मई का महीना भारत में हिल स्टेशन घूमने का एक अच्छा समय माना जाता है, जहां पहाड़ और वादियों से आ रही ठंडी हवाएं आपको अलग ही सुखद एहसास देती हैं। अब आप सोच रहे होंगे कि हिल स्टेशन तो बहुत हैं, ऐसी और कौन सी पहाड़ी जगह हैं, जहां हम मई के महीने में अकेले, दोस्तों व परिवार वालों के साथ जा सकते हैं। तो चलिए इस लेख में हम आपको बताते हैं उन जगहों के बारे में जिन्हें देखने के बाद आप कहेंगे 'भई वाह मजा आ गया' तो चलिए फटाफट से अपना बैग पैक करिए और बना लीजिए इन जगहों पर घूमने का प्लान...
हार्सिली हिल्स, आंध्र प्रदेशहार्सिली हिल्स या हार्सिली कोन्डा आंध्र प्रदेश चित्तूर जिला शहर मदनपल्ली के करीब एक पहाडी इलाका है। यहां की ऊँची पहाड़ी से आप सनसेट और सनराइज को बखूबी देख सकते हैं। हार्सिली हिल्स आंध्र प्रदेश की दक्षिण-पश्चिम सीमा पर समुद्र तल से 1,265 मीटर ऊंची ऊंचाई पर स्थित है। यह खूबसूरत हिल स्टेशन बेंगलुरु शहर से 150 किलोमीटर की दूरी पर और चेन्नई से 274 किलोमीटर दूर स्थित है। हार्सिली हिल्स का स्थानीय नाम एनुगु मल्लम्मा कोंडा है। लोगो की माने तो, यहां एक लडकी मल्लम्मा थी जो हाथियों को चारा डाला करती थी। एक दिन वह अचानक गायब हो गयी। जिसके बाद लोग ने उसके नाम का मंदिर बना कर पूजा करने लगे। और उसी के नाम से एनुगु मल्लम्मा (हाथियों को पालने वाली मल्लम्मा) इस गांव का नाम हो गया। 1870 में ब्रिटिश शासन का कलेक्टर डब्ल्यू।डी। हार्सली के नाम से इस का नाम हार्सिली हिल्स पड गया। होर्स्ली हिल्स पहाड़ियों में यात्रा करने के लिए प्रमुख पर्यटक आकर्षण में कौंडिन्य वन्यजीव अभयारण्य , पर्यावरण पार्क और मल्लामा मंदिर हैं।
शिलांग, चेरापूंजी, मेघालयशिलांग मेघालय की राजधानी है और एक फेमस हिल्स स्टेशन भी है। यह समुद्र तल से 1,491 मीटर की ऊंचाई पर स्तिथ है। शिलांग का नाम U-Shyllong देवता के नाम पर रखा गया था। शिलांग अपनी खूबसूरती की वजह से किसी स्कॉटलेंड से कम नहीं है। शिलॉन्ग में पूरी दुनिया का सबसे ऊंचा वाटरफॉल है जिसे देखने दनियाभर से लोग आते हैं। शिलॉन्ग में अनेक दर्शनीय स्थल है जैसे उमियम झील, हाथी झरना, शिलांग पीक, लेडी हैदरी पार्क, वार्ड्स लेक, गोल्फ फोर्स, संग्रहालय, कैथोलिक, केथेड्रल, आर्चरी और एंगलीकेन सिमेंटरी चर्च। शिलॉग्न से 35 किलोमीटर दूर अमरोही में हवाई अड्डा है। दिल्ली से 1490 किलोमीटर दूर है शिलॉन्ग। शिलांग से चेरापुंजी जाते हुए आपको कई गुफाओं के नज़ारे देखने को मिलेंगे। चेरापुंजी एशिया की सबसे साफ जगह में से एक है। इसलिए भी इसकी खूबसूरती देखते ही बनती है।
मनाली, हिमाचल प्रदेशमनाली एक ऐसी जगह है जो हम सबने एक न एक बार जरूर देखी है। पर मई की गर्मी को देखते हुए फिर भी इसे लिस्ट में रखना जरूरी है। ये जगह हमेशा शांत, ठंडी और खूबसूरत बनी रहती है। यहां के जंगल और ठंडा वातावरण मनाली की खूबसूरती को और निखारता है। मनाली, हिमाचल प्रदेश राज्य में समुद्र स्तर से 1950 मीटर की ऊंचाई पर स्थित है। मनाली, कुल्लु जिले का एक हिस्सा है जो हिमाचल की राजधानी शिमला से 250 किमी। की दूरी पर स्थित है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, मनाली का नाम मनु से उत्पन्न हुआ है जिन्हे सृष्टि के रचयिता भगवान ब्रहमा ने बनाया था। ऐसा माना जाता है कि मनु इसी जगह पर जीवन के सात चक्रों में बने और मिटे थे। मनाली की हिंदू धर्म में काफी मान्यता है जिसे जीवन के 7 चक्रों रिवर्स सेज से सम्बन्धित माना जाता है। मनाली आने पर पर्यटक हिमालय नेशनल पार्क, हिडिम्बा मंदिर, सोलांग घाटी, रोहतांग पास, पनदोह बांध, पंद्रकनी पास, रघुनाथ मंदिर और जगन्ननाथी देवी मंदिर देख सकते हैं।यहां का हडिम्बा मंदिर 1533 ई। में हिंदू धर्म की देवी हडिम्बा को समर्पित करके बनाया गया था। मनाली की सोलांग घाटी 300 मीटर की ऊंचाई वाली है जहां हर साल सर्दियों में विंटर स्किईंग फेस्टिवल का आयोजन किया जाता है। वहीं रोहतांग पास एक पहाड़ी पिकनिक स्पॉट है जिसे जिपावेल रोड़ के नाम से भी जाना जाता है। यहां आकर पर्यटक कई प्रकार की साहसिक गतिविधियों जैसे - पैराग्लाडिंग, पहाड़ो पर बाइक चलाना, और स्किईंग को कर सकते है।
तवांग, अरुणाचल प्रदेशतवांग अरुणाचल प्रदेश प्रान्त का एक शहर है जो तवांग जिले का मुख्यालय भी है। तवांग अरुणाचल प्रदेश के पश्चिमोत्तर भाग में स्थित है। तवांग जिला अपनी रहस्यमयी और जादुई खूबसूरती के लिए जाना जाता है। समुद्र तल से 10 हजार फीट की ऊंचाई पर स्थित इस जिले की सीमा उत्तर में तिब्बत, दक्षिण-पूर्व में भूटान और पूर्व में पश्चिम कमेंग के सेला पर्वत श्रृंखला से लगती है। ऐसा माना जाता है कि तवांग शब्द की व्युत्पत्ति तवांग टाउनशिप के पश्चिमी भाग के साथ-साथ स्थित पर्वत श्रेणी पर बने तवांग मठ से हुई है। ‘ता’ का अर्थ होता है- ‘घोड़ा’ और ‘वांग’ का अर्थ होता है- ‘चुना हुआ।’ तवांग में देखने के लिए मठ, पहाड़ों की चोटी और झरने सहित कई चीजें हैं, जहां बड़ी संख्या में पर्यटक आते हैं। तवांग के कुछ प्रमुख आकर्षण में तवांग मठ, सेला पास और ढेर सारे जलप्रपात हैं, जिससे यह बॉलीवुड फिल्मों की शूटिंग के लिए भी पसंदीदा स्थान बन जाता है।
तीर्थन घाटी, हिमाचल प्रदेश समुद्र तल से 1600 मीटर से अधिक की ऊंचाई पर स्थित, तीर्थन घाटी नदी के किनारे एक परफेक्ट वीकेंड गेटवे माना जाता है, जहां की हरियाली हर किसी को अपना दीवाना बना देती है। हिमाचल प्रदेश के कुल्लू जिले में स्थित, तीर्थन घाटी का नाम तीर्थन नदी से लिया गया है, जो इसके किनारे बहती है। तीर्थन एक ऑफबीट डेस्टिनेशन है। यह शांत घाटी ट्रैकिंग, मछली पकड़ने, वाइल्डलाइफ नेशनल पार्क देखने के लिए बेस्ट है। यहां के पहाड़ी गांव भी काफी खूबसूरत लगते हैं, जहां आपको लोगों की बहुत कम भीड़-भाड़ देखने को मिलेगी। अगर आप गर्मियों में किसी ऐसी जगह पर घूमना चाहते हैं, जो पर्यटकों द्वारा सबसे कम घूमा जाता है, तो एक बार आपको तीर्थन घाटी जरूर जाना चाहिए। तीर्थन में करने के लिए काफी कुछ मौजूद है। अगर आपके पास पूरे दिन करने के लिए कुछ नहीं है, तो आप बस यहां की सड़कों पर सैर के लिए निकल सकते हैं, जो जंगलों से होकर गुजरती हैं। ये सड़कें आपको गुशैनी, नागिनी, सोजा और बंजार के छोटे-छोटे गांवों में ले जाएंगी। यहां की हर एक जगह छत वाले खेतों, लुढ़कते पहाड़ों और हरे-भरे नजारों से घिरी हुई है। यहां की खूबसूरती को देखकर यकीनन आपकी आत्मा तृप्त हो जाएगी। तीर्थन से लगभग 50 किमी दूर शांगढ़ है, जहां आप रोपा, सैंज, लारजी और नेउली के विचित्र गांवों की यात्रा कर सकते हैं।
दार्जिलिंग, कलिम्पोंग पश्चिम बंगालदार्जिलिंग पश्चिम बंगाल में स्थित एक हिल स्टेशन है और आप यहां बर्फ से ढंकी चोटियां देख सकते हैं। लघु हिमालय यानी महाभारत पर्वत श्रृंखला में बसा दार्जिलिंग वास्तव में स्वर्ग सरीखा है। दार्जिलिंग शहर ब्रिटिश शासनकाल से ही पर्यटन स्थल के रूप में जाना जाता रहा है। साथ ही यहां के विशाल चाय बागान और गुणवत्तापूर्ण चाय की लोकप्रियता पूरे विश्व में है। वास्तव में दार्जिलिंग से विभिन्न प्रकार के चाय और विभिन्न गुणवत्ता वाले चाय का बड़े पैमाने पर निर्यात किया जाता है। दार्जिलिंग एक शांत और खूबसूरत शहर है। अगर आप दार्जिलिंग जा रहे हैं तो बर्फ से ढंकी विशाल चोटी की पृष्ठभूमि में बने दार्जिलिंग युद्ध स्मारक को देखना न भूले। यह जगह खासकर फोटोग्राफरों को काफी पसंद आता है। दार्जिलिंग में आप अल्पाइन और साल व ओक के पेड़ों से लैश समशीतोष्ण जंगलों को दखे सकते हैं। मौसम में परिवर्तन के बावजूद दार्जिलिंग के जंगल हरे—भरे हैं, जिससे पर्यटन को नया आयाम मिलता है। शहर में कुछ प्राकृतिक पार्क भी हैं। इनमें से पड़माजा नायडू हिमालियन जूलॉजिकल पार्क और लॉयड बॉटनिकल गार्डन प्रमुख है। शाम के समय में आपको इन जगहों पर बड़ी संख्या में प्रकृतिप्रेमी और फोटोग्राफर देखने को मिल जाएंगे। दार्जिलिंग कई किस्म के आर्किड के लिए भी जाना जाता है। मई के महीने में दार्जिलिंग आपको खास राहत दे सकता है।
गंगटोक, सिक्किमगंगटोक सिक्किम राज्य का सबसे बड़ा शहर है। गंगटोक हिमालय पर्वत माला पर शिवालिक पहाड़ियों के ऊपर 1437 मीटर की ऊंचाई स्थित है। गंगटोक में प्राकृतिक सुंदरता से जुडी कई जगह हैं, जिनमें से कुछ मुख्य आकर्षण जैसे त्सोमो झील, बान झाकरी, ताशी व्यू पॉइंट आदि शामिल है। गंगटोक घूमने से पहले यहां की कुछ खूबसूरत जगहों के बारे में भी एक बार जान लें, जिनकी वजह से यहां की खूबसूरती में चार चांद लगे हुए हैं। गंगटोक में घूमने के लिए सिर्फ एक ही जगह को अच्छे से देखना है, तो हमारा मानना है कि आपको त्सोमगो झील जाना चाहिए। त्सोमगो चांगू झील एक हिमनद झील है, जो गंगटोक से 40 किलोमीटर की दूरी पर 12,310 फीट की ऊंचाई पर स्थित है। पहाड़ों से घिरी ये झील अपना पानी पिघलती बर्फ से इकट्ठा करती है। झील की एक खास बात यह है कि यह हर मौसम के साथ अपना रंग बदलती है। झील सर्दियों के दौरान जमी रहती है, तो वहीं गर्मियों में चारों ओर बर्फ की जगह पर फूल खिलते हैं। ऐसा कहा जाता है कि बौद्ध भिक्षु पुराने समय में झील के रंग को देखकर ही भविष्य की भविष्यवाणी किया करते थे। मई के महीने में गंगटोक शहर आपको खास राहत दे सकता है।
मैक्लॉडगंज, हिमाचल प्रदेशमैक्लॉडगंज में पर्वत श्रृंखला की ऊंची-नीची चोटियां और उनके ऊपर जमकर पिघल चुकी बर्फ के निशान और चट्टानों पर खड़े चीड़ और देवदार के हरे-भरे पेड़ हर किसी के मन को अपनी ओर खींचते हैं। अपनी इस खूबसूरती की वजह से यहां की वादियों के मनमोहक दृश्य पर्यटकों के जेहन में हमेशा के लिए बस जाते हैं। मई के महीने में परिवार संग छुट्टियां बिताने के लिहाज से मैक्लॉडगंज एक परफेक्ट डेस्टिनेशन है। आप चाहें तो दोस्तों के साथ या फिर अकेले सोलो ट्रिप भी प्लान कर सकते हैं। । मई के महीने में मैक्लॉडगंज का औसत तापमान 22 से 35 डिग्री के बीच रहता है। हिमाचल प्रदेश के धर्मशाला से नौ किलोमीटर की दूरी पर स्थित मशहूर पर्यटक स्थल मैकलॉडगंज, जहां बारिश की फुहार पड़ती है तो प्रदेश का हर हिस्सा जैसे खिल उठता है और मन अपने आप ही प्रदेश की सैर करने को मचलने लगता है। यहां घूमने आने के लिए कम से कम दो-तीन दिन का समय निकालकर जरूर आएं, ताकि आप प्रकृति की गोद में बैठकर शांति का अनुभव कर सकें। दूर-दूर तक फैली हरियाली और पहाड़ियों के बीच बने पतले, ऊंचे-नीचे व घुमावदार रास्ते ट्रैकिंग के लिए आकर्षित करते हैं। गग्गल एयरपोर्ट मैक्लॉडगंज का नजदीकी एयरपोर्ट है जहां से टैक्सी के जरिए 18 किलोमीटर का सफर तय किया जा सकता है। पठानकोट यहां का नजदीकी रेलवे स्टेशन है जहां से मैक्लॉडगंज की दूरी 90 किलोमीटर है। इसके अलावा सड़क मार्ग के जरिए भी मैक्लॉडगंज पहुंच सकते हैं।
लैंसडाउन, उत्तराखंड लैंसडाउन पहाड़ी क्षेत्र में के हरे-भरे प्राकृतिक वातावरण में स्थित है। इस खूबसूरत हिल स्टेशन को अंग्रेजों ने साल 1887 में बसाया था। यहां का मौसम पूरे साल सुहावना बना रहता है। हर तरफ फैली हरियाली आपको एक अलग दुनिया का एहसास कराती है। गर्मी के मौसम में दिल्ली-एनसीआर में रहने वाले पर्यटक बड़ी संख्या में लैंसडाउन जाते हैं क्योंकि यह दिल्ली से नजदीक है। गर्मी के मौसम में यहां का औसत तापमान 15 से 30 डिग्री के बीच रहता है। कई बार तापमान शून्य तक चला जाता है। हालांकि सर्दियों के दौरान बर्फबारी देखने लायक होती है। लैंसडाउन जाने के लिए सबसे बेस्ट टाइम है मार्च से नवंबर के बीच। उस वक्त न तो गर्मी होती है और न ही ज़्यादा ठंड। लैंसडाउन एक ऐसा ही हिल स्टेशन है, जहां जाने के लिए आपको लंबी छुट्टियों की ज़रूरत नहीं है। लैंसडाउन खूबसूरत और शांत होने के साथ सुरक्षित भी है, क्योंकि यहां सैनिक छावनी है। वीकएंड पर अगर आप लैंसडाउन जा रहे हैं, तो जाहिर है आपके पास वक्त की कमी होगी, लेकिन यह वक्त छोटे से लैंसडाउन को घूमने के लिए काफी है। इतने वक्त को आप चाहें, तो किसी होटल के गार्डन में सुस्ता कर बिता लें या लैंसडाउन के चक्कर काटकर, क्योंकि इस छोटे से हिल स्टेन में देखने लायक सभी जगह काफी नजदीक हैं।
संदक्फू, दार्जिलिंग
संदक्फू ट्रेकिंग करने वालों के लिए जन्नत माना जाता है। समुद्र तल से 3636 मीटर की ऊंचाई पर है जो दार्जिलिंग की वादियों में उत्तर-पश्चिम इलाके में स्थित है। संदक्फू, बेहद खूबसूरत हिल स्टेशन है। इस जगह की सैर करते हुए आप एवरेस्ट, कंचनजंगा और मकालू पर्वत की अंनत ऊचाईयों के रोमांचक दृश्यों का आनंद उठा सकते हैं। ट्रेकिंग करते हुए संदक्फू तक पहुंचने का एक्सपीरियंस आपको जीवनभर याद रहेगा। गर्मियों में भी यहां आपको ठंड का एहसास होगा क्योंकि मई में भी यहां का औसत तापमान 6 से 12 डिग्री के बीच रहता है।