प्रकृति और परंपराओं की जुगलबंदी देखने को मिलेगी जीरो वैली में, बच्चों के साथ बना ले घूमने का प्लान

अरुणाचल प्रदेश के लोअर सुबंसरी जिले में समुद्रतल से 5600 फीट की ऊंचाई पर स्थित जीरो घाटी दुनिया के कुछ उन मुट्ठीभर ठिकानों में से है, जहां आज भी प्रकृति और परंपराओं की जुगलबंदी कायम है। यहां हरे-भरे बांस के जंगल, नीले और हरे रंग के देवदार के पेड़ों और पहाड़ों के बीच धान से घिरी जीरो वैली बहुत ही शांत, खूबसूरत और नेचर के करीब है। अरूणाचल प्रदेश की इस जगह को साल 2012 में वर्ल्ड हेरिटेज साइट्स की लिस्ट में शामिल किया गया था। यह घाटी जितनी अपने समृद्ध वन्यजीव के लिए जानी जाती है, उतनी ही लोकप्रिय यहां के निवासियों- 'अपातिनी जनजाति' के लिए भी। घाटी में घूमने और देखने के लिए बहुत कुछ है। यहां आसपास के इलाकों में अपतानी जनजाति के लोग रहते हैं। ये तिब्बत कल्चर को फॉलो करते हैं। और साल में 3 खास उत्सव म्योको, मुरूंग और ड्री मनाते हैं। तो अगर आप जीरो वैली घूमने का प्लान बनाएं तो यहां की इन मशहूर जगहों को देखने का मौका मिस न करें।

टैली वैली वाइल्डलाइफ सेंचुरी

ज़ीरो वैली से सिर्फ 32 किमी का सफर तय करके आप इस सेंचुरी पहुंच सकते हैं। हरे भरे नजारों से भरपूर, यह सेंचुरी फर्न, बांस, ऑर्किड, सिल्वर फ़िर और रोडोडेंड्रोन जैसे घने जंगलों से घिरा हुआ है जो ट्रैकिंग के लिए बेस्ट है।

तारिन फिश फार्म

जीरो घाटी बहुत ही ऊंचाई पर स्थित है फिर भी यहां मछली पालन का काम किया जाता है। वैसे जीरो वैली में फूलों की खेती और आर्किड्स के कुछ बहुत ही दुर्लभ जाति की खेती होती है।

टिपी ऑर्किड रिसर्च सेंटर

यह सेंटर में आकर आप लगभग आर्किड के 1000 प्रजातियों को देख सकते हैं जो वाकई अद्भुत होता है। इस जगह को देखना बिल्कुल मिस न करें।

जीरो पुतु

आंखों के साथ इस जगह आकर आपका तन और मन भी खुश हो जाएगा। चारों ओर हरियाली से घिरी इस जगह जाकर आपको अलग ही तरह का सुकून मिलेगा। इस जगह को आर्मी पुतु के नाम से भी जाना जाता है। क्योंकि 1960 में यहां आर्मी केंटोनमेंट बनाया गया था।

पाको घाटी

जीरो वैली के हरे-भरे नजारों के साथ ही अगर हिमालय की बर्फ से ढंकी चोटियां देखनी हैं तो पाको घाटी आएं। संकरी घाटी वाली इस जगह की खूबसूरती को यहां आकर ही महसूस किया जा सकता है।

ताले घाटी

जीरो घाटी से 32 किमी उत्तर-पूर्व की ओर ताले घाटी खासतौर से वाइल्ड लाइफ के लिए मशहूर है। जहां पशु-पक्षियों के साथ ही पेड़-पौधों की भी कई सारी वैराइटी देखने को मिलती है। ट्रैकिंग के शौकिनों के लिए भी ये जगह बहुत ही बेहतरीन है।

जीरो वैली घूमने का सही समय

वैसे तो जीरो वैली का मौसम पूरे साल ही घूमने के लिए परफेक्ट होता है आप यहां का प्लान गर्मियों से लेकर मानसून और सर्दियों में भी बना सकते हैं। लेकिन अक्टूबर से अप्रैल का मौसम सबसे बेस्ट माना जाता है। दिसंबर से जनवरी वैली में बहुत ज्यादा सर्दी होती है।

गर्मियों में

अप्रैल से जून में यहां का तापमान 6 से 20 डिग्री तक रहता है जिसमें आप नॉर्मल कपड़ों में यहां घूमने-फिरने का आनंद ले सकते हैं।

मानसून में

मानसून में यहां का तापमान 2 से 19 डिग्री के बीच रहता है लेकिन जीरो वैली तक पहुंचने के रास्ते में कई जगहों पर बाढ़ का सामना करना पड़ सकता है जिस वजह से इस दौरान यात्रा करने से बचना चाहिए।

सर्दियों में

अक्टूबर से मार्च के बीच भी आप इस खूबसूरत जगह को एक्सप्लोर करने की प्लानिंग कर सकते हैं। हल्के-फुल्के ऊनी कपड़ों से काम चल जाएगा।

कैसे पहुंचे?

हवाई मार्ग

जोरहाट यहां का सबसे नज़दीकी एयरपोर्ट है जो असम से 98 किमी दूर है। एक दूसरा एयरपोर्ट लीलाबारी है जो जीरो से 123 किमी की दूरी पर है और जीरो से लगभग 449 किमी की दूरी पर है गुवाहाटी इंटरनेशनल एयरपोर्ट।

रेल मार्ग

नाहरलागुन(100 किमी) और नॉर्थ लखीमपुर (117 किमी) यहां तक पहुंचने के दो रेलवे स्टेशन हैं। गुवाहाटी से यहां तक के लिए रोजाना ट्रेनें चलती हैं और हफ्ते में एक दिन नई दिल्ली से नाहरलागुन के लिए।

सड़क मार्ग

गुवाहाटी से जीरो तक के लिए रात में बसें चलती हैं। अरूणाचल प्रदेश राज्य रोड परिवहन निगम की बसें हफ्ते में चार दिन चलती हैं। वैसे आप नार्थ लखीमपुर या ईटानगर पहुंचकर यहां से टैक्सी कर जीरो वैली तक पहुंच सकते हैं।