचान मिलती है। लगभग 400 साल पुराने इस चर्च को अब यूनेस्को द्वारा विश्व हेरिटेज साइट की सूची में भी शामिल किया जा चुका है। ये गिरजाघर आपको पुराने समय की याद दिलाएगा। जो इसकी सबसे यूनीक चीज है। शायद इसकी इन्हीं सब खासियतों की वजह से ये चर्च हर गोवा जाने वाले घुमक्कड़ की लिस्ट में जरूर रहता है।

सांता क्रूज बेसिलिका चर्च, कोच्चि

इस चर्च को भी पुर्तगालियों ने बनाया था। ये भारत के प्रथम चर्च में से एक है। ये शहर की उन इमारतों में से एक है, जो गॉथिक प्रभाव को प्रदर्शित करती है। ये उन बचाई गई इमारतों में से एक थी जिसे उस समय नष्ट होने से बचाया गया था जब डच आक्रमणकारी कैथोलिक इमारतों को नष्ट कर रहे थे। इस चर्च में भित्ति चित्र और कैनवास पेंटिंग हैं जो ईसा मसीह के जन्म और मृत्यु की कहानी को बताते हैं।

इमैक्यूलेट कॉन्सेप्शन कैथेड्रल, पांडिचेरी

1686 में बने इस चर्च को पांडिचेरी की शान कहना भी गलत नहीं होगा। ये चर्च केवल पांडिचेरी की नहीं बल्कि पूरे देश मे प्रसिद्ध है। इसी वजह से इसको देखने देशभर से लोगों का आना लगा रहता है। सेंट पीटर्स को समर्पित ये चर्च एक समय पर छोटा चैपल हुआ करता था। बाद में इसको आज दिखाई देने वाले रूप में ढाल दिया गया। इस चर्च की खास बात ये है कि अंग्रेजों द्वारा किए गए हमले के बाद भी ये चर्च मजबूती से खड़ा रहा था। पांडिचेरी के फ्रेंच माहौल में ये चर्च एकदम सही बैठता है। दूर से देखने में ये किसी महल से कम नहीं लगता है। सफेद और सुनहरे रंग से सजे इस चर्च को आपको भी जरूर देखना चाहिए।