पूरी दुनिया में अपनी खूबसूरती के लिए जाने जाते हैं भारत के ये 7 चर्च, जरूर जाएं यहां

जब भी कभी देश के धार्मिक स्थलों की बात की जाती हैं तो उसमें मंदिर, मस्जिद, गुरुद्वारा और चर्च सहित सभी धर्मों के स्थल आते हैं जो देश में विविधता में एकता को दर्शाते हैं। भारत के ये धार्मिक स्थल पर्यटन में भी आकर्षण बनते हैं। आज इस कड़ी में हम बात करने जा रहे हैं देश के खूबसूरत और मशहूर चर्च की जिन्हें देखने सिर्फ भारत से ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लोग यहां पहुंचते हैं। ये चर्च अपनी खूबसूरती, वास्तुकला और नक्काशी के लिए जाने जाते हैं। यहां जाकर लोग यहां की पॉजिटिव वाइब्स का आनंद लेते हैं। हम यहां आपको भारत के कुछ चर्च के बारे में बता रहे हैं, जो विश्व स्तर पर अपना स्थान रखते हैं। आइये जानते हैं इनके बारे में...

केरल का वल्लार्पदम चर्च

केरल राज्य के एर्नाकुलम स्थित 'आवर लेडी ऑफ रैनसम' चर्च अपनी भव्यता और खूबसूरती के लिए जाना जाता है। इस चर्च में हर साल हजारों की संख्या में पर्यटक आते हैं। यह पर्यटक ना केवल केरल राज्य के होते हैं, बल्कि अन्य राज्यों से भी भारी मात्रा में पर्यटक इस चर्च में प्रार्थना के लिए आते हैं। इस चर्च को लेकर कहा जाता है कि इसका निर्माण 1524 ई। में पुर्तगालियों द्वारा कराया गया था, लेकिन 1676 में बाढ़ के कारण यह चर्च टूट गया। इसके बाद इस चर्च का पुनः निर्माण कराकर 1951 में भारत सरकार ने इसे राष्ट्रीय तीर्थस्थल घोषित कर दिया।

दिल्ली का कैथेड्रल ऑफ द सेक्रेड हार्ट

देश की राजधानी दिल्ली स्थित 'कैथेड्रल ऑफ सेक्रेड हार्ट चर्च, भारत का सबसे पुराना चर्च कहा जाता है। सफेद संगमरमर से निर्मित इस चर्च की बात ही निराली है। इस चर्च में इतनी शांति और आध्यात्मिकता का अनुभव होता है कि यहाँ आने वाले सैलानी घंटों यहाँ समय बिताते हैं। आध्यात्मिकता के साथ ही इसकी वास्तुकला को देखने के लिए भी भारी मात्रा में पर्यटक इस चर्च में आते हैं।

शिमला का क्राइस्ट चर्च

हिल्स क्वीन शिमला के रिज मैदान पर स्थित है ऐतिहासिक क्राइस्ट चर्च। ये उत्तरी भारत में दूसरा सबसे पुराना चर्च है, जिसकी खूबसूरती आज बी लोगों को बेहद लुभाती है। साल 1857 में नियो गोथिक कला में बना ये चर्च एंग्लीकेन ब्रिटिशन कम्युनिटी के लिए बनाया गया था, जिसे उस वक्त सिमला कहते थे। ये चर्च काफी किलोमीटर दूर से एक ताज की तरह दिखाई देता है। इस चर्च में 5 बड़ी खिड़कियां लगी हुई है। ये खिड़कियां ईसाई धर्म के विश्वास, उम्मीद, परोपकार, धैर्य और विनम्रता का प्रतीक है। ये हर रविवार को खुला रहता है। हर साल देश-विदेश से लाखों सैलानी इस चर्च को देखने और प्रार्थना करने आते हैं।

इलाहाबाद का ऑल सेंट्स कैथेड्रल

इलाहाबाद हिंदुओं की धार्मिक नगरी है, लेकिन इलाहाबाद स्थित 'चर्च ऑफ स्टोन्स' के नाम से प्रसिद्ध ऑल सेंट्स कैथेड्रल चर्च भी दर्शकों के बीच काफी लोकप्रिय है। इस चर्च को 19वीं शताब्दी में अंग्रेजों ने गोथिक शैली में बनवाया था। इसकी डिजाइन तैयार की थी, प्रसिद्ध ब्रिटिश वास्तुकार 'विलियम इमरसन' ने, जिसने इससे पहले कोलकाता स्थित विक्टोरिया मेमोरियल की डिजाइन तैयार की थी। अपनी खूबसूरती के साथ-साथ इलाहाबाद का चर्च अपनी विशालता के लिए भी जाना जाता है। कहा जाता है कि इस चर्च में एक साथ 400 लोग बैठ कर प्रार्थना कर सकते हैं।

तमिलनाडु का वैलंकन्नी चर्च

यह चर्च भारत के तमिलनाडु में स्थित है और इस चर्च को 'बेस्टिल ऑफ अवर लेडी गुड हेल्थ' के नाम से जाना जाता है। इसकी खूबसूरती देखने लायक है। इस चर्च को ‘बासिलिका ऑफ़ आवर लेडी ऑफ़ गुड हेल्थ’भी कहा जाता है। इस चर्च के बारे में ऐसा कहा जाता है कि यह इतना खूबसूरत है कि इससे नजर हटाना मुश्किल होता है। यह बंगाल की खाड़ी के तट पर स्थित है। चेन्नई से वेलंकन्नी चर्च की दूरी 350 किलोमीटर है। इतिहासकारों की मानें तो सोलहवीं शताब्दी में इस चर्च का निर्माण हुआ था। तत्कालीन समय में यह झोपड़ी रूप में था। साल 1771 में यह पूरी तरह से चर्च बन गया। यह चर्च दिनभर खुला रहता है। वहीं, क्रिसमस के अवसर पर रात्रि में भी खुला रहता है।

कोलकाता का सेंट पॉल कैथेड्रल

कोलकाता को काफी खूबसूरत शहर माना जाता है। खाने-पीने से लेकर घूमने तक यहां की हर एक चीज को लोग काफी पसंद करते हैं। हर साल यहां काफी संख्या में सैलानी पहुंचते हैं। इस चर्च की नींव 1839 में रखी गई थी, और साल 1842 में बनकर तैयार हो गई थी।। सेंट पॉल कैथेड्रल चर्च का निर्माण ब्रिटिशों द्वारा करवाया गया था। इस चर्च को भारतीय शौली द्वारा बनाने की कोशिश की गई है। इस चर्च की खूबसूरती देख पर्यटक भी हैरान रह जाते हैं।

कोच्चि का सांता क्रूज बेसिलिका चर्च

इस चर्च को भी पुर्तगालियों ने बनाया था। ये भारत के प्रथम चर्च में से एक है। ये शहर की उन इमारतों में से एक है, जो गॉथिक प्रभाव को प्रदर्शित करती है। ये उन बचाई गई इमारतों में से एक थी जिसे उस समय नष्ट होने से बचाया गया था जब डच आक्रमणकारी कैथोलिक इमारतों को नष्ट कर रहे थे। इस चर्च में भित्ति चित्र और कैनवास पेंटिंग हैं जो ईसा मसीह के जन्म और मृत्यु की कहानी को बताते हैं।